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मंगलवार, 30 जून 2020

जामुन में हैं ढेरों गुण

Manoj kumar

जामुन में हैं ढेरों गुण


फाइबर और ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर जामुन में हैं बहुत स्वास्थ्यप्रद गुण....

जामुन में हैं ढेरों गुण, jamun ke fayade
जामुन के फायदे 

इन दिनों पेड़ों पर काले-काले जामुन जी ललचा रहे हैं. यह फल जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही सेहत के लिहाज से फायदेमंद भी होता है. जामुन खाने से ब्लड शुगर घटता है और इन्सुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है. यही कारण है कि मात्रा नियंत्रित रहती है. यही कारण है कि डायबीटीज के साथ जी रहे लोगों को जामुन खाने की सलाह दी जाती है

बात अगर इसके गुणों की करें तो जामुन में कैल्शियम, फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं. इसके अलावा विटामिन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
जामुन पाचनशक्ति बढ़ाता है और इससे एसिडिटी समेत पेट से संबंधित विकार कम होते हैं. जामुन में कैंसर रोधी गुण भी पाए जाते हैं. जामुन पाचनशक्ति बढाता है और इससे एसिडिटी समेट पेट से संबंधित विकार कम होती हैं. जामुन में कैंसररोधी गुण भी पाए जाते हैं. कीमोथेरेपी और रेडीएशन थेरेपी के बाद जामुन खाना फायदेमंद होता है. जामुन खाने से पथरी की समस्या से निजात मिलती है. इसके लिए जामुन की गुठली के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर खाना चाहिए. जामुन के सेवन से लीवर की बीमारी दूर होती है. मुँह में छाले होने पर जामुन के रस का प्रयोग करने से बहुत जल्दी आराम मिलता है. दस्त होने पर जामुन के रस को सेंधा नमक के साथ मिलाकर खाने से दस्त बन्द हो जाता है.

मुंहासे होने पर जामुन की गुठलियों को सुखाकर इसके पाउडर को गाय के दूध में मिलाकर सोने से पहले चेहरे पर लगाएं और सुबह ठंडे पानी से धो लें. तीन से चार सप्ताह तक इस लेप के प्रयोग से मुंहासे गायब हो जाते हैं. आवाज को मधुर बनाने के लिए भी जामुन का काढ़ा बहुत फायदेमन्द होता है. जामुन की छाल को बारीक पीसकर नियमित मंजन करने से दांत मजबूत और रोगरहित होते हैं. मधुमेह के उपचार के लिए जामुन बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. मधुमेह के रोगी जामुन की गुठलियों को सुखाकर, पीसकर उनका सेवन करें. इससे शुगर का स्तर सामान्य रहता है. हालांकि जामुन में ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाया जाता है, मगर फाइबर होने के कारण यह बहुत धीरे-धीरे खून में घुलता है, इसलिए डायबीटीज के मरीज चिकित्सक से सलाह लेकर इसे खा सकते हैं.

रविवार, 28 जून 2020

आयरन अब नहीं होगा कम और इस समस्या को दूर करने के उपाय

Manoj kumar

आयरन अब नहीं होगा कम :

भारत की एक बड़ी आबादी लगातार आयरन की कमी से जूझ रही है. इस कमी से बचने का एक ही उपाय है, डाईट में जरूरी बदलाव. क्या खाएं कि शरीर में आयरन की कमी नहीं हो....
आयरन अब नहीं होगा कम और इस समस्या को दूर करने के उपाय. khoon ki kami kaise karen
खून की कमी

आपको भी अकसर थकान महसूस होती रहती है/ या त्वचा बेजान और पीली-पीली नजर आने लगी है, तो संभव है कि आप एनीमिया से पीड़ित हों. एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है. रेड ब्लड सेल्स हिमोग्लोबिन का प्रमुख हिस्सा होती है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं. वेलनेस कोच और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट अमर सिंह राठौड़ के अनुसार, ‘वैसे तो एनीमिया के भी 400 से भी ज्यादा प्रकार होते हैं. पर, सबसे आम एनीमिया शरीर में आयरन की कमी से होता है.बोन मैरो आयरन की मदद से ही हिमोग्लोबिन का निर्माण करता है. शरीर में आयरन की कमी से बोन मौरो यह काम सही तरीके से नहीं कर पाता है.’

क्या है लक्षण :

लगातार थकान महसूस होना, त्वचा, का पीलापन, बाल बहुत ज्यादा टूटना, दिल की धड़कनों का तेज हो जाना, सांस फूलना और मूंड स्विंग एनीमिया के आम लक्षण हैं. विश्व एनीमिया के आम लक्षण हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पुरुषों में हिमोग्लोबिन का स्तर 13 से ज्यादा होना और महिलाओं में 12 से ज्यादा होना चाहिए. इसकी कमी के लक्षण हों, तो इसकी कमी के लक्षण हों डॉ. से सलाह जरूर लें, साथ ही डाईट बदलें.

