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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

कॉर्न सूप : sweet corn soup recipe in hindi II sweet corn recipe in hindi II कॉर्न रेसिपी इन हिंदी II मक्का के दाने की रेसिपी II भुट्टे की रेसिपी II bhutte ki recipe II bhutte ki recipe in hindi

Manoj kumar

कॉर्न सूप : sweet corn soup recipe in hindi II sweet corn recipe in hindi II कॉर्न रेसिपी इन हिंदी II मक्का के दाने की रेसिपी II भुट्टे की रेसिपी II bhutte ki recipe II bhutte ki recipe in hindi 

    
कॉर्न सूप : sweet corn soup recipe in hindi II sweet corn recipe in hindi II कॉर्न रेसिपी इन हिंदी II मक्का के दाने की रेसिपी II भुट्टे की रेसिपी II bhutte ki recipe II bhutte ki recipe in hindi

                  कॉर्न सूप


सामाग्री :

ü छह बड़े ताजे भुट्टे

ü तीन चौथाई टीस्पून अजीनोमोटो पाउडर

ü आधा टीस्पून सोया सौस

ü दो टेबल स्पून चीनी

ü नमक स्वादानुसार

ü परोसने के लिए सिरके वाली हरी मिर्च व चिली सौस

विधि :

  ü भुट्टों को कस लीजिए. कुछ साबुत दाने अलग निकाल लीजिए. छह टी-कप पानी     डालकर प्रेशर कुकर में पकाइए.

ü मक्के के आटे को दो टी-कप ठंडे पानी में घोलने के बाद, इसे पके हुए भुट्टे के मिश्रण में मिलाकर उबलने के लिए रख दीजिए. अब इसमें चीनी, नमक और अजीनोमोटो पाउडर डालिए.

ü कम से कम आधे घंटे तक उबालकर. फिर सोया सौस मिलाइए.

ü सिरके की मिर्च व चिली सौस के साथ गरमागरम परोसिए. 


गुरुवार, 30 जुलाई 2020

आप जहाँ खड़े हैं कदम वहीँ जमादें II happy life II happy life status II happy life status in hindi II positive life status in hindi II true lines about life in hindi II touching lines on life in hindi II happy life management II हैप्पी लाइफ स्टेटस इन हिंदी II हैप्पी लाइफ स्टेटस इन हिंदी II फीलिंग हैप्पी स्टेटस इन हिंदी II सबक सिखाने वाले स्टेटस

Manoj kumar

आप जहाँ खड़े हैं कदम वहीँ जमादें II happy life II happy life status II happy life status in hindi II positive life status in hindi II true lines about life in hindi II touching lines on life in hindi II happy life management II हैप्पी लाइफ स्टेटस इन हिंदी II हैप्पी लाइफ स्टेटस इन हिंदी II फीलिंग हैप्पी स्टेटस इन हिंदी II सबक सिखाने वाले स्टेटस

कठिनाइयाँ कभी स्वागत करने योग्य तो नहीं होतीं पर वे हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा है. आप चाहें न चाहें, ये आकर रहती हैं. फ्रायड ने संकट के समय इन्सान की शोक-मनोदशा पर कहा कि इस दौरान कुछ लोग ठहर जाते हैं तो कुछ गहरे अवसाद में चले जाते हैं. केवल बाहरी ही नहीं, उनकी भीतरी दुनिया भी शोकमय हो जाती है. पर भीतर पैदा हुआ यह संकट बाहरी संकट से अधिक शक्तिशाली होता है. इसलिए जब कभी ऐसा दोतरफ़ा संकट महसूस करें तो आपको अपने ‘एटीट्यूड’ पर काम करना चाहिए. कई बार ऐसा होता है जब दुर्घटना को देखने का एक नजरिया भी बड़ी से बड़ी मुसीबत का रुख मोड़ सकता है. फ़िलहाल तो आपका यही नजरिया हो कि अभी जहाँ आप खड़े हैं, जिस स्थिति में है वहाँ पाँव जमाने का प्रयास करें. यह तो बेहद आसान है कि हम भविष्य की योजनाओं और अतीत के दिनों में झूलते रहें और विलाप में समय गँवा दें. वैसे, इसका अर्थ यह नहीं है कि भविष्य की योजना बनाना बंद कर दें पर अभी हमें इस संकट से उबरना है. इसके लिए जरूरी संसाधन इस पल में ही मिलेंगे. जब पल में कदम जमाने का अभ्यास करेंगे. जब पल में कदम ज़माने का अभ्यास करेंगे तो आपके एहसास, भावनाएं भी वहीँ रहने लगेंगी. भले ही आप असहाय और निराशा महसूस करें, यह अभ्यास करने से एक खास तरह की उर्जा महसूस होगी. याद रखें कि आप यह एक खास उद्देश्य से कर रहे हैं.


