Manoj kumar
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष चकित कर रहे
हैं छोटे-छोटे बालक-बालिका के योगासन
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 June |
लॉकडाउन के बीच बच्चों ने बहुत कुछ सीखा
है. उन्हें अपनी सेहत का ध्यान भी रखना आ गया है. इसका नमूना उनका घर में रहकर योग
व मेडिटेशन करना है. इससे न सिर्फ उनके तन-मन को नई स्फूर्ति मिल रही है, बल्कि
जीवन में अनुशासन भी आया है. यही नहीं कुछ तो शोसल मिडिया पर दूसरों को भी योग
सीखा रहे हैं. इन बाल योगियों से जनते हैं कि आखिर कितना फायदेमन्द है योग.....
एक ‘सूर्य नमस्कार’ अनगिनत शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ :
योग शुरू करने को लेकर लोगों में अक्सर इस
बात की चिंता रहती है कि उनके लिए कौन से आसन सही रहेंगे, उन्हें करने का सही तरीका
क्या है, युग गुरु या किसी योगा एक्सपर्ट्स से कैसे मिला, जाए वगैरह-वगैरह बातें
मन में सोचने लगते हैं. ऐसे सूर्य नमस्कार इन सभी सवालों के जवाब देता हैं. 12
आसनों से मिलकर बनी यह एक योग क्रिया पूरे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी है.
यही वजह है कि इसे संपूर्ण योग भी कहा जाता है.
हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षों पहले
योग के महत्व को समझा और इसे जीवन का आधार बनाया. माननीय प्रधानमन्त्री श्री
नरेद्र मोदी ने योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई. कोरोना से लड़ाई में
योग के महत्व हो आज पूरा विश्व मान रहा है.
किसी ने सच ही कहा है कि सीखने की कोई उम्र नहीं
होती. कमाल कोई भी दिखा, सकता है. साल 2019 के जुलाई महीने की सात तारीख थीं.
जयपुर के जलमहल में एक अनोखा विश्व रिकार्ड बना. गाजियाबाद के सातवीं कक्षा के
स्टूडेंट वरुण शर्मा ने एक घंटे 30 मिनट तक पश्चिमोत्तान आसन करके यह कीर्तिमान
बनाया. वे सिर्फ यहीं नहीं रुके, बल्कि उसी वर्ष इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स एवं
गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में भअपना नाम दर्ज कराया. इसके अलावा, मेरठ में
आयोजित राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया. इन सब उपलब्धियों के
लिए वरुण को योग रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया. आखिरकार छोटी उम्र में इतना सब
करने की प्रेरणा कैसे मिली, पूछने पर वे बताते हैं, ‘मैंने अपने गुरु एवं माता
पिता से बहुत कुछ सीखा है. भैया तेजस्वी शर्मा मेरी प्रेरणा रहे हैं. दूसरी कक्षा
में था, तब से योग का अभ्यास कर रहा हूँ.इससे न सिर्फ मेरी एकाग्रता बढ़ी बल्कि
पाजिटिव रहकर सारे काम, पढाई आदि कर पाता हूँ. जंक फ़ूड नहीं लेता. पौष्टिक भोजन
करता हूँ, तो इम्युनिटी भी ठीक रहती है.’ अब आठवीं कक्षा में पढ़ रहे वरुण की
मानें, तो हर बच्चे को योग जरूर करना चाहिए.
बड़ा पद्मासन कर बनाया रिकार्ड :
11 वीं की स्टूडेंट निशा शर्मा को भी योग से लगाव
है. इससे इनके शरीर में इतना लचीलापन आ गाय है कि वे कठिन से कठिन आसनों को सरलता
से कर लेती है. इनके मानें, तो अभ्यास करने से कुछ भी असंभव नहीं लगता है. मन
हल्का रहता है. निशा एक घंटे 50 मिनट में बड़ा पद्मासन लगाकर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड
रिकार्ड में अपना नाम भी दर्ज करा चुकी है. इसके अलावा, उन्होंने 1019 के जून
महीने में दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योगासन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
जीता था. साथ ही, स्टेट लेवल चैम्पियन में भी ब्रांज मेडल हासिल किया है. स्क्रीन
पर ज्यादातर वक्त बीतने वाले बच्चों-किशोरों को नसीहत देते हुए वे कहती हैं, ‘हमें
अपना ख़याल खुद रखना चाहिए. आँखों पर जोर देने से अच्छा है कि हम योग को अपनी
दिनचर्या में शामिल करें. इससे न सिर्फ हमारी बाडी में फ्लेक्सिबिलिटी आती है,
बल्कि हम एलर्ट भी रहते हैं. मन भी खुश रहता है.
योग बढ़ा रहा आत्मविश्वास:
नौवीं कक्षा की स्टूडेंट वास्तिक आर्या ने
छुट्टियों में जब योग सीखा, तो उन्हें इतना अच्छा लगा कि बाद में उन्होंने बाकायदा
योग को क्लासेज ज्वाइन कर लीं. अब वे सुबह-शाम नियमित रूप से योगाभ्यास करती हैं.
वास्तविक बताती हैं, ‘मेरे अदंर के आत्मविश्वास आया है कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ.
चीजों पर फोकस बढ़ा है. बाडी में फ्लेक्सिबिलिटी और लाइफ में अनुशासन आया है.’ इन
दिनों जब अधिकतर किशोर व बच्चे मोबाईल गेम खेलने या टीवी देखने में समय बिता रहे
हैं, वस्तिका अपनी माँ के साथ योग की online क्लासेज भी लेती हैं. नि:संदेह योग ने
बच्चों-किशोरों के जीवन में भी नई ऊर्जा का संचार किया है. वे जान गए हैं कि इससे
उनके तन मन को कितना फायदा होता है. अच्छी बात यह है कि आयुष मंत्रालय, योग
स्पोर्ट्स एसोसिएशन एवं फिजिकल एजुकेशन फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया जैसे संस्थान स्कूली
स्तर पर बच्चों को योग के प्रति जागरूक कर रहे हैं.
Very nice,good knowledge..! ☺️👍🏻🤗
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