ऐसा हो डाईट प्लान :

नारायण अस्पताल, गुरुग्राम में सीनियर डाईटीशियन डॉ. परमीत कौर कहती हैं, ‘एनीमिया की समस्या के लिए आयरन का सेवन अधिक करें. साथ में विरामिन – सी भी जरूर लें. ताकि शरीर तेजी से आयरन को सोख सके. चाय –कॉफ़ी कम करना होगा. नाश्ते में पोहा के साथ नीबू पानी या संतरे का जूस ले सकती हैं. लाँच से कुछ समय पहले विटामिन – सी युक्त कोई फल जैसे कीवी या संतरा खा सकती हैं. गुड़ चना का काम्बिनेशन भी अच्छा है. इसे शाम के स्नैक्स में ले सकती हैं. सोया कटलेट्स, अंकुरित दालों आदि को धनिये-पुदीने की चटनी के साथ खाएं. हरी चटनी में एक आंवला भी पीस लें. डाईट में हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी के साथ सोयाबीन, कमल ककड़ी आदि प्रचुर मात्रा में शामिल करें. दो चम्मच काले तिल को दो से तीन घंटे भिगोकर फिर पीसकर एक चम्मच शहद के साथ हर दिन खाएं. हर दिन चार-पाँच चम्मच किशमिश और दो खजूर सुबह नाश्ते में या फिर दिन में कभी भी स्नैक्स के रूप में खाएं. इससे भी आयरन की कमी पूरी हो जाती है.

दही और हल्दी का साथ :

अपनी किताब आयुर्वेदिक होम रेमेडीज में डॉ. वसन्त लाड कहते हैं, ‘अगर आपके शरीर को प्रकृति कफ है और आप एनीमिया से पीड़ित हो, तो सुबह-शाम एक-एक कप दही एक चम्मच हल्दी के साथ खाएं. कफ टाइप एनीमिया में शरीर में सूजन हो जाती है और त्वचा ठंडी हो जाती है. ऐसे में दही के साथ हल्दी का सेवन करने से शरीर में कफ तत्व को संतुलित करने में मदद मिलती है और आयरन की पूर्ति होती हैं.’

ताजे जूस का कमाल :

चुकन्दर और अनार दोनों आयरन के अच्छे स्रोत हैं. अगर आपका हिमोग्लोबिन कम है, तो कुछ दिनों तक लगातार चुकन्दर और अनार का जूस पिएँ. ये दोनों हिमोग्लोबिन को बढ़ाने के साथ-साथ खून को साफ करने का काम भी करते हैं. चुकन्दर का जूस बना सकती हैं. अनार में आयरन के साथ कॉपर और पोटैशियम भी होता है. नियमित रूप से इन दोनों जूस के सेवन से रक्त संचार बेहतर होगा, ऊर्जा की कमी भी दूर होगी.

शनिवार, 27 जून 2020

चेहरा है या चाँद खिला है II चेहरे की देखभाल कैसे करें SkinCare टिप्स जाने क्या है? और कैसे?

Manoj kumar

चेहरा है या चाँद खिला है

शादियों का मौसम यानी सजने-संवरने और खुशियों का मौका. ऐसे में चमकदार त्वचा के लिए थोड़ी अतिरिक्त मेहनत करनी ही पड़ती है. अगर आप भी चाहती हैं कि समारोह के बीच हर नजर देखे आपको मुड़-मुड़कर तो गौर कीजिए एक्सपर्ट्स की इन सलाह पर.......

चेहरा है या चाँद खिला है II चेहरे की देखभाल कैसे करें SkinCare टिप्स जाने क्या है? और कैसे?, skin ki suraksha kaise kare?
चमड़े की सुरक्षा

इन दिनों लगभग हर तरफ शादी की शहनाई सुनाई पड़ रही है. ऐसे में भरपूर पार्टी और मस्ती करना तो तय होता है, मगर इस सबके बीच सबसे बड़ी टेंशन होती है परफेक्ट लुक की अर्थात वह लुक जिसे देखकर हर नजर आपकी तरफ घूम जाए. ऐसे में शॉपिंग के लिए भी काफी समय घर से बाहर गुजारना पड़ता है. इसके चलते बाहर का खाना, धूल, धूप और प्रदुषण का असर आपकी त्वचा पर अपनी छाप छोड़ देता है.
अब पार्टी गैदरिंग है तो हमें स्ट्रिक्ट डाईट चार्ट को भूलकर हर उस खाने को भी अपनाना होता है, जो भले ही स्वादिष्ट हो, मगर त्वचा के लिहाज से ठीक नहीं होता है. ऐसे में पार्टी से किनारा कर लेना भी तो उचित नहीं तो फिर करें भी तो क्या? इस कठिन स्थिति से बचाने में आपकी मदद कर सकती है एक्सपर्ट्स की कुछ खास सलाह. इन्हें अपनाकर आप न सिर्फ पार्टी का भरपूर आनन्द उठा सकती हैं, बल्कि त्वचा का भी रख सकती हैं पूरा ख्याल.