बुधवार, 29 जुलाई 2020

ऐसे बचें दम घुटने से II दमा के शुरुआती लक्षण II दमा के उपचार II Chronic obstructive pulmonary disease II chronic obstructive pulmonary disease (copd) II chronic obstructive pulmonary disease treatment II lung disease symptoms II दमा के लक्षण हिंदी II दमा खांसी II अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है II अस्थमा कैसे फैलता है

Manoj kumar

ऐसे बचें दम घुटने से II दमा के शुरुआती लक्षण II दमा के उपचार II Chronic obstructive pulmonary disease II chronic obstructive pulmonary disease (copd) II chronic obstructive pulmonary disease treatment II lung disease symptoms II दमा के लक्षण हिंदी II दमा खांसी II अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है II अस्थमा कैसे फैलता है

ऐसे बचें दम घुटने से II दमा के शुरुआती लक्षण II दमा के उपचार II Chronic obstructive pulmonary disease II chronic obstructive pulmonary disease (copd) II chronic obstructive pulmonary disease treatment II lung disease symptoms II दमा के लक्षण हिंदी II दमा खांसी II अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है II अस्थमा कैसे फैलता है
 

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease) (सीपीओडी) फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी है. इस मर्ज में फेफड़ों के टिश्यूज के क्षतिग्रस्त होने के परिणामस्वरूप पीड़ित व्यक्ति अच्छी तरह से साँस नहीं ले पाता. कालान्तर में यहस समस्या बद से बदतर होती जाती है.............


68 वर्षीय सुरेन्द्र कुमार अपने बेटे का सहारा लिए खाँसते हुए मेरे क्लीनिक पहुँचे. उस वक्त साँस लेने में उन्हें दिक्कत हो रही थी. चेकअप और जांचों के निष्कर्ष से पता लगा कि वह क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से ग्रस्त हैं और कई महीनों से खाँसी का इलाज भी चल रहा था. वह धुमपान की लत के शिकार थे और पिछले कई महीनों से खाँसी, साँस में तकलीफ और बलगम बनने की शिकायत से ग्रस्त थे. रोगी ने मुझसे पूछा कि मैं कितने में ठीक हो जाऊँगा? इस पर मैंने जवाब दिया कि आपको जो रोग है, उसे काबू में तो रखा जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त (क्योर) नहीं किया जा सकता है. यह सुनकर रोगी के चेहरे पर निराशा नजर आयी, लेकिन मैंने जब रोगी को यह बताया कि सीओपीडी से पीड़ित लोगों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, रोग का प्रबन्धन और उसकी काउंसिलिंग भी की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह बीमारी के होते हुए भी सामान्य जिन्दगी जी सकता है, तब उनका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा. मैंने उन्हें यह भी बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए किस तरह रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है.

लक्षणों के बारे में :

    1.            सबसे पहले रोगी को खाँसी आती है. 

    2.            खाँसी के साथ बलगम भी निकलता है. पीड़ित व्यक्ति की साँस फूलती है.

    3.            रोगी लंबी अवधि तक गहरी साँस नहीं ले पाता. कालान्तर में यह स्थिति बिगड़ती जाती है. व्यायाम करने के बाद तो मरीज की हालत और भी बिगड़ जाती है. 

 4.    सीओपीडी की गंभीर अवस्था कॉरपल्मोनेल की समस्या पैदा कर सकती है. कॉरपल्मोनेल की स्थिति में हृदय द्वारा फेफड़ों को रक्त की आपूर्ति करने में उसे अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ता है. कॉरपल्मोनेल के लक्षणों में एक लक्षण पैरों और टखने में सूजन आना है.

