Manoj kumar
डिजिटल फास्टिंग ये दूरी जरूरी है (digital
fasting) digital detox
एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में लोगों
का स्क्रीन टाइम पहले की तुलना में करीब दोगुना हो गया है.स्मार्टफोन का इस्तेमाल
जहाँ पहले प्रति व्यक्ति औसतन 3 घंटे था, वो 5 घंटे तक चला गया. जिसमें 90% यूजर्स
कन्टेन्ट स्ट्रीमिंग, ई-लर्निंग, इन्फोटेनमेंट और सोशल मिडिया जैसी
डिजिटल गतिविधियों को अधिक समय दे रहें हैं. मनोरंजन के लिए वेब शोज या एप्स. नेटवर्किंग
के लिए फेसबुक और ट्विटर. ऑफिस मीटिंग के लिए जूम. जब लॉकडाउन हुआ,
तो मनोरंजन और काम करने के लिए इन्हीं माध्यमों पर हमने भरोसा किया. एक स्क्रीन से
दूसरे स्क्रीन पर आते-जाते कैसे दिन बीतता चला गया, पता ही नहीं चला. इसमें कोई
दोराय नहीं कि लॉकडाउन के दौरान तकनीक ने ही हमारे जीवन को सामान्य बनाने
में मदद की. लेकिन इसका एक पहलू यह भी है कि जरूरत से ज्यादा तकनीक से चिपके रहने
की आदत तनाव भी दे रही है. और ऐसे तकनीक के साथ सही तालमेल न बैठा पाने की वजह से
हुआ है. अगर आप अपनी दिनचर्या पर गौर करें, तो पाएंगे कि एक दिन में आपने कितना
समय स्क्रीन पर बिताया है. यहाँ तक कि रात को सोते समय भी हाथ में मोबाईल.
नींद आती है सो जाते हैं.पर दिमाग अभी भी मोबाइल पर आ रहे नोटिफिकेशन
में उलझा हुआ है, जिसे साथ में लेकर सोते रहते हैं. सुबह नींद तो खुलती है पर आधी.
एक सप्ताह, दो सप्ताह या पूरा महीना. समय तो निकल रहा है, पर दिमाग की थकान बढ़ती
जा रही है, जो तनाव, गुस्सा, अनिद्रा चिंता और निराशा के रूप में सामने आने लगी
है. तभी तो आजकल आप ताजा महसूस नहीं कर रहे हैं. डिजिटल दुनिया में हर समय खोए
रहना, न तो दिमाग के लिए अच्छा है, न ही आपको शरीर के लिए यह आदत ब्रेकअप, स्लीप डिसार्डर
से लेकर डिप्रेशन तक की वजह बन सकती है.
डिजिटल फास्टिंग ये दूरी जरूरी है (digital
fasting) digital detox
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digital fasting
भले ही तकनीक से दूरी कुछ घंटों के लिए हो, यह
निश्चित रूप से चिंता से निपटने में मदद करता है. कई अध्ययनों ने यह भी पुष्टि की
है कि सोशल मिडिया से दूरी एक व्यक्ति को खुश और कम तनावपूर्ण बना सकती है.
बढ़ रही है ‘वीडियो फटीग’ की समस्या digital detoxification :
तकनीक से लगातार जुड़े रहने से इन दिनों वीडियो
फटिंगयानी वीडियो थकान की समस्या भी सामने आ रही है. दरअसरल, वर्क फ्राम होम
की वजह से हम लैपटॉप, स्मार्टफोन या अन्य गैजेट्स के संपर्क
में ज्यादा रहने लगे हैं. लगातार वीडियो मीटिंग या चैटिंग मानसिक और
शारीरिक रूप से तनावग्रस्त कर सकते हैं. ‘वीडियो फटिंग’ शब्द का इस्तेमाल वर्चुअल
मीटिंग और वीडियो चैट के अति प्रयोग के कारण सेहत खराब होने की भावना
के लिए किया जा रहा है. ऐसे में आपको अपने लिए ‘डिजिटल डिस्टेंसिंग’ के कुछ
नियम बनाने होंगे, ताकि आप अपनी ऊर्जा को बहाल करें और गैजेट्स से अपने जोखिम को
सीमित करें. भले ही यह दिन में कुछ घंटों के लिए हो, यह निश्चित रूप से चिंता से
निपटने में मदद करता है.
सन्तुलन बनाएँगे, तभी फायदे में रहेंगे :
मनोवैज्ञानिक भी मान रहे हैं, कि मोबाईल, लैपटॉप
जैसे अन्य गैजेट्स से घिरे रहने के चलते इन दिनों लोगों में एक तरह की बेचैनी बढ़ी है. ऑफिसियल ईमेल, सोशल
मिडिया अपडेट के तनाव का असर रिश्तों पर भी पड़ रहा है. सुनने में यह भले अजीब लगे
पर तकनीक से घिरे युवाओं के लिए डिजिटल फास्टिंग (digital
fasting) यानी डीताक्स, एक बेहद अहम थेरेपी बनती जा रही है. हाल ही में कई
बालीवुड हस्तियों ने भी अपने सोशल मिडिया अकाउन्ट्स बन्द कर दिए हैं. उनका यह
फैसला उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा माना जा सकता है, क्योंकि तकनीक और
शोशल मिडिया का हमारी सेहत पर नाकारात्मक असर हो रहा है.