हो जाएं प्रकृति के करीब :


यूँ तो ऑनलाइन और बाजार में त्वचा की क्लीनिंग और बेहतर ग्लो का दावा करने वाले मेकअप के ढेरों उत्पाद उपलब्ध हैं. फिर भी यह सलाह दी जाती है कि आप त्वचा पर इन उत्पादों के जरिए किसी भी तरह का प्रयोग करने से बचें, क्योंकि इनमें तमाम तरह के रसायन मौजूद होते हैं. इनका लंबे समय तक इस्तेमाल त्वचा के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. इनके बजाय, प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों का इस्तेमाल करें, जो अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं. क्या आप जानती हैं कि खीरा और टमाटर उम्दा प्रकार के प्रभावी ईस्ट्रीजेंट्स होते हैं जिन्हें टोनर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यहाँ तक की हमारा आपका पसंदीदा आलू भी आपकी खुबसूरती में चार चाँद लगाने वाले गुणों से भरपूर होता है. इसे त्वचा की रंगत निखारने, पिगमेंटेशन घटाने, टैन और एजिंग का असर कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. त्वचा में गली लाने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकती हैं तो वहीँ हल्दी भी बेहतर उत्पाद होती हैं, जो आपकी त्वचा में चमक लाती है और मुंहासे और रैशेज दूर करती है.  

लेने दें त्वचा को साँस :


इन दिनों आप जिस भी पार्टी गैदरिंग में जाएंगी, वहाँ अपनी खूबसूरती में चार चाँद लगाने के लिए आपको लिपस्टिक, कंसीलर, लाइनर और अन्य मेकअप उत्पादों की जरूरत पड़ेगी ही. ऐसे में त्चचा को हेल्दी रखने के लिए कोशिश करें कि मेकअप के इस्तेमाल के साथ ही सोने से पहले क्लेजिंग को भी अपनी दिनचर्या में शुमार करें. अगर पार्टी से घर आकर थकान महसूस करती हैं तो भी बिस्तर के पास मेकअप वाइप्स जरूर रखें जिससे अप चेहरे से ज्यादा से ज्यादा मेकअप हटा लें ताकि आपकी त्वचा के छिद्रों  में दिनभर की गंदगी और मेकअप कम से कम बहरे. इसके लिए ‘सिटीएम’ रूटीन का पालन करें – इसका मतलब है कि बिस्तर पर जाने से पहले ‘क्लेजिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग’ को ठीक से फौलो करें. यह तरीका आपके सोने के दौरान त्वचा को साँस लेने में मदद करेगा और सुबह आप हल्कापन महसूस करेंगी.

रसोई में बन्द रंगत के नुस्खे :


ब्यूटी व पर्सनल केयर इंडस्ट्री के जाने-माने एक्सपर्ट्स का कहना है कि चेहरे की खूबसूरती के लिए आधा चम्मच शहद में एक चम्मच गुलाबजल व एक चम्मच मिल्क पाउडर मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे चेहरे पर लगाकर 20 मिनट बाद धो लें. इसके साथ ही आँखों को राहत देने के लिए इस्तेमाल किए हुए टीबैग्स को बतौर आइपैड उपयोग करें. रूई की मदद से ठन्डे गुलाबजल को चेहरे पर लगाएं. यहाँ तक कि गाजर और शहद का फेस मास्क व ओटमील का फेस मास्क भी त्वचा पर कमाल की रंगत देता है और दाग-धब्बों व टैन को दूर करने में भी मदद करता है. जिन लोगों की त्वचा तैलीय है उनके लिए मूंग दल और टमाटर के गूदे का पेस्ट काफी मददगार साबित होता है.

पानी से कर लें यारी :


शादी-पार्टी की खुशियों के बीच मुँह मीठा करना तो बनता है तो वहीँ हर मेहमान के साथ कुछ वक्त बिताते हुए सॉफ्ट ड्रिंक के कितने ही गिलास हम पी जाते हैं. यह पता ही नहीं चलता. हम सभी जानते हैं कि इन पार्टियों में हमें पूरी तरह से संतुलित डाईट को दरकिनार करना ही पड़ता है, पर क्या आप जानती हैं कि ज्यादा मीठा और तैलीय भोजन हमारी त्वचा को रूखा बना देता है. इसके चलते हमारे चेहरे पर बारीक़ लाइनें बनने लगती हैं. भले ही आप इन दिनों अपनी डाईट को लेकर स्ट्रिक्ट नहीं रह सकतीं, मगर अनियमित डाईट के हानिकारक प्रभावों से त्वचा को बचाए रखने के लिए कुछ उपाय तो कर कर ही सकती है. इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट सलाह देते हैं कि कोशिश करें कि दिनभर में दो से ढाई लीटर पानी जरूर पिएँ. शरीर जितना हाइड्रेट रहेगा, उतना ही आपकी रंगत में निखार आएगा.

भूल न जाना हेल्दी डाईट :


भले ही आप पार्टी फंक्शन में बेझिझक हर तरह का खाना खा रही हों, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं की आप अपनी हेल्दी डाईट को पूरी तरह भूल जाएं. इसके बजाय सुबह और शाम के नाश्ते में हरी सब्जियों और फलों की शुमार करें. विटामिन ई से भरपूर फल स्वस्थ त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं. ऐसे में कीवी, नींबू, ब्लुबेरीज, अमरूद, चुंकदर का रस और अंकुरित अनाज का सेवन करें. इनमें त्वचा को चिकना और चमकदार बनाने के लिए जरूरी प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, एंटी-एजिंग और एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं. पिस्ता सहित तरबूज सलाद, एवोकाडो सलाद, पीली शिमला मिर्च और कॉर्न सलाद जैसे कुछ सलाद बनने में कम वक्त तो लेते हैं साथ ही स्वाद और सेहतमंद त्वचा के लिए भी अपना पूरा योगदान देते हैं.