    5.            तेज खाँसी आने से पीड़ित व्यक्ति को कुछ समय के लिए बेहोशी भी आ सकती है.

    6.            मुख्य तौर पर यह बीमारी 40 साल के बाद ही शुरू होती है, लेकिन कभी-कभी इस उम्र से पहले भी व्यक्ति सीओपीडी से ग्रस्त हो सकता है.

    7.            बीमारी को गंभीर स्थिति में रोगी को साँस अंदर लेने की तुलना में साँस बाहर छोड़ने में ज्यादा वक्त लग सकता है.

    8.            रोगी द्वारा थकान महसूस करना और उसके वजन का कम होते जाना.

बेहतर है बचाव :

    1.            डॉक्टर के परामर्श से हर साल इन्फ्लूएंजा की और न्युमोकोकल (न्यूमोनिया से संबंधित) वैक्सिनें लगवानी चाहिए. 

    2.            धूमपान कर रहे व्यक्ति के करीब न रहें. ऐसा इसलिए, क्योंकि जब धूमपान न करने वाले व्यक्ति के लिए कहीं ज्यादा नुकसान देह हो सकता है. 

    3.            धूल, धुएँ और प्रदूषित माहौल से बचें. 

    4.            रसोईघर में गैस और धुएँ की निकासी के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए.

जाँच की बात :

सीओपीडी की सबसे सटीक जाँच स्पाईरोमीट्री नामक परिक्षण है.

इलाज के बारे में :

सीओपीडी को नियंत्रित करने में स्टेरॉयड इनहेलर्स और एंटीकॉललीनेर्जिक टेबलेट्स की भूमिका महत्वपूर्ण है. अधिकतर दवाएं इनहेलर के रूप में इस्तेमाल की जाती है. कभी-कभी सीओपीडी की तीव्रता बहुत बढ़ जाती है, जिसे ‘एक्यूट एक्सासरबेशन’ कहते हैं. इस स्थिति का मुख्य कारण फेफड़ों में जीवाणुओं का संक्रमण होता है. इस संक्रमण के चलते फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है. रोगी के बलगम का रंग बदल जाता है, जो सफेद से रहा या पीला हो जाता है. रोगी तेजी से साँस लेता है और उसके हृदय की धड़कन बढ़ जाती है. यहीं नहीं, ‘एक्यूट एक्सासरबेशन’ की स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. सीओपीडी में मौत होने का मुख्य कारण यही स्थिति होती है. इस गंभीर स्थिति में रोगी को बाईपैप थेरेपी और ऑक्सीजन दी जाती है.   

क्या है कारण :

डॉक्टर का कहना है कि ‘सीओपीडी’ का एक प्रमुख कारण धुम्रपान है. अगर रोगी इस लत को नहीं छोड़ता, तो उसकी बीमारी गंभीर अख्तियार रूप कर सकती है. धूमपान से कालान्तर में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों में सूजन आने लगती है, उनमें बगलम जमा होने लगता है. फेफड़े की सामान्य संरचना विकारग्रस्त होने लगती है. वही जो महिलाएं ग्रामीण या अन्य क्षेत्रों में चूल्हे पर खाना बनाती हैं, उनमें सीओपीडी से ग्रस्त होने के मामले कहीं ज्यादा सामने आते हैं. वहीँ जो लोग रासायनिक संयंत्रों में या ऐसे कार्यस्थलों में कार्य करते हैं, जहाँ के माहौल में कुछ नुकसानदेह गैसें व्याप्त हैं, तो यहाँ स्थिति सीओपीडी के जोखिम को बढ़ा सकती है. इसी तरह सर्दी-जुकाम की पुरानी समस्या भी इस रोग के होने की आशंका को बढ़ा देती है.

इन बातों पर दे ध्यान :-

प्राथमिक लक्षण म: साँस गहरी न ले पाना, खाँसी आना और बगलम बनना.

