Manoj kumar
coronavirus update II coronavirus update india II कोरोनावायरस
अपडेट II कोरोना वायरस
अपडेट इन इंडिया II
कोरोना संक्रमण का खतरा आम से लेकर खास यानी हर किसी को है. इससे
घबराएं नहीं, बल्कि बचने के सभी कारगर उपाय आजमाएँ और सकारात्मक सोच के साथ यह
स्वीकार करें कि यह दौर भी गुजर जाएगा.....
![]() |
कोरोनावायरस अपडेट II कोरोना वायरस अपडेट इन इंडिया |
कोविड-19 के बारे में जैसा कि कहा जा रहा है कि यह चीन के
वुहान शहर से फैला और दुनिया के 200 से अधिक देशों में महामारी बनकर कोहराम
मचा रहा है. बीते पाँच माह से हर ओर घबराहट और डर का माहौल है लेकिन यह डरने का
वक्त नहीं, बल्कि इसके प्रति सतर्कता बरतते हुए संक्रमण से बचने का है. इस तरह के
वायरस के संक्रमण का यह कोई पहला मामला नहीं है. सन् 1918-19 में स्पेनिश फ्लू,
2002-2003 में सार्स, 2005 में फ्लू, 2009-2010 में स्वाइन फ्लू, 2014-2015 में
इबोला और अब कोविड-19 ने खतरा फैलाया हुआ है. कोविड-19 एक संक्रामक
बीमारी है, इसलिए 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे
वैश्विक महामारी घोषित किया. तब से लेकर अब तक इसकी चपेट में दुनिया के लाखों लोग
आ चुके हैं और लाखों लोगों की मौत भी हो चुकी है. हालांकि जिस तरह से लोग स्वस्थ
होकर घर लौटकर रहे हैं, उससे यह साबित हो चुका है कि सावधानी के साथ सही जीवन शैली
अपनाना और इससे बचने के सारे उपायों का पालन करना ही संक्रमण से बचने का पुख्ता
इंतजाम है.
तीन तरह से फैलता है वायरस :-
इस वायरस का संक्रमण एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में मुख्यतः तीन
प्रकार से फैलता है. यदि कोई व्यक्ति कोरोना पाजिटिव है तो उसके खांसने, छींकने या
बात करने में लार की अतिसूक्ष्म बूंदे हवा या आसपास की जगहों पर गिर जाती हैं, जो
संक्रमण का कारण बनती हैं. यदि कोई स्वास्थ्य व्यक्ति छींकते या खाँसते समय किसी
संक्रमित व्यक्ति के करीब खड़ा है या उन वस्तुओं को छू लेता है, जहाँ रोगी के
ड्रापलेट्स गिरे हैं तो स्वस्थ व्यक्ति भी इसकी चपेट में आ जाता है. सामान्यत:
किसी संक्रमित रोगी के ड्रापलेट 6 फीट (दो गज) से ज्यादा दूर नहीं जा पाते हैं और
हवा में ज्यादा देर तक टिकते भी नहीं हैं. अभी तक के निष्कर्षों के अनुसार यह हवा
में 3 घंटे से अधिक देर तक नहीं टिक पाते हैं.
संक्रमण से बचाव और सावधानियाँ : coronavirus
prevention
शारीरिक दूरी बनाकर रखें. आवश्यक न हो तो मेल-मुलाक़ात से बचें. हाथ
मिलाने की जगह नमस्कार करें. भीड़भाड़ वाली जगहों पर कम से कम जाएँ. हमेशा मास्क का
प्रयोग करें, इसमें सर्जिकल मास्क, रुमाल, गमछा या दुपट्टा
भी प्रयोग में लाया जा सकता है. हाथों को साबुन, रनिंग वाटर
और सेनेताईजर या पेपर-सोप से थोड़ी-थोड़ी देर में 20 सेकेण्ड
तक धोएं.
इम्युनिटी है संक्रमण से बचाव का कवच : coronavirus prevention, coronavirus antibodies immunity, coronavirus immunity, कोरोना वायरस इम्युनिटी
किसी भी रोग से लड़ने के लिए हमारी इम्युनिटी का मजबूत
होना बहुत जरूरी है और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है, हमरा खानपान. ध्यान रहे कि
हमें घर का बना पौष्टिक खाना ही खाना है और बाहर के खाने और फ़ास्टफ़ूड से
दूरी बनानी है. बच्चों को कोरोना संक्रमण के बारे में पर्याप्त जानकारी
दें. साथ ही उन्हें सकारात्मक तरीके से समझाएं कि बाहर का माहौल सेहत के
लिहाज से सुरक्षित नहीं झी. हालांकि हमारे कोरोना वारियर्स इसके लिए
जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं और स्थितियां जल्द ही बेहतर हो जाएंगी. हर बुराई के पीछे अच्छाई
छुपी होती है, इसलिए यह मान लें कि कोविड-19 ने हमें स्वस्थ जीवनशैली
अपनान के लिए प्रेरित किया है. संक्रमण के दौर में हमें अपना इसे दृढ़ बनाने
के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं.