जरूरी है झकपी कुछ देर की :


शरीर के लिए नियमित तौर पर आठ घंटों की नींद बेहद जरूरी होती है,मगर देर तक चलने वाली पार्टी और दिनभर की व्यस्तता के चलते इन दिनों आपको यह नींद मिल नहीं पाती है. इससे आप थका हुआ महसूस करती होंगी. जब हम सो रहे होते हैं. तब प्राकृतिक तरीके से हमारी त्वचा खुद-ब-खुद दुरुस्त होती रहती है. ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ देर की झपकी जरूर लें. जब शरीर से गैर जरूरी पानी अलग होने की प्रक्रिया चल रही होती ही, तब हमारी त्वचा इससे अपने हिस्से का मॉइश्चराइज ले लेती है. सही मात्रा में नीद न लेने से हमारे शरीर में पानी का स्तर बिगड़ने लगता है. इससे आँखों के नीचे सूजन या काले घेरे, रूखापान और झाइयां नजर आने लगती है. इसके अलावा चेहरे पर मुँहासे भी हो जाते हैं.   

शुक्रवार, 26 जून 2020

सतह से रहें सावधान IIcorona update jankaari II corona update in india

Manoj kumar

सतह से रहें सावधान

देश में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. इसी के चलते स्वास्थ्य संस्थाओं की ओर से संक्रमण से बचने के लिए लगातार सावधानी बरतने को कहा जा रहा है. यहवायरस सबसे ज्यादा समय तक सतह पर बना रह सकता है और लोग बिना एहतियात बरते उसे छूकर शरीर में पहुंचाते हैं. ……….
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एक घंटे 23 बार स्पर्श करते हैं चेहरा :

विसेंट का शोध कहता है कि लोग एक घंटे में औसत 23 बार चेहरे को स्पर्श करते हैं और कई बार इससे ज्यादा भी.
4 बार बाल (1-10सेकेण्ड)
4 बार मुँह (1-12सेकेण्ड)
4 बार ठोड़ी(1-10सेकेण्ड)
1 बार गर्दन (1-23 सेकेण्ड)
3 बार आँखें (1-53 सेकेण्ड)
1 बार कान (1-20 सेकेण्ड)
3 बार नाक (1-10 सेकेण्ड)
4 बार गाल (1-12 सेकेण्ड)

प्लास्टिक पर सबसे देर तक रहता है.

अमरीका के वायरस इकोलॉजी ऑफ़ रॉकी माउन्टेन प्रयोगशाला के प्रमुख विसेंट मूस्टर के मुताबिक़ कूरोना सबसे ज्यादा देर तक प्लास्टिक पर रह सकता है जबकि सबसे कम देर तक हवा में रह सकता है.
जैसे
कार्डबोर्ड पर 42:00 घंटे जीवित रह सकता है वायरस.
प्लास्टिक पर दिन तक जीवित रह सकता है वायरस.
हवा में 3:00 घंटे रह सकता है वायरस.
कॉपर 4:00 घंटे रह सकता है वायरस.

ध्यान देने योग्य विशेष बातें :

यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है और खांसने व छिकने पर मुँह को नहीं ढक रहा तो यह वायरस छहफीट तक जा सकता है. ऐसा भी संभव है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने के बाद सतह पर यह वायरस है तो दस मिनट से लेकर एक या दो घंटे तक यह संक्रमित कर सकता है. दरवाजे के हत्थे और किसी भी तरह के काजग को हाथ लगाने के पहले और बाजवूद में हाथ साफ करना न भूलें.   

गुरुवार, 25 जून 2020

विश्व टीबी दिवस – 24 मार्च II टीबी बीमारी क्या है II संक्रमण कैसे फैलता है II इसके लक्षण II उपचार कैसे करें

Manoj kumar

विश्व टीबी दिवस – 24 मार्च

टीबी एक जीवाणुजनित संक्रामक बीमारी है. इसे समय रहते सही उपचार और दवा से रोका जा सकता है. इलाज पूरा न होने पर इसका संक्रमण बनता है मौत का सबब.....

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टीबी संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है, ट्यूबरक्लोसिस बैक्ट्रिया से होता है. इस बीमारी में फेफड़ा अधिक प्रभावित होता है. इसके साथ मुँह, लीवर, किडनी, गले, ब्रेन ट्यूमबर होते है. जिसे चिकित्सक की सलाह और सावधानी बरत कर रोका जा सकता है. यदि टीबी के मरीज के संपर्क में आने से रोग लग गया हो तो तुरंत इलाज कराएँ और किसी भी सूरत में इलाज पूरा करें. यदि इलाज पूरा न हुआ हो या दवाएं लेने में लापरवाही बरती जाए तो मरीज के शरीर में मौजूद टीबी के रोगाणु दी जा रही दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेते हैं. ऐसा होने पर टीबी की सामान्य दवा रोगाणु को मारना बंद कर देती है. ऐसे में मरीज को दूसरी श्रेणी की दवाएं दी जाती हैं, जो लंबे समय तक खानी पड़ती हैं.