कारण : प्राथमिक कारण धूमपान करना है. इससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है. अस्थमा (दमा) तो नियंत्रित हो जाता है, लेकिन दमा की तुलना में सीओपीडी को नियंत्रित करना कहीं ज्यादा मुश्किल है. कालान्तर में यह रोग बद से बदतर हो जाता है.

कैसे काबू करें : धूमपान छोड़े. वैक्सीन लगवाएं. रोग से पीड़ित लोगों के पुनर्वास की जरूरत होती है. अक्सर रोगी को ‘इन्हेल्ड ब्राकोडाइलेटर्स’ की जरूरत पड़ती है. कुछ पीड़ित लोगों को लंबे समय तक दी जाने वाली ऑक्सीजन थेरेपी से लाभ मिलता है. रोग की गंभीर स्थिति में फेफड़े के प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता पड़ सकती है.


मंगलवार, 28 जुलाई 2020

सदाबहार हैं बैंबू II बैंबू पाम II बम्बू प्लांट कहा लगाना चाहिए II bamboo palm II bamboo palm benefits II bamboo palm care II bamboo palm plant II कितने बांस डंठल भाग्यशाली हो

Manoj kumar

सदाबहार हैं बैंबू II बैंबू पाम II बम्बू प्लांट कहा लगाना चाहिए II bamboo palm II bamboo palm benefits II bamboo palm care II bamboo palm plant II कितने बांस डंठल भाग्यशाली हो 

lucky plant ke fayde
good luck bamboo

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 क्या आप भाई अक्सर उपहारों के चयन को लेकर परेशान रहती हैं? अगर आपका जवाब हाँ है तो आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. कारण, हमेशा की तरह बुके, डिजाइनर मोमबत्तियां, शो पीसेज जैसी वस्तुओं का चलन बहुत पुराना हो चुका. आजकल उपहार में गुडलक प्लांट्स देना सबसे अच्छा उपहार माना जाता है.
अक्सर चाहे कोई भी हो, जैसे जन्मदिन, शादी, मैरिज एनिवर्सरी, बिजनेस ओपनिंग, बधाई, धन्यवाद, स्वास्थ्य लाभ या प्यार का सन्देश देना हो, दीवाली या कोई भी पर्व-त्यौहार, ख़ुशी का मौका हो, गुडलक बैंबू या अन्य प्लांट्स आदर्श उपहार हैं. दीवाली व नवर्ष के उपलक्ष्य में व्यापार और कार्पोरेट संस्थानों के लिए तो गुडलक प्लांट्स सबसे अच्छे उपहार माने जाते हैं.

गुडलक बैंबू आपके जीवन में सुख, स्वास्थ्य और तरक्की की कामना करते हैं. फेंशगुई के अनुसारगुड लक प्लांट्स शान्ति, सद्भावना, सुरक्षा और उर्जा से भरपूर वातारण का निर्माण करते हैं. शुभकामना के प्रतीक ये बैंबू घर में कहीं भी सजाए जा सकते हैं.

घर में या ऑफिस में रखने से उन्नति की संभावना बढ़ती हजी. कैरियर में सफलता, लंबी आयु की कामना के साथ गुडलक प्लांट्स सकारात्मक सोच में भी आपकी सहायता करते हैं. जीवन में ख़ुशी और समृद्धि की कामना के लिए गुडलक बैंबू की तीन स्टिक्स, अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए इक्कीस स्टिक्स उपहार में भेंट कर सकती हैं. घर में पूर्व की दिशाओं में गुडलक बैंबू रखने पर जीवन में सन्तुलन और सकारात्मक उर्जा की नई अनुभूति होती है. हरे रंग के लंबे, पतले और वर्टिकल गुडलक बैंबू का आपकी उर्जा स्तर, वृद्धि, जीवंतता, शारीरिक सक्रियता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

लाल फीते में लिपटे बैंबू जोश और उमंग के प्रतीक हैं. लाल फीते में बंधे गुडलक प्लांट्स वांछित मनोकामना की पूर्ति की संभावना को कई गुना बढ़ा देती है.


