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शनिवार, 4 जुलाई 2020

कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य का विशेष रखे ख्याल

Manoj kumar

कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य का विशेष रखे ख्याल

एक पुराणी कहावत है कि मन हारे हार है और मन के जीते जीत. ठीक इस समय जो सकंट की घड़ी है, जिसमें कोरोना से ज्यादा उसका भय लोगों में व्याप्त हो रहा है. जितनी सावधानी नहीं रख रहे, उससे ज्यादा उसका तनाव हो रहा है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एडवाइजरी जारी कर रहा है कि हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा, वातावरण को स्वच्छ और मन को स्वस्थ रखना होगा.

युवाओं को हो सकती है ज्यादा दिक्कत :

सभी उम्र के लोग कोरोना वायरस के प्रसार के बारे में चिंतित हैं. किशोर अवस्था के लोग तीव्रता से भावनाओं का अनुभव करते हैं. यदि आप किसी ऐसे किशोर की परवरिश, शिक्षा या देखभाल कर रहें हैं, जो इसके बारे में बहुत घबराहट महसूस कर रहा है तो आप इन चीजों को अपना सकते हैं.

इन उपायों को जरूर अपनाना चाहिए :

मनोवैज्ञानिकों के लिए चिंता केवल अस्वास्थ्यकर होती है. कई बार यह खतरे की अनुपस्थिति में होती है,जबकि चिंता करने का कोई कारण नहीं होता है. यह उसी तरह से है जैसे एक किशोर के लिए मामूली प्रश्नोत्तरी आतंक का कारण बन जाती है. हम किशोरों को उचित स्तर पर कोरोना वायरस के बारे में अपनी चिताओं को रखने में मदद कर सकते हैं. हम कह सकते हैं कि कोरोना वायरस के जोखिम को कम करने के लिए अपने हाथों को साफ रखें और चेहरे को न छुएँ. साथ ही पर्याप्त नींद लेकर भी अपने शरीर की प्रतिरक्षा बेहतर की जा सकती है. इससे भी चिंता कम होती है.

इस बुरे समय में मदद की ओर हाथ बढ़ाना चाहिए :

शोध बताते हैं कि कठिन समय में जब किशोर दूसरों की मदद करते हैं तो वे अच्छा महसूस करते हैं. दक्षिणी पोलैण्ड में जब 2006 की बाढ़ के दौरान एक छोटा सा गाँव तबाह हो गया था. अध्ययन में पाया गया कि किशोरों ने बाढ़ पीड़ितों को सामाजिक स्तर पर सबसे अधिक सहायता प्रदान की,वे स्वयं के जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता के बारे में सबसे अधिक आत्मविश्वास से भरे थे. हम किशोरों को याद दिला सकते हैं कि न केवल खुद की सुरक्षा के लिए बल्कि सभी के लिए स्वास्थ्य सिफारिशों का पालन करते हैं.

ध्यान बंटाएं :

जब हम खतरे के बारे में सोचते हैं तो चिंता बढती है और जब हम अपना ध्यान कहीं और लगाते हैं, तो यह कम हो जाता है. कुछ किशोरों के लिए यह मुश्किल हो सकता है कि वे कोविड-19 के बारे में ध्यान न दें, क्योंकि यह विषय सुर्ख़ियों और सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. इसके अलावा, कोरोना वायरस के बारे में जानकारी की निरंतर उपलब्धता है. अनुसन्धान से पता चलता है कि संभावित खतरे के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने से लोगों को बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है, लेकिन अस्पष्ट जानकारी चिंता को कम करने की जगह इसे बढ़ा भी सकती है. उन्हें याद दिलाएं कि अफवाहों या अविश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा न करें.

अपनी चिंता का समाधान करें:

चिंताग्रस्त माता-पिता किशोरों की चिंताओं को भी बढ़ा देते हैं. एक शोध के अनुसार, किशोर उस वक्त वयस्कों को घबराहट या निश्चिन्त होने के इशारे देते है, जब वे कुछ नया करते हैं. वहीँ माता-पिता जब भयभीत होते हैं तो इसे अपने बच्चों से अलग रखते हैं. जब अपनी चिंता अधिक हो, तो आश्वस्त करने वाले शब्दों की पेशकश करना बहुत अच्छा नहीं होता है.किशोरों की चिंताओं को कम करने के लिए पहले वयस्कों को अपनी चिंता कम करनी चाहिए.

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