क्यों होती है टीबी :


टीबी हवा के माध्यम से के व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है. जब कोई टीबी संक्रमित व्यक्ति खांसता है तो स्वस्थ व्यक्ति सक्रमित व्यक्ति के खांसने अथवा छींकने के कारण उड़ने वाली नमी के कणों में साँस लेता है और इस बीमारी के संक्रामण का शिकार बनता है. यह रोग बंद कमरों में जहाँ आसानी से हवा का आना नहीं होता है वहाँ-तेजी से फैलता है.

इनमें होती संक्रमण की आशंका :


जो लोग सिलकोसिस यानी, स्लेट,पेन्सिल उघोगों में काम करते हैं, उन्हें इस बीमारी के संक्रमण की संभावना अधिक होती है. ऐसे लोगों के फेफड़े इस बैक्टीरिया से जल्दी प्रभावित होते हैं. गंभीर गुर्दे की बीमारी, धुम्रपान, कुपोषण, अंग प्रत्यारोपण, कैंसर रोगियों में टीबी के बैक्टीरिया का संक्रमण बहुत धीरे-धीरे कम होता है. यदि टीबी की दवाएं लेने के कुछ हफ़्तों बाद कोई बेहतर महसूस करता हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि संक्रमण पूरी समाप्त हो गया है, इसलिए पूरा इलाज लिया जाना अत्यंत आवश्यक है. टीबी के मरीज इस बीमारी के रोगाणुओं को दूसरों तक फैला सकते हैं, लेकिन अगर वे दवा को सही तरीके से ले रहे हैं तो रोगाणुओं को दूसरों को नहीं बाँट सकेंगे.

मुख्य लक्षण:

वजन कम होना
साँस लेने में दिक्कत होना
बुखार लगना
थकावट होना
पसीना आना
खाँसी


पोषक आहार आवश्यक है :


टीबी की दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. बैठने, खड़े होने या लेटने पर चक्कर आना, भूख होने या लेटने पर चक्कर आना, भूख नहीं लगना, पेट की खराबी, मतली या उल्टी, सीने में दर्द या नाराजगी एवं चिड़चिड़ापन, बुखार के साथ या फ्लू जैसे लक्षण, गंभीर थकान या कमजोरी, बुखार या ठंड लगना ऐसी परेशानियों में शामिल है. इससे ग्रसित रोगी की कई बार त्वचा पर दाने या खुजली भी हो सकती है. मरीज की त्वचा पर लाल और बैंगनी धब्बे, नाक से खून आना, या मसूड़ों से खून बहना, मरीज के हाथ और पैर में दर्द की शिकायत भी हो सकता है.
इनसे बचने के लिए आवश्यक है कि रोगी का खान-पान पोषक और पर्याप्त हो.  
बच्चे के जन्म के वक्त BCG का टीका लगान

हर जुकाम या गले की तकलीफ कोरोना नहीं II coronavirus prevention awareness II coronavirus guidelines

Manoj kumar

हर जुकाम या गले की तकलीफ कोरोना नहीं

गर्मी का मौसम और पल-पल बदलता तापमान हो सकता है गले या नाक में परेशानी का कारण इसलिए घबराएं नहीं. ये लक्षण सिर्फ कोरोना संक्रमण कही नहीं, अन्य मौसमी बीमारियों के भी हो सकते हैं.....
हर जुकाम या गले की तकलीफ कोरोना नहीं II coronavirus prevention awareness II coronavirus guidelines, corona desease
Corona Virus

बीतें कुछ माह से कोरोना संक्रमण सुर्ख़ियों में पहले पायदान पर है. इससे पहले भी कई वायरस और बैक्टीरिया इंसानों के ले महामारी साबित हुए लेकिन समय के साथ उन पर नियंत्रण पा लिया गया. बेशक, आने वाले समय में कोविड – 19 पर भी काबू पा लिया जाएगा लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं बनती तब तक इससे बचने का कारगर उपाय शारीरिक दूरी और स्वच्छता के साथ अपनी इम्युनिटी को बकरार रखना ही है. भले ही अनलॉक-1 ने जरूरी कामों के लिए घर से निकलने का मौका दिया है पर कोरोना संक्रमण से बचना है तो जब तक आपको नाक, कान या गले की कोई बड़ी समस्या नहीं है तब तक अस्पताल जाने की बजाय घर में सुरक्षित रहें, जिससे अन्य संक्रमण से बचे रहेंग. दो-तीन दिन में यह समस्या बढ़ती है तो फैमिली फिजिशियन से सलाह लें और फिर अलग कदम उठाएं. गले, कान या नाक की बीमारी में चकित्सक रोगी को बहुत करीब से देखता है, जो रोगी व चिकित्सक, दोनों के लिए संक्रमण की वजह बन सकता है.

सक्रिय है अन्य संक्रमण भी :

यह मौसम ऐसा है, जब वायरस और बैक्टीरिया की सक्रियता बढ़ जाती है. जिसके कारण गले में खराश, अचानक से छींके शुरू हो जाना, नाक में खुजली होना, नाक का नम रहना आदि. सस्मया होना सामान्य बात है. कोविड-19 के प्रारंभिक लक्षणों में भी जुकाम, खाँसी, खरास और साँस लेने की समस्या होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी परेशानी कोरोना संक्रमण से ही जुड़ी है. यह सोचकर धैर्य मत खोएं. पहले दो से तीन दिन तक अपनी परेशानी पर नजर रखें, फिर चिकित्सा की सलाह लें.