गुडलक बैंबू (good luck bamboo) किसी भी वातावरण में बिना किसी देखभाल के रखे जा सकते हैं. यह अदंर से मजबूत होते हैं, इन्हें सूर्य के प्रकाश की जरूरत नहीं होती है. इन्हें छाया वाले स्थान में रखकर भी पानी देने से ही इनकी वृद्धि हो जाती है. इनमें हर रोज पानी डालने की भी जरूरत नहीं, न ही किसी फर्टिलाइजर की. पौधे के कन्टेनर को एक बार पानी से भरकर छोड़ दें. सप्ताह में एक बार पानी बदल दें. गुडलक बैंबू को जोड़ के नीचे से छोटे टुकड़ों में भी काटा जा सकता है. 

सोमवार, 27 जुलाई 2020

सुखी लाल मिर्च II लाल मिर्च खाने के फायदे II lal mirch II lal mirch powder benefits II lal mirch powder ke fayde II lal mirch powder in hindi II red chilli powder in hindi II red chilli in hindi II dry red chilli in hindi

Manoj kumar

सुखी लाल मिर्च II लाल मिर्च खाने के फायदे II lal mirch II lal mirch powder benefits II lal mirch powder ke fayde II lal mirch powder in hindi II red chilli powder in hindi II red chilli in hindi II dry red chilli in hindi


देश विदेश के भोजन व्यंजनों के साथ मिलकर उनका स्वाद चटख बनाने में खूब योगदान देती रही है खूबसूरत रंगत और तेज झार वाली लाल मिर्च.......

लाल मिर्च


लाल छड़ी मैदान खड़ी :-


नई दुनिया से पहुंची नवेली लाल मिर्च ने बहुत जल्दी मसालों की दुनिया की शाहजादी काली (सियाह) मिर्च को भीतर रसोई से बेदखल  कर दिया. आज इसके मायके मैक्सिको के खान-पान से कहीं अधिक करीबी नाता भारतीय भोजन के साथ जुड़ चुका है. भारतीय उपमहाद्वीप के के लगभग हर प्रान्त तक यह पहुंच चुकी है और कई ‘स्थानीय’ प्रजातियाँ स्वदेशी संतानें बन चुकी हैं.


किस्में है कई तरह के :


राजस्थान की सुर्ख नागौरी, जोधपुर की राजसी मैथानी इस इलाके के मुँह को झुलसा देने वाले ‘लाल मांस’ के साथ अभिन्न रूप से जुड़ी है. यहीं हरी मोटी और नाम मात्र की तीखी मिर्चों से दर्जन प्रकार के मिर्ची बड़ा बनाए जाते हैं जिनके पेट में मसालेदार आलू की पीठी भरकर बाहर बेसन की हल्की परत चढ़ाकर तला जाता है. महाराष्ट्र में कोल्ह्पुर की ‘संकलेश्वरी’ मिर्च मशहूर है जो ‘लाल रस्से’ में जान डालती है. जिसका ताप कम करने के लिए मुँह में तत्काल ‘सोलकड़ी’ डालने की जरूरत पड़ती है. ‘लंका’ नाम की छोटी गोलाकार पर बेहद तीखी मिर्च का साम्राज्य बंगाल में फैला है. इसे अंग्रेजी में ‘बोर्ड चिली, कहते हैं और यह थाईलैंड तथा वियतनाम में भी बहुत लोकप्रिय है. भारत के पूर्वोत्तरी राज्यों में पैदा होती है. ‘भूत झोलिया’ जिसके अन्य नाम नागा मिर्ची और राजा मिर्ची है. सीए संसार की सबसे तीखी मिर्च माना जाता है मैक्सिको को ‘जलापैनो’ से कहीं अधिक तेज. नेपाली इसे ‘डल्ला’ पुकारते हैं. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह पुर्तगालियों के आने के पहले से यहाँ विद्दमान थी. यह सुझाना तर्कसंगत लगता है क्योंकि भूटान के दुर्गम इलाके में ‘एमा दात्सी, नामक व्यंजन बनाया जाता है जिसमें सिर्फ याक दे दूध का पनीर और मिर्च पड़ती हैं. जाहिर है किआम देहाती भोजन दक्षिण अमेरिका की आयात पर निर्भर नहीं हो सकता था.