तनाव से रहें दूर :
काम का दबाव न कोरोना संक्रमण से पहले कम था, न अभी कम है.
इसलिए यह हम पर निर्भर है कि हम किसी भी तरह के तनाव या मानसिक दबाव के शिकार नहीं
होंगे. बुजुर्गों का अनुभव, किस्से व पुराने कहानियाँ बच्चों के दिमाग पर
सकारात्मक असर डालती है. घर में हैं तो परिवार के साथ इस मौके का लुत्फ़ उठाइए.
खाली समय में मनपसंद संगीत सुनें, डांस करें और हंसी मजाक का माहौल बनाएं. ये सारे
उपाय आपके आत्मबल को मजबूत बनाएँगे. अध्यात्म से जुड़ा व्यक्ति हर तरह से काफी
मजबूत होता है और यही मजबूती उसे विषम परिस्थितियों से निपटने के साहस देती है.
अध्यात्मिक इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए ईश्वर में ध्यान लगाएं और
जरूरतमंदों की यथासंभव सहायता करें. किसी परेशानी में फंसे व्यक्ति की मदद करना
अपने आप में एक अध्यात्म है.घर का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाएं रखें.
कोरोना वायरस सबसे पहले हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है,
इसलिए प्राणायाम जरूर करें. यह फेफड़ों के लिए वैक्यूम क्लीनर
की तरह है. इसे तरह के संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है. नियमित भाप लेना
भी फेफड़ों के लिए लाभकारी है. इससे सीओपीडी, अस्थमा, एलर्जी
आदि के मरीजों को बहुत राहत मिलती है और संक्रमण का खतरा कम रहता है.
कोविड-19 का परिक्षण :
कोविड-19 के संक्रमण से बचाने का सरकार हर प्रयास
कर रही है. इसके लिए हर जिले में हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं. यदि संक्रमित
हैं तो सूचित करिए. आपसे कोरोना संक्रमण से संबंधित कुछ सवाल किए
जाएँगे और यदि जरूरी होगा तो
कोविड-19 परिक्षण किया जाएगा.
सतह या वस्तु पर वायरस की सक्रियता : how does
coronavirus spread, how long does coronavirus last, how long does coronavirus
last on paper, how long does coronavirus last on clothes, how long does
coronavirus last on clothes fabric, how long does coronavirus last on clothes
and surfaces,
अभी तक के नतीजों के अनुसार कोरोना वायरस किसी सतह या वस्तु पर
अलग-अलग समय तक सक्रिय रहता है. हवा में 3 घंटे, तांबे पर 4 घंटे और
कार्डबोर्ड/फ़ाइल में 24 घंटे तक, स्टेनलेस स्टील पर 2-4
दिन, प्लास्टिक पर 3 दिन, जूते/चप्पल में 5 दिन और संक्रमित
जलाशय में कोई सप्ताह तक ठहरता है.
इन्हें है सबसे ज्यदा जोखिम :
कोविड-19 का जोखिम सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों,
गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को है. बीमार लोगों
में भी वे लोग शामिल हैं, जो फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, ब्लड
प्रेशर, हृदय रोग, कैंसर, गुर्दा, लिवर
आदि रोग से ग्रसित हैं. इसके अलावा कमजोर इम्युनिटी वाले लोग जैसे कुपोषण,
फ़ास्टफ़ूड का सेवन, अस्वस्थ जीवन शैली, व्यायाम
या योग न करना, तनाव/अवसाद से ग्रसित लोगों को इसके संक्रमण का खतरा
अधिक होता है. जो लोग कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं या लैब अथवा
अन्य तरीकों से कोरोना योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें भी संक्रमण का जोखिम
अधिक रहता है.
उपचार है वैक्सीन : coronavirus
treatment, coronavirus treatment update, coronavirus vaccine latest update, coronavirus
vaccine news, coronavirus vaccine news india, coronavirus vaccine news india in
hindi
अभी तक कोविड-19 का कोई उपचार नहीं है और न ही इसकी वैक्सीन
बनी है. यह एक वायरस संक्रमण है, इसलिए लगभग 90 प्रतिशत लोग कुछ
दिनों में स्वतः ही ठीक हो जाते हैं. परन्तु जब गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो
संक्रमित को अस्पताल या आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है. अभी तक
इसमें जो दवाएं इस्तेमाल की जा रही हैं, उनमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एजिथ्रोमाइसीन,
डॉक्सीसाइक्लिन, मेक्टिन, डेक्सामेथासोन, ओसेल्टमीटर,
रेमडेसिवीर, फेवीपिरवीर आदि हैं. भारत सहित कई देश इसकी वैक्सीन
बनाने में प्रयासरत हैं.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
अधिक जानकारी के लिए कृपया टिप्पणी/कमेन्ट करें.....