और भी हैं कारण :

जिन लोगों को साइनोसाइटिस, अस्थमा, एलर्जी या एसिडिटी की परेशानी है, उन्हें भी अक्सर जुकाम और गला चोक होने की समस्या होती है. इस मौसम में गर्मी के कारण उल्टी होना सामान्य बात है. इससे भी गले में खराश या बलगम बन सकता है,इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है.

इन्हें न करें नजरअंदाज :

  ü व्यायाम और खानपान का विशेष ध्यान रखें, जिससे इम्युनिटी मजबूत रहे.
ü बहुत आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें.ü मनोबल मजबूत रखें.
ü बिना मास्क के बाहर न निकलें.ü समय –समय पर साबुन या सेनिटाईजर से हाथ जरूर साफ़ करें.
ü अचानक गला चोक होने या फिर सुनाई न देने की समस्या हो तो चिकित्सक को जरूर दिखाए.
ü तीन दिन से अधिक बुखार, खाँसी या जुकाम है तो इसे गंभीरता से लें और जरूरत होने पर जाँच कराएँ.

बुधवार, 24 जून 2020

मलेरिया (malaria) क्या है? उसके रामबाण 14 आसान उपलब्ध घरेलू उपचार

Manoj kumar

मलेरिया (malaria)

मलेरिया बुखार सर्दी लेकर आता है और पसीना देकर उतर जाता है. यह मच्छरों के काटने से होता है. मलेरिया के बाद कुछ दिन चावल नहीं खाने चाहिए.
मलेरिया (malaria) क्या है? उसके रामबाण 14 आसान उपलब्ध घरेलू उपचार, domestics treatment of maleriya

                     मलेरिया रोग


मलेरिया से बचने या उससे निजात पाने के तरीके :

1              नींबू –
a.   मलेरिया में नमक, काली मिर्च, नींबू में भरकर गर्म करके चूसने से बुखार की गर्मी दूर हो जाती है. यह दो बार नित्य करें. 
b.   दो नींबू का रस नीबू के छिलकों सहित 500 ग्राम पानी में मिलाकर पिलाने से चार दिन में मलेरिया आना बंद हो जाता है. 
c.    पानी में नींबू निचोड़ कर स्वाद के अनुसार शक्कर मिलाकर पिलाने से चार दिन में मलेरिया आना बंद हो जाता है. यदि कुनेन खाने से कानों में सांय-सांय की आवाज हो तो यह भी इससे ठीक हो जाता है. कुनेन के साथ नींबू और दूध अधिक प्रयोग करना चाहिए. 
2              नारंगी – दो नारंगी के छिलके दो कप पानी में उबालें. आधा पानी रहने पर छनकर गर्म-गर्म पीयें. 
3              सेब – ज्वर में सेब खाने से ज्वर जल्दी ठीक हो जाता है. मलेरिया में ज्वर आने के पहले सेब खाने से ज्वर आने के समय, ज्वर नहीं आता. 
4              अमरूद – मलेरिया में अमरूद लाभदायक है. मलेरिया के रोगी को अमरूद खिलाना चाहिए. 
5              जीरा – एक चम्मच जीरा बिना सेका हुआ. पीस लें. इसका तीन गुना गुड़ इसमें मिलाकर इसकी तीन गोलियाँ बना लें. निश्चित समय पर सर्दी लग कर आने वाला मलेरिया के बुखार के आने से पहले एक घंटे से एक-एक गोली खायें. 
6              धनिया – धनिया और सौंठ दोनों पिसे हुए समान मात्रा में मिलाकर नित्य तीन बार पानी से फँकी लें. बुखार इससे ठीक हो जाता है. 
7              पीपल – तीन पीपल पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से श्वास, खाँसी के साथ ज्वर, मलेरिया ठीक हो जाता है. 
8              छाछ – छाछ पीने से हर चौथे दिन आने वाला मलेरिया ठीक होता है.
9              लहसुन – आदि मलेरिया नित्य निश्चित समय पर आता हो तो लहसुन का रस पैरों के नाखूनों पर बुखार आने से पहले लेप कारें तथा एक चम्मच लहसुन का रस, एक चम्मच तिल के तेल मिलाकर जब तक बुखार न आये, एक-एक घंटे में 10-10 बूंद जीभ पर डाल कर चूसें. इस तरह चार दिन लगातार लेने से मलेरिया ठीक हो जाता है. 
10    फिटकरी – एक ग्राम फिटकरी, दो ग्राम चीनी में मिलाकर मलेरिया आने से पहले दो-दो घंटे से दो बारे दें. मलेरिया नहीं आयेगा और आयेगा तो कम. फिर दूसरी बार भी जब मलेरिया आने वाला हो तो इस प्रकार से दें. रोगी को कब्ज नहीं होनी चाहिए. यदि कब्ज हो तो पहले कब्ज दूर करें.  
11    हरी मिर्च – एक हरी मिर्च के बीज निकाल कर बीज रहित खोल को मलेरिया आने के दो घंटे पहले अंगूठे में पहना कर बाँध दें. इसी तरह दो-तीन बार बांधे रखें, फिर खोल दें. 
12    नमक a.     सेंधा नमक एक भाग, देशी चीनी (बुरा) चार भाग- ये दोनों मिलाकर बारीक पीस लें. आधा चम्मच नित्य तीन बार गरम पानी से लेने से मलेरिया बुखार आना बंद हो जाता है. 
b.     पाँच चम्मच – नित्य खाने में काम आने वाला नमक तवे पर ऐसा सेकें, भूनें कि नमक भूरे रंग का  हो जाय. इस नमक की एक चम्मच के गिलास गर्म पानी में मिलाकर एक बार नित्य मलेरिया आने से पहले पीयें. मलेरिया ज्वर के रहते नहीं पीयें. 
13    तुलसी – तुलसी के सेवन से सभी प्रकार के ज्वरों में लाभ होता है. नित्य तुसली के पत्ते खाने से मलेरिया नहीं आता है. यदि मलेरिया हो जाये तो बुखार उतरने पर 22 तुलसी के पत्ते और 20 पीसी हुई काली मिर्च दो कप पानी में चाय की तरह उबालें. चौथाई पानी रहने पर मिश्री मिलाकर ठण्डा करके पी लें. यदि यह संभव नहीं हो तो तुलसी के पत्ते और काली मिर्च चबा सकते हैं. 
14. नीम60 ग्राम नीम के हरे पत्ते,चार काली मिर्च – ये दोनों पीस कर 125 ग्राम पानी में छानकर पी लें. मलेरिया ठीक हो जाता है. यह विश्वसनीय नुस्खा है. 