हर डिश बन जाए हिट :


सबसे कम तीखी और रंग के लिए जानी जाने वाली लाल मिर्च कश्मीरी मिर्च हा जो गोलाकार भी होती है और लंबी भी. कश्मीरी वाजवान में ‘मर्त्वांगन कोरमा’ का ख़ास स्थान है जिसके नाम से ही यह संकेत मिल जाता है कि इसमें मांस की जुगलबंदी मिर्च के साथ साधी जाती है. ‘रोगन जोश’ और कोफ्ते जैसे कई अन्य व्यंजनों में भी इसका इस्तेमाल होता है. मध्य प्रदेश की सैलाना रियासत के शाही मेनू में ‘हरी मिर्च  का कीमा’ नायाब समझा जाता है. अवध के नफासतपसंद बावर्ची अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए लाल नहीं पीली मिर्च का इस्तेमाल करना पसंद करते रहे हैं. यह मिर्च हरी को लाल होने तक सुखाए जाने के पहले ही बटोर ली जाती है. उत्तराखण्ड में पैदा होने वाली मिर्चें मौसम के कारण सुर्खी पकड़ ही नहीं पातीं.

हर थाली की शोभा :


आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘गुंटूर’ और रसमपत्ती तो कर्नाटक में ‘बडगी’ नामक लाल मिर्च को उत्तम समझा जाता है. तमिलनाडु में दही में भिगोकर सुखाई गई मिर्च मद्रासी पत्तल की शोभा बढ़ाती है. दक्षिण के भोजन में लाल मिर्च का इस्तेमाल खुले हाथ से होता है. आन्ध्र प्रदेश का ‘पोडी मसाला’ विदेशों में ‘गनपाउडर’ यानी बारूद के नाम से पहचाना जाता है. इसे गीले भात के साथ थोड़ा सा नमक तथा तेल की कुछ बूंदे मिलाकर भरपेट खया जा सकता है. वास्तव में महाराष्ट्र के खानादेश वाले इलाके में लहसुन-लाल मिर्च का थेचा हो या उत्तर भारत में लाल मिर्च-प्याज की चटनी यही गरीबपरवर भूमिका अदा करते रहे हैं. साधन सपन्न ही नहीं वंचित वर्ग भी हरी और लाल मिर्च के अचार के साथ रूखी या चुपड़ी रोटी के निवालों का आनंद ले सकता है. हरी मिर्च का सरसों वाला तथा लाल मिर्च का भरवाँ गोरखपुरी-बनारसी अचार तो विश्वविख्यात है.

बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि जिस पैकेटबंद लाल मिर्च के पाउडर का हम रोज इस्तेमाल करते हैं वह कई प्रकार की लाल मिर्च का मिश्रण होता है जिसमें विभिन्न प्रजातियों को तीखेपन, रंग और स्वाद के लिए संतुलित मात्रा में मिलाया जाता है-कुछ वैसे ही जैसे चाय की पत्तियों और कॉफ़ी की बीजों को. 17 वीं.-18वीं सदी के दखनी भक्त कवि पुरंदरदास ने ‘पल-पल रंग बदलती कभी हरी, पिली और फिर लाल मिर्ची, की प्रशंसा में एक स्तुति गान रचा है जहाँ कहा गया है कि ‘यह गरीबों की वफादार मित्र है, स्वाद में लुभाने वाली पर ऐसी तीखी की कुछ पल के लिए विट्ठल का भजन तक भुला देती है. मिर्च के महिमामंडन के लिए हमें हिन्दी फ़िल्मी गानों - ‘लाल छड़ी मैदान खड़ी या हाय मिर्ची. हाय हम मिर्ची.’ सरीखे- से यह रचना खाई अधिक सार्थक लगती है.

