Manoj kumar
सादगी दिवस (12 जुलाई) simplicity day (sadagi divas)
सादगी दिवस (12 जुलाई) हर सवाल का जवाब है सादगी
सादगी दिवस (12 जुलाई) simplicity day (sadagi divas)
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सादगी दिवस |
अमेरिका के मशहूर लेखक, कवि, पर्यावरणविद,
इतिहासकार और दर्शनशास्त्री हेनरी डेविडथोरी के जन्मदिन (12 जुलाई, 1817) को
‘सिंपलिसिटी डे’ यानी सादगी दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने दुनिया को
‘सादा जीवन’ जीने का सन्देश दिया था और सभी समस्याओं का हल इसे बताया. मैं बहुत कम
इच्छाएँ रख सकता हूँ, मेरी सबसे बड़ी कुशलता यही है-हेनरी डेविड थोरी.
आपदा के कारण जिन्दगी की रफ्तार थमी तो ठहराव के
दौर में इसे देखने का नजरिया भी बदलने लगा. क्या आपने गौर किया है कि सादा खानपान,
रहन-सहन जो पहले मुश्किल था, अब जाने-अनजाने में दिनचर्या का हिस्सा बनने लगा है. simplicity
day (sadagi divas) मुश्किल जिन्दगी के बीच होने लगा है इसकी सादगी का भी एहसास. हर साल
12 जुलाई को अमेरिका में ‘सादगी दिवस’ मनाया जाता है, जबकि भारतीय संस्कृति और
समाज का यह सर्वोच्च मूल्य है. क्यों जरूरी है सादगी, क्या हैं इसके फायदे,
जानी-मानी हस्तियों से बातचीत के आधार पर बता रही हैं......
वे दिन खूब याद आ रहे हैं, जब सुबह से शाम तक काम
और निजी जीवन के बीच सन्तुलन बनाने की होड़ मची रहती थी. ‘समय नहीं है’ का जुमला हर
किसी की जुबान पर था. दुनियाभर में जीवन में ‘स्लोडाउन’ पर बात हुई. यानी भागमभाग
वाली दिनचर्या को थोड़ा धीमा करना सीख जाएं तो आसान हो सकती है जिन्दगी. (national
simplicity day in india) हम थोड़ा ठहरे, तब जाना कि इसकी जटिलताएँ तो हमने
ही पैदा की हैं, जिन्दगी खुद में कितनी सरल और सादी है.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कहती है, ‘जो बात हमें
सालों से समझ में नहीं आ रही थी, उसे इस मुश्किल समय ने एक झटके में समझा दिया
है.’ उनके मुताबिक ऐसा लग रहा है, जैसे जिन्दगी ‘बैक गियर’ में बहुत पीछे चली गई
है, जब आधुनिक युग का ऐसा दबाव नहीं था और न ही ख्वाहिशों का बोझ था. इतनी ही सरल
होनी चाहिए, जहाँ रोजाना आने वाला तमाम कठिनाइयों के बावजूद हम इनसे सब्र से
निपटने का हौसला भी रख सकें. याद कीजिए, पिछली बार हमने कब झरोखे पर बैठने का सुख
पाया. कब बारिश के बाद सोंधी मिट्टी की खुशबू को जरा रुककर महसूस किया. काढ़ा पीते
हुए जिन्दगी की ऐसी सादगी का एहसास इससे पहले कब हुआ?
सरलता ही रखेगी एकाग्र : पिछली सदी के सत्तर के
दशक में अमेरिका के मशहूर मनोवैज्ञानिक आब्राहम हेराल्ड मेसलों ने ‘मेसली पिरामिड’
का सिद्धांत दिया. इस के तहत इन्सान की मूलभूत जरूरतों का क्रम सजाया गया है.
बताया गया कि इन जरूरतों को पूरा करने में क्रम में जीवन जटिलता की तरफ बढ़ता है.
