immunity booster food during covid 19 II कैसा भोजन करना चाहिए II covid immunity food II इम्युनिटी मजबूत तो हर बीमारी रहेगी दूर II corona immunity food II
यह बात सदियों से कही जा रही है कि स्वस्थ
शरीर ही (covid immunity foods) बीमारियों से बचाव कर सकता है और स्वस्थ
शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है, लेकिन मौजदा परिदृश्य में जबकि
देश-दुनिया में कोरोना का असर बढ़ रहा है, एक बार फिर रोग (covid
immunity boosting foods) प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने की जरूरत पर चर्चा
शुरू हो गई है.........
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immunity booster foods |
कोरोना वायरस corona
virus (कोविड-19, covid-19) से दुनिया के आधे से ज्यादा देश प्रभावित
हैं. भारत में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं. यह देखा जा रहा है कि कमजोर प्रतिरोधक
क्षमता वाले रोग इस तरह के (immunity booster food for covid 19) वायरस से कहीं
जल्दी संक्रमित हो जाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बीमारी का वायरस
शरीर पर तभी हमला कर पाता है, जब हमारी रोगों पर तभी हमला कर पाता है, जब हमारी
रोगों से लड़ने की क्षमता (जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता immunity
power भी
कहते हैं) कमजोर होती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के लिए रक्षा कवच की
तरह काम करती है, जिसके कमजोर होने पर ही वायरस या बीमारी रूपी दुश्मन शरीर में
प्रवेश कर पाते हैं. मौसम बदलने पर होने वाला फ्लू ही नहीं, टीबी और
कैंसर जैसी बीमारियों की वजह भी कमजोर इम्युनिटी weak immunity
power या
रोग, प्रतिरोधक क्षमता को माना गया है. यह (covid 19 immunity
boosting food in hindi) तो तय है कि आहार, व्यवहार और जीवन
शैली (लाइफ style) ने हम सबकी इम्युनिटी को (immunity
boosting foods during covid) प्रभावित किया हैं, जिसकी वजह से पहले की
अपेक्षा बीमारियों का हमला जल्दी हो जाता है और ठीक होने में भी उतना ही
समय लगता है लेकिन अगर बहुत छोटे-छोटे पर व्यवहार में शामिल कर लिए जाए तो कोरोना (corona) ही नहीं, अन्य कई
तरह के वायरल फ्लू, संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है, (रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ) जिसका राज हमारे (प्रतिरोधक
क्षमता बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा) रसोई और किचेन गार्डन में मौजूद है.
एक नजर रसोई (kitchen food) पर :
किचेन की दरवाजा खोलिए और (corona ke liye bhojan ka niyojan)
एक नजर मसालों के डिब्बों पर डालिए.
मेथीदाना, सरसों, हिंग, राई, पंचफोरन (Methidana, Mustard, Hing,
Rye, Panchforan)
सहित अदरक और लहसुन, आम दिनचर्या में प्रयोग किए जाने वाले ये मसाले
बेहतरीन इम्यून बूस्टर (immun booster)
मतलब रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले कहे जा सकते हैं. इन सभी का प्रयोग से किया जाए तो ये अधिक कारगर हो सकते हैं.
अदरक का सेवन मौसम (corona bhojan kaisa karna hai) के साथ होने वाले वायरस संक्रमण से बचाता है,
मेथीदाना कैंसररोधी (Fenugreek anticancer use) होता है
तो वहीँ पंचफोरन का इस्तेमाल ही रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है. मसालों के अलावा फल व सब्जियां भी पौष्टिक
विकल्प के रूप में प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में
कारगर साबित हुए हैं. नींबू, चुकन्दर, संतरा, खीरा, बादाम, अखरोट के अलावा
मौसमी फल अमरूद और कीवी(Lemon, Beetroot, Orange, Cucumber, Almond, Walnut seasonal fruit Guava and Kiwi)
का नियमित सेवन भी बीमारियों को नजदीक नहीं आने देता. विशेषज्ञों (कोरोना वायरस का इलाज) का एक बड़ा समूह
अब इलाज के साथ ही संक्रमण और
बीमारियों से बचाव की पैरवी करने लगा है, जो महंगे इलाज से कहीं अधिक बेहतर हैं.
दवाओं से तैयार रक्षा कवच : medicine shield
एलोपैथ में इम्युनिटी मजबूत करने के (कोरोना वायरस का इलाज क्या है) कई विकल्प है.
इस बारे में राममनोहर लोहिया हास्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. राजेश तनेजा कहते हैं,
‘विटामिन सी और विटामिन बी 12टेबलेट्स (Vitamin C and Vitamin B12 Tablets)
को काफी समय से इम्यून बूस्टर (Immune boosters)
माना गया है हमारे पास अब ऐसे कई स्वस्थ मरीज आते हैं जो नियमित स्वास्थ्य जाँच
के बाद अपनी सेहत को लेकर संजीदा होते हैं.
ऐसा 40 साल की उम्र के बाद वाले
युवाओं में अधिक देखा जा रहा है. बुजुर्गों को मौसम बदलने के
साथ हमला करने वाले संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीग्रिप इंजेक्शन
(Vaxigrip Injection) लगाने की सलाह दी जाती है,
जो फ्लू के स्टेन के आधार पर बनाएं जाते हैं. हर साल बाजार में आने वाले वैक्सीग्रिप वैक्सीन
(Vaxigrip Injection) बदले स्टेन के साथ लाँच किए जाते हैं,
जिससे वायरस के संक्रमण के खिलाफ शरीर में अप्राकृतिक रक्षा कवच तैयार किया जा सकता है.’