रविवार, 26 जुलाई 2020

ताजगी का खजाना II pudina ke fayde II pudina ke fayde skin ke liye II pudina ka pani pine ke fayde II pudina ka pani kaise banate hain II pudina ka pani for pani puri

Manoj kumar

ताजगी का खजाना II pudina ke fayde II pudina ke fayde skin ke liye II pudina ka pani pine ke fayde II pudina ka pani kaise banate hain II pudina ka pani for pani puri


 pani puri sweet water recipe II पुदीना की चटनी II पुदीना की चटनी के फायदे II पुदीना के औषधीय उपयोग II सूखा पुदीना II सूखा पुदीना के फायदे II पुदीना की तासीर II पुदीने का पानी पीने के फायदे II पुदीना का जूस पीने के फायदे II पुदीना का जूस कैसे बनाते हैं II peppermint in hindi II peppermint ke fayde II pudina tel ke fayde II how to make peppermint oil in hindi II peppermint benefits II peppermint oil benefits II peppermint oil uses for skin II 

पुदीना धनिया की चटनी II पुदीना धनिया की चटनी कैसे बनाएं II मिंट के फायदे II पुदीना का जूस पीने के फायदे


खाद्द और पेय पदार्थों का स्वाद बढ़ाने के साथ ही आयुर्वेद की किताबों तक को ताजगी से भर देती है पुदीने की खुशबू. इस बारामासी मसाले की खूबियाँ इतनी ज्यादा हैं कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इसकी दीवानी है......

मिं, peppermint
पुदीना की तासीर


पुदीने के हरे पत्ते हमें तब याद आती है जब हरी चटनी बनाते वक्त वे नजर न आ रहे हों और हमें अपना काम धनिया और हरी मिर्च से ही चलाना पड़ रहा हो. हकीकत यह है कि पुदीने के अभाव में हरी चटनी निष्प्राण सी लगती है. विडंबना यह भी है कि खाने को सनसनाती ताजगी से भरने वाला पुदीना अक्सर मसालों में नहीं गिना जाता. इसे ज्यादातर लोग सजावट के लिए ही इस्तेमाल करते हैं.

स्वाद और सुगन्ध का बेजोड़ नमूना :

पुदीना जिसे अंग्रेजी में मिंट कहते हैं मैथा नामक पौधे से प्राप्त होता है जिसकी अनेक प्रजातियाँ हमारी देश में पाई जाती है. ऐसा नहीं कि लोगों को पुदीना के स्वाद और सुगन्ध का पता नहीं है. अवध के खाने में पुदीने के ताजे या सूखे पत्तों का इस्तेमाल खुले हाथ से किया जाता रहा है. शामी कबाब की लज्जत इसी से किया जाता रहा है. शामी कबाब की लज्जत इसी से बढती है तो बिरयानी और पुलाव में पुदीना महकता है. यही बात हैदराबाद के दस्तख्वान के बारे में भी कही जा सकती है. केरल में ईसाई समुदाय जो पारंपरिक लैब रोस्ट बनाता है उसका साथ निभाने के लिए मिंट सॉस ही बनाया जाता है. ऐसा जान पड़ता है कि इस रूप में पुदीने का प्रयोग उन्होंने उन उपरोपीय सौदागरों से सिखों जिनसे उनका संपर्क देश के दूसरे हिस्सों से पहले हुआ था. बाकि बहुत सारे मसाले तो उनके अपने ही प्रान्त के थे इसीलिए पुदीना उन्हें आकर्षक लगा.


संकटमोचन पेय की जान :


पश्चिम में जहाँ सुखी वनस्पतियों और बूटियों का महिमामंडन किया जाता है वहाँ पुदीना तुर्की से लेकर इटली और फ़्रांस तक समान रूप से लोकप्रिय है. पुदीने से गर्मी का ताप दूर भगाने वाला शरबत भी बनाया जाता है, जिन्हें तुर्की में जुलाब कहते हैं. इसे मूल फारसी गुलाब का अपभ्रंश माना जाता है. अमेरिका के दक्षिणी प्रान्तों में जहाँ गर्मी ज्यादा पड़ती हजी, वहाँ मिंट जुलैप नामक कॉकलेट बनाया जाता है. कद्दूकस की गई बर्फ के ऊपर स्थानीय बॉरबोन व्हिस्की उड़ेलकर उसमें पुदीने के सत्व डालकर यह रहा-भरा ताप निवारक संकटमोचन पेय तैयार होता है. फ्रांस में खाने के बाद कुछ मीठा-हल्का मादक पेय पीने का दस्तूर है. इनमें से एक क्रैम द मेन्थ नामक पेय हैं जो पन्ने जैसा हरे रंग का होता है और खान-पान के शौक़ीन लोगों के लिए उस रत्न जितना ही मूल्यवान होता है.