मंगलवार, 23 जून 2020

father's day 21st june 2020 यह क्या है और वर्तमान स्थिति में एक रिपोर्ट जो बहुत ही रोचक जानकारी....

Manoj kumar

पापा जैसा कोई नहीं

21 जून 2020 
           पापा तो सबके प्यारे होते हैं, अब अनूठे भी हो गए हैं. नए जमाने के पापा अब परवरिश की जिम्मेदारियां निभाने में ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जीवनसाथी की मदद कर रहे हैं. कल फादर्स डे है. इस मौके पर पापा की बदली भूमिका के बारे में आइए जानते हैं................

father's day 21st june 2020 यह क्या है और वर्तमान स्थिति में एक रिपोर्ट जो बहुत ही रोचक जानकारी...., dadi day
                        पिताजी दिवस 21 जून 

सदियों से बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा आमतौर से माँ का ही माना जाता रहा है. इसीलिए शायद हमारे समाज में यह एक आम धारणा बन चुकी है कि ममता तो बस नारी का ही गुण है. पर आज इस धारणा को गलत साबित कर देने वाले कई पुरुषों के उदाहरण हमारे सामने हैं.

पुणे के आदित्य तिवारी ने तो इस मामले में मिसाल ही कायम कर दी. उन्हें इस साल वुमन्स डे पर ‘बेस्ट मम्मी ऑफ़ द वर्ल्ड’ का आवार्ड मिला है. आदित्य ने 2016 में डाउन सिंड्रोम के बच्चे अवनीश को गोद लिया. उस वक्त उनकी उम्र 28 साल थी. उनके नाम दुनिया का सबसे कम उम्र का पिता होने का भी रिकार्ड है. इसके लिए उन्हें एक लंबी क़ानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी. आदित्य की तरह आज आपको कोई ऐसे पिता मिल जाएँगे, जो पितृत्व की एक नई इबारत लिख रहे हैं. यह बदलाव उस समाज में हो रहा है, जहाँ कुछ दशक पहले पिता की भूमिका कमाने तक सीमित मानी जाती थी.

क्या कहते हैं शोध

अब परिवार में बच्चों की जिम्मेदारियों को पिता भी बराबरी से निभाते दिखते हैं. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि पूरे समाज में भी स्त्री और पुरुष के बीच भूमिकाओं के मानक अब बदल रहें हैं. एक सर्वे की मानें तो पहले के वक्त के अनुशासनप्रिय, एकाकी और बाहर की दुनिया में व्यस्त रहने वाले पिता अब माओं की पसंद नहीं रहें. उसी सर्वे में परिवार में रोटी कमाने वाले सदस्य के तौर पर पुरुष की भूमिका को महिलाओं ने पिता की अहम भूमिकाओं वाली लिस्ट में आठवें नंबर पर रखा. मार्डन डैड्स: फादरहुड इन ए चेंजिंग वर्ल्ड नामक एक अन्य सर्वे में कुछ और दिलचस्प बातें निकलकर आई. उस सर्वे के अनुसार अब पुरुषों का अपनी भावनाओं को जाहिर करना कोई कमजोरी नहीं माना जाता. उस सर्वे में शामिल पुरुषों में से 86 फीसदी ने कहा कि वो चाहते है कि बच्चे उन्हें अपना दोस्त मानें, वों बच्चों की परवरिश में भावनात्मक रूप से शामिल होना चाहते हैं.