5 का पंच : इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय, इम्यूनिटी
बढ़ाने के उपाय इन हिंदी, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड
ü चुकन्दर का जूस खून बढ़ाने में कारगर होता है.
ü नींबू और दही विटामिन सी के भरपूर स्रोत है. इन्हें भोजन में नियमित रूप से शामिल करें.
ü मौसमी फल, संतरा, कीनू और आंवले का मुरब्बा इम्युनिटी (इम्यूनिटी बूस्टर) मजबूत करते हैं. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फलों का एकत्रीकरण.
ü ग्रीन टी और लेमन टी भी इम्युनिटी मजबूत करने में कारगर होते हैं.
ü जीरा और अजवैन इम्यून बूस्टर का काम करते हैं. इन्हें पानी में उबालकर छानकर पीएं, किसी मौसम में वायरस संक्रमण नहीं होगा.
होम्योपैथी भी सहायक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में : रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली होम्योपैथिक दवाएं,
Homeopathic medicines that increase immunity
होम्योपैथी में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के बेहतर विकल्प हैं. सबसे पहले तो यह भ्रम दूर करना है कि यह पैथी बहुत धीरे काम करती है. इस बारे में केन्द्रीय होम्योपैथी शोध संस्थान के डॉ. आर. के. मन चन्दा कहते हैं, ‘किसी भी साधारण दवा की तरह होम्योपैथी में भी वायरोलाजी का अध्ययन किया जाता है, जिसके आधार पर डाल्यूशन बनाया जाता है, यह दो से तीन घंटे में असर दिखाना शुरू कर देते है. साधारण इन्फ्लुएंजा में या इम्युनिटी मजबूत करने के लिए होम्योपैथी में आर्सेनिक अल्बुम-200, युपिटोरियम 200 और चायना-200 (In Homeopathy, Arsenic album-200, Yupiterium 200 and China-200) का एक साथ सुबह दोपहर और शाम को सेवन किया जा सकता है. इसके दस मिनट बाद बेलाडोन-200 और रस्कटोस्क-200 (Belladon-200 and Raskatosk-200) का तीनों समय सेवन करना है. रात में सोते समय केवल नक्सवानी-200 का सेवन किसी भी तरह के संक्रमण और बीमारी से बचा सकता है. हालाकि ये सभी दवाएं सुरक्षित हैंबावजूद इसके सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना उचित है. बेलाडोन गले में खराश दूर करती हैं, रात्रि में ली जाने वाली नक्सवानी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करती हैं.’
ध्यान से बढ़ती है इम्युनिटी :
सिर्फ दवाएं या जड़ी-बूटियां ही
नहीं बल्कि योग-ध्यान की मदद से भी आप अपनी इम्युनिटी को मजबूत कर
सकते हैं. इस बारे में लाइफ कोच और मेडिटेटर अमरजीत सिंह बाताते हैं, ‘मानसिक
स्वास्थ्य से शारीरिक स्वास्थ्य का गहरा ताल्लुक होता है. कभी-कभी पाँच मिनट
आंख बंद करके बैठने को ध्यान नहीं कहा जा सकता. यदि नियमित ध्यान का अभ्यास किया
जाए, तो शरीर की सभी इन्द्रियों को साधा जा सकता है और साँस को नियंत्रित किया जा
सकता है. रक्त में मौजूद सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या से भी व्यक्ति की रोत
प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति का पता लगाते हैं, जिसके कम होने पर ही आसानी से कैंसर
का भी हमला हो सकता है, जबकि लाल रक्तकणिकाएं हिमोग्लोबिन के लिए
तथा प्लेटनेस खून जमने में कारगर हैं. इन तीनों का अपना महत्त्व है, ध्यान
में सभी इन्द्रियाँ नाभि में केन्द्रित होती भी माना गया है. ध्यान
के प्रारंभ के दस मिनट के बाद मनुष्य अचेतन अवस्था में चला जाता है, जहाँ से तनाव
के कारक प्रोटीन का स्तर कम होने लगता है. नियमित अभ्यास के बाद तनाव का
स्तर शून्य से माइनस हो जाता है और इसका असर श्वेत रक्त कणिकाओं की
संख्या पर पड़ने लगता है.
सदियों पुराना, रामबाण इलाज :
आयुर्वेद सबसे पहले रोग
प्रतिरोधक क्षमता के विषय को परिभाषित किया गया, क्योंकि यहाँ
केवल बीमारी का नहीं बल्कि रोगी के आचार, विचार
और व्यवहार का भी इलाज किया जाता है. इसमें इलाज की प्रक्रिया के बारे में अखिल
भारतीय आयुर्वेदिक शोध संस्थान (All india ayurvedic research
institute) के पंचकर्म विभाग (Panchakarma
Department) के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार भाटेड बताते
हैं, ‘पंचकर्म प्रक्रिया
शरीर से टॉक्सिन या रासायनिक तत्वों को निकालकर शरीर
को मजबूती प्रदान करती है. जड़ी-बूटियों और औषधिय पौधों
(Herbs and Medicinal Plants) से तैयार च्यवनप्रश
च्यवनप्रश को सदियों से बीमारियों से लड़ने का रामबाण माना गाया है, त्रिफल, अश्वगंधा, आंवला (Triphal,
Ashwagandha, Amla) का प्रयोग इम्युनिटी मजबूत
करता है. अब यह बात लोगों को समझ आने लगी है और अधिकांश लोग सप्ताह भर तनाव भरा
काम करने के बाद वीकेंड पर पंचकर्म कराने के लिए आते हैं.’
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