जैसे, सुरक्षा की आवश्यकता के तहत नौकरी की सुरक्षा, आमदनी की चिंता, सम्मान,
शोहरत-इज्जत की जरूरत को इस सिद्धांत में रखा गया. ये वे आवश्यकताएं हैं, जो
इन्सान को चालाकियों और झूठ बोलने के लिए उकसाती हैं. आत्मबोध यानि खुद की शान्ति
चाहिए. यह भी एक जरूरत है, जो इन्सान पर रचनात्मक दबाव बनाए रखती है. national
simplicity day in india पर कुछ लोग अपनी प्रतिभा और समझदारी के बल पर ऐसी
जटिलताओं के बीच भी सादगी भरा जीवन चुन लेते हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी फ़्रांस
के एडवर्ड चार्ल्स मनोवैज्ञानिक, दर्शनशास्त्री होने के साथ लेखक भी हैं. यहाँ
उनका एक कथन प्रासंगिक है, ‘जटिल होने के बाद आपके प्रयास भी आपके विचलित कर
देंगे. वहीँ, सरल रह सकेंगे तो आपका प्रयास भी केन्द्रित रहेगा यानी एकाग्र रह
सकेंगे.’ जरा सोचिए रहेगा यानी एकाग्र रह सकेंगे.’ जरा सोचिए, परफेक्ट रहने की दौड़
और खुद पर दबाव डालते रहने की दौड़ और खुद पर दबाव डालते रहने की आदत ने जीवन को
आसान बनाया या जटिल. आत्ममूल्यांकन करने का इससे अच्छा अवसर नहीं हो सकता.
ये जंग होगी आसान : ‘आसान नहीं सरल है जिन्दगी,
बस हमें इसे इतना सरल रखना है, जितना रख सकें. उन अपेक्षाओं के पीछे न दौड़ें, जो
मन शान्ति हर लें. सरल रहें और खुद को पूरी तरह स्वीकार करें.’ इन दिनों अपने
इन्स्टाग्राम पोस्ट से सकारात्मक का संचार करने में जुटी हैं अंकित कंवर. वे
अभिनेता मिलिंद सोमन की पत्नी होने के साथ-साथ अपनी एक अलग पहचान रखती हैं. उनके
मुताबिक, सादगीपूर्ण गिन्दगी संभव है, यदि हम नकारात्मकता के बीच भी अपने विचारों
को सकारात्मकता के बीच भी अपने विचारों को सकारात्मक की ओर ले जाने का अभ्यास
करें. सोशल मिडिया पर हजारों प्रशंसकों को वीडियो और फोटो के जरिए जिन्दगी से
जोड़ने वाले सेलिब्रेटीज की लंबी फेहरिस्त है यहाँ. वे बिना मेकअप सादगी भरी अपनी
तस्वीरों और अनुभवों के जरिए नकारत्मक हो रहे माहौल में भर रहे हैं सकारात्मक रंग.
हाल ही में मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन के परिवार सहित कोविड-19 संक्रमित
होने की खबर उदास करने वाली थी, पर वे सभी विजेता बनकर लौटे. उनकी नृत्यांगना बेटी
शरण्या चंद्रन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया कि कैसे इस जंग को उन्होंने सादगी
और मानिसक मजबूती के बल पर जीत लिया.
जब सादगी को अपना लेते हैं आप.....
üसेहत सर्वोच्च प्राथमिकता होती है. इस पर एकाग्र रहते हैं, तनाव भी कम होता है.
üभविष्य की प्रवाह करते हैं पर वर्तमान को भरपूर जीना एकमात्र शर्त मानते हैं. आप अपने आज को खतरे में नहीं रखना चाहते.
üबजट को जरूरी मानते हैं. आप अपने आज को खतरे में नहीं रखना चाहते.
üबजट को जरूरी मानते हैं. इस पर पूरे भरोसे के साथ काम करते हैं. आपको समझौते के कम करने पड़ते हैं.
üजरूरतें अधिक नहीं बढ़ाते और वही खरीदते हैं जो आवश्यकताओं से जुड़ी हों.
üसच्चाई के करीब रहते हैं और अति प्रतिक्रियावादी होने से बचते हैं. निर्णय समझदारी से भरा होता है.
üआपके रिश्ते गहरे और अर्थपूर्ण होते हैं. ये कर्तव्यों को पूरा करने पर केन्द्रित होते हैं, किसी को प्रभावित करने के उद्देश्य पर नहीं.
üसरल चीजों में आनन्द लेते हैं. जैसे- टहलना, बादलों को निहारना या और कोई भी काम, जो आप कर रहे हैं. गैरजरूरी चीजों पर ध्यान नहीं देने के कारण आपकी मानसिक शान्ति अपेक्षाकृत अधिक होती है. खुद का खयाल रखते हैं. गैजेट या अन्य भौतिक वस्तुओं को लेकर उलझे नहीं रहते. आप अपने ऊपर महत्वाकांक्षाओं को हावी नहीं होने देते.
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