आयुर्वेद से रसोई तक फैली महक :


आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना पाचक और वमन निरोधक गुणों वाला होता है इसलिए वैद्द हल्के पेट  दर्द या अपच के उचार के लिए पुदीना हरा नमक औषधीय देते रहे हैं. यहाँ प्रसंगवश यह उल्लेख जरूरी है कि एक बार जब उत्तर प्रदेश के शराबबंदी सख्ती से लागू की गई तब कई शराबी पुदीने हरे की छोटी-छोटी शीशियों को ही हलक के नीचे उतार अपनी तलब मिटाते थे. अब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी प्राकृतिक उपचार के नाम पर पुदीना हरा बाजार में उतार चुके हैं. खाँसी में भी पुदीना लाभदायक माना जाता है. खाँसी की मीठी गोलियों में पुदीने का तेल अनिवार्यत: रहता है. स्वाद को सुवासित बनाने के लिए कई लोग च्युइंग खाते हैं जिसके असर की बुनियाद स्पीयरमिंट नामक जंगली पुदीने पर ही टिकी रहती ही. विदेश में पुदीने का रुतबा देख हमारे देश में भी अब अनेक गृहणियाँ और पेशेवर शेफ पुदीने को मसाले के रूप में काम लाने लगे है. रायता और सलाद में सूखे मसाले और सजावट के साथ-साथ चबाने के लिए भी ताजे पुदीने की पत्तियां नजर आने लगी हैं.

शनिवार, 25 जुलाई 2020

समाधान बाहर नहीं, हमारे भीतर ही है II जीवन को सरल कैसे बनाएं II जीवन को सफल बनाने के उपाय II happy life II live a happy life II khushi se kaise jiye

Manoj kumar

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                                                         happy life



समाधान बाहर नहीं, हमारे भीतर ही है:


इस उथल-पुथल भरे समय में यदि आप अपनी समस्या का हल तलाश रहे हैं तो सबसे जरूरी है खुद के प्रति सजग रहने की. इन्सान को छोड़कर किसी अन्य जीव के पास यह चीज नहीं. गौर करें, बीते दशकों में हमने प्रगति खूब हासिल की और व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी. पर क्या वास्तव में अंदरूनी बन्धनों यानी संग्रह की इच्छा, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा आदि से आजाद हो सके हैं हम? यह आपको आध्यात्मिक सवाल लग सकता है लेकिन इसी आध्यात्मिकता में छिपा है हर मुश्किल का हल. यदि इस समय आप असुरक्षा डर से ले सकते हैं पर जब खुद पर मुसीबत आती है तो इस दौरान राह में आने वाले तमाम संकटों का सामना करने वाले भी जीवन की मुश्किलों का हल नहीं खोज पाते, क्योंकि अंदरूनी बन्धनों से आजादी पर विचार नहीं किया. यदि चिंता हद से अधिक बढ़ती है तो हो सकता है डॉ. दवा दें और आप कुछ समय के लिए ठीक हो जाए. अपने अंदरूनी बन्धनों की जकड़न को तोड़ने की शक्ति हमेशा हमारे पास है. बस अधीरता पर विजय पा लें, संकल्प मजबूत रखें. यह सब अपने जीवन के अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ और ऐसे अनुभवों की कमी नहीं यहाँ.

क्या कर सकते हैं :

ü भौतिक साधनों से ख़ुशी को न जोड़ें, मुश्किल समय में अपने प्रयासों पर केन्द्रित रहें. 
ü अपने लिए नियमित रूप से कुछ समय जरूर निकालें. किसी शान्त जगह पर बैठें, मन की स्थिति पर तटस्थ होकर विचार करें. 
ü कोई मेंटर या गुरु जरूर हो, जिनसे मन की उलझन, चिंता शेयर कर सकें. 
ü प्रकृति से जुड़े. वायु-स्नान, घास पर नंगे पाँव चलना और इसे महसूस करना आदि जैसे प्रयास जीवन का स्वीकारने के लिए प्रेरित करेंगे.