मजबूत हो रहा जुड़ाव :

आज के पिता अपने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी रहे. वो रात को नींद से उठकर रोते बच्चे को फिर से सुला रहे हैं. बच्चे को सुबह ब्रश कराने से लेकर स्कूल बस तक छोड़ने के काम काम कर रहे हैं. पेरेंट-टिचर की मीटिंग में जाते हैं, बच्चों की हॉबी में बराबर रूचि लेते हैं और ऑफिस से वापस आकर बच्चों के लिए वक्त भी निकाल रहे हैं. अब तसवीर पूरी तरह बदल चुकी है. इसका मजबूत अखबारों, सोशल मिडिया पर सेलिब्रेटी एकाउंट्स में भी मिल जाएगा.

सीखा रहे सेलिब्रिटी :

इस ट्रेड को दरअसल आम लोगों तक लाने का अधिकतर श्रेय तो सेलिब्रेटीज को ही जाता है. अब तुषार कपूर और करन जौहर सरीखे सेलेब्स को ही लीजिए. उम्र में चालीस का आकड़ा पार करते-करते उन्होंने सरोगेसी की मदद से अकेले के दम पर पिता बन बच्चों को पालने का फैसला किया. उनसे पहले से ही शाहरूख खान, हातिक रोशन, आमिर खान, संजय दत्त जैसे बड़ेअभिनेता अपने बच्चों से जुड़ाव के लिए उनके प्रशंसकों से तारीफ पा ही रहे थे. अपने बेटे के साथ टेनिस कोर्ट पर टेनिस खेलते हुए जब अभिनेता रितेश देशमुख ने तसवीर पोस्ट की, तो यह भी बच्चों और पिता के बीच नए दौर के मजबूत बन्धन की कहानी कहता है. 

किसी माँ से कम नहीं मुश्किलें :

आज के पिता खुद से क्या अपेक्षाएं रखते हैं, इसकी बानगी आपको अभिनेता इमरान हाशमी की किताब आपको अभिनेता इमरान हाशमी की किताब से आसानी से मिलेगी. वो अपनी किताब द किस ऑफ़ लाईफ में लिखते हैं, आपको इन दिनों एक सुपरहीरो पिता बनना होता है. चुनौतियों का सीधे सामना करो और मजबूत बनकर उसमें से निकलो. मेरे बच्चे ने मुझे जन्म दिया है. आज के पिता अपने बच्चों के लिए एकदम योद्धा की तरह तैयार दिखते हैं. इस राह पर चलने और सही-सलामत बाहर निकलने के लिए आपको सुपरहीरों के पावर की जरूरत होती है.’ एक सुखद बात ये भी हैं कि बच्चों के साथ आत्मीय रिश्ता जोड़ते ये पिता किसी शार्टकट की इच्छा करते हैं नहीं दिखते. ये बायकादा इसके लिए हर मुश्किल बदार्श्त करने को तैयार हैं. अब जैसे ऑफिस और करियर को ही लीजिए. सोशियोलॉजी की प्रोफेसर और सुपरडैड नामक किताब की लेखिका गेल कॉफमैन लिखती हैं, ‘नए सुपर डैड इस समय सबसे ज्यादा जूझते दिखाई देते हैं क्योंकि वे अपने बच्चों की जिन्दगी में रूचि लेना चाहते हैं, लेकिन काम और परिवार के बीच सन्तुलन बनाने में उन्हें मुश्किलें आती हैं. सुपरडैड अपने जीवन साथी का सच्चे मायनों में साथ निभाने की कोशिश करते हैं. वे ना सिर्फ अपना करियर, अपने बच्चे को ध्यान में रखते हुए मैनेजर करते हैं, बल्कि अपनी पत्नी को ध्यान में रखते हुए भी निर्णय लेते हैं.’

भावानाओं को कमजोरी नहीं मानते :

यह भी सच है कि सामाजिक मानकों में काफी बदलाव आया है. ऐसा नहीं है कि पिता की भूमिका निभा रहे पुरुषों में पहले संवेदनशीलता नहीं थी. फर्क शायद इनता है कि पहले पुरुषों  के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सामजिक मानकों में शामिल नहीं माना जाता था. पर अब यह धारणा बदल चुकी है. यह भी है कि पहले बच्चों को पालने में ‘उन्हें ज्यादा लाड़ बिगाड़ देगा’ भी एक आम धारणा थी, जो अब पेरेटिंग के मामले में बिल्कुल अनुकूल नहीं मानी जाती. तो अब पता भी अपनी ममता को जाहिर करने में हिचक नहीं रहें हैं.

एकल परिवारों में बदल मिजाज :

एक ध्यान देने वाली बात ये भी है कि शहरों में रह रहे एकल परिवारों में माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं. तो परिवार को मैनेज करना और कमाई, मिल-जुलकर ही करनी होगी. अकेले तो किसी एक के वश का सारा काम है नहीं. फिर ज्वाइंट फैमिली भी नहीं है, जो अगर पिता ने ध्यान नहीं दिया, तो बच्चे की बुआ चाची, दादी सरीखा कोई ना कोई उसको देख ही लेगा. ऐसे में पिता बच्चे की कुछ जिम्मदारियां निभाकर एक सपोर्ट सिस्टम की कमी भी पूरा कर रहें है. यह भी एक कारण है कि घर में पिता, अब बच्चों की जिम्मेदारियों को लेकर ज्यादा सक्रिय और जुड़े दिखते हैं.