Manoj kumar
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रहस्य
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happy life
समाधान बाहर नहीं, हमारे भीतर ही है:
इस उथल-पुथल भरे समय में यदि आप अपनी समस्या का
हल तलाश रहे हैं तो सबसे जरूरी है खुद के प्रति सजग रहने की. इन्सान को छोड़कर किसी
अन्य जीव के पास यह चीज नहीं. गौर करें, बीते दशकों में हमने प्रगति खूब हासिल की
और व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी. पर क्या वास्तव में अंदरूनी बन्धनों यानी संग्रह की
इच्छा, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा आदि से आजाद हो सके हैं हम? यह आपको आध्यात्मिक सवाल
लग सकता है लेकिन इसी आध्यात्मिकता में छिपा है हर मुश्किल का हल. यदि इस समय आप
असुरक्षा डर से ले सकते हैं पर जब खुद पर मुसीबत आती है तो इस दौरान राह में आने
वाले तमाम संकटों का सामना करने वाले भी जीवन की मुश्किलों का हल नहीं खोज पाते,
क्योंकि अंदरूनी बन्धनों से आजादी पर विचार नहीं किया. यदि चिंता हद से अधिक बढ़ती
है तो हो सकता है डॉ. दवा दें और आप कुछ समय के लिए ठीक हो जाए. अपने अंदरूनी
बन्धनों की जकड़न को तोड़ने की शक्ति हमेशा हमारे पास है. बस अधीरता पर विजय पा लें,
संकल्प मजबूत रखें. यह सब अपने जीवन के अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ और ऐसे
अनुभवों की कमी नहीं यहाँ.
क्या कर सकते हैं :
ü भौतिक साधनों से ख़ुशी को न जोड़ें, मुश्किल समय में अपने प्रयासों पर केन्द्रित रहें.
ü अपने लिए नियमित रूप से कुछ समय जरूर निकालें. किसी शान्त जगह पर बैठें, मन की स्थिति पर तटस्थ होकर विचार करें.
ü कोई मेंटर या गुरु जरूर हो, जिनसे मन की उलझन, चिंता शेयर कर सकें.
ü प्रकृति से जुड़े. वायु-स्नान, घास पर नंगे पाँव चलना और इसे महसूस करना आदि जैसे प्रयास जीवन का स्वीकारने के लिए प्रेरित करेंगे.
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