जरूरी है तकनीक में अनुशासन :
आपके कभी सोचा है कि घर के बड़े-बुजुर्ग कुछ ख़ास
दिन नॉनवेज क्यों नहीं खाने देते. दरअसल, इसके पीछे कारण जीवन में अनुशासन लाना
था, जिसे पारंपरिक नियम से जोड़ दिया. पर देखा जाए, तो इसमें सेहत की बात ही छिपी
है, ताकि सप्ताह में कम-से-कम दो दिन गरिष्ठ भोजन से परहेज किया जा सके. बस, यही फार्मूला आपको अपनी तकनीक
से दूरी बनाने के लिए अपनाना होगा, क्योंकि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आपके
दिमाग के लिए धूम्रपान से भी अधिक खतरनाक हो सकता है, ऐसा एक शोध में बताया गया
है.
इम्युनिटी बढ़ाएगी डिजिटल फास्टिंग (dijital fasting) :
जिस तरह से आप अपने वजन को कम करने के लिए एक
निश्चित अंतराल पर डाइटिंग करते हैं, वैसे ही तकनीक से होने वाले तनाव को कम करने
के लिए आपको डिजिटल डाइटिंग की जरूरत है. यह डाइटिंग आपकी शारीरिक और मानसिक
इम्युनिटी psychology immunity को भी बढ़ाएगी, क्योंकि तकनीक से दूर रह कर
आप अन्य काम पर अपना फोकस सोशल मिडिया के उपयोग को लगभग 30 मिनट रोजाना सीमित करने
से अकेलेपन और अवसाद के लक्षणों में काफी सुधार हो सकता है. यह आपकी एकाग्रता में
सुधार कर, आपके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है. इससे अनिद्रा की समस्या
धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी. जिससे आप मानसिक (digital detox psychology)
रूप से
ज्यादा मजबूत और ज्यादा आशावादी महसूस कर पाएंगे.
मानने होंगे कुछ नियम digital detox essay :
चाहे वह ऑनलाइन शापिंग हो, नई भाषा सीखना हो या फिट रहना हो, इंटरनेट का इस्तेमाल तो बढ़ा ही है. अध्ययन बताते हैं कि कोरोना संकट के बीच, जहाँ इन्स्टाग्राम पर यूजर्स की एक्टिविटी दोगुना हुई, वहीँ मैंसेजर ग्रुप वीडियो कॉल में 70% और व्हाट्सएप पर 40% की वृद्धि देखी गई है. विशेषज्ञों की मानें तो जरूरत से ज्यादा तकनीक और सोशल मीडिया प्रेम शारीरिक और मानसिक समस्याओं को भी बढ़ने का मौका दे रहे हैं. इसलिए इसमें सन्तुलन बनाने की जरूरत है, जैसे :
1. सबसे पहले तो आपके कुछ समय यह सोचना चाहिए कि आप डिजिटल दिताक्स digital detox tips क्यों करना चाहते हैं? आपको यह ना करने पर क्या नुकसान हो रहे हैं? जब आप इन सभी बातों में स्पष्ट हो जाएँगे, तब आप खुद ही डिजिटल डीटाक्स (digital detox) की ओर प्रेरित हो जाएँगे.
2. एक नियम निर्धारित करें कि आप लंच के समय मोबाईल (mobile digital fasting) अपने पास नहीं रखेंगे. या फिर काम के दौरान व्यक्तिगत कॉल या मैसेज करने से बचेंगे. प्रोडक्टविटी बढ़ाने के साथ यह आपकी मानसिक शान्ति को बढ़ाएग.
3. हर दो-चार मिनट पर आने वाले नोटिफिकेशन हमें फोन चेक करने के लिए मजबूर करते हैं. इसलिए सोने से पहले अपने मेल, व्हाइट्सएप मैसेज आदि के अलर्ट या फेसबुक नोटिफिकेशन को बन्द कर दें.
4. मनोरंजन सिर्फ फोन या टीवी में ही है ऐसा नहीं है. आपअपनी पसंद का कोई काम करके भी अपना मनोरंजन कर सकते हैं, जैसे पेंटिंग, सिंगिंग कुकिंग आदि. यह आपको ज्यादा अच्छा महसूस कराएगा.
5. सुबह-सुबह टहलना भी दिमाग की थकान को कम कर सकता है. दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए पढ़ना आपकी एकाग्रता, नींद के पैटर्न में निश्चित रूप से सुधार कर कसता है.
6. एक रिमांइडर सेट करें कि दिन में कितनी देर आपको स्क्रीन से दूर रहना है. कुछ ऐसी ही योजना आप सप्ताहांत के लिए भी बना सकते हैं, जो बिना तकनीक और बिना गैजेट्स के जीवन से ताल्लुक रखे.
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