nt, festivals, yoga, benefits of foods, homemade remedies, songs, story" /> द्रोपदी माला फूल I Draupadi Mala Flowers ~ life style health gyan

रविवार, 24 मई 2020

द्रोपदी माला फूल I Draupadi Mala Flowers


द्रोपदी माला फूल

धार्मिक, ऐतिहासिक और औषधीय विरासत से जुड़े द्रोपदीमाला फूल पुष्प की सुगन्ध देव भूमि से भी महकेगी . द्रोपदी के गजरे पर सजने वाला यह पुष्प सीता माता को भी प्रिय था.इसी धार्मिक महत्त्व को देखते हुए इसे सहेजने में जुटे उत्तराखंड के वन महकमें को सफलता भी मिल गई है.
असम और अरुणाचल प्रदेश के राज्य पुष्प द्रोपदीमाला को यहाँ फारेस्ट ट्रेनिंग सेंटर हल्द्वानी की नर्सरी में तैयार कर लिया है. औषधीय गुणों वाले इस पुष्प का किडनी और गठिया समेत तमाम रोगों के उपचार में भी बड़ा महत्त्व है. माना जाता है कि महाभारत काल में में रानी द्रोपदी माला और गजरे के तौर पर इन सुगन्धित फूलों का इस्तेमाल करती थी. इसी वजह से इसका नाम द्रोपदीमाला भी पड़ा. यही नहीं, वनवास के दौरान सीता माता से भी इस पुष्प के जड़व का वर्णन मिलता है. यही वजह हा कि महराष्ट्र में इसे सीतावेणी के नाम से जाना जाता है. द्रोपदीमाला के औषधीय गुणों की वजह से ही इसकी खासी डिमांड भी है. इसलिएआंध्रप्रदेश में इसकी तस्करी भी होती है. पश्चिम बंगाल और असम में इसे कुप्पु फूल के नाम से जाना जाता है. वन विभाग दुलर्भ ऐतिहासिक और औषधीय महत्व वाली वनस्पति को सुरक्षित करने के साथ ही उनके संवर्धन की मुहीम में भी जूटा हुआ है.
इसका इस्तेमाल अस्थमा, किडनी स्टोन, गठिया रोग और घाव भरने में दवा के तौर पर किया जाता है.
वन सरंक्षक का वनवास के समय श्रीराम पंचवटी (नासिक) में रुके थे, तब सीता माता इन्हीं फूलों से श्रृंगार करती थीं. इसे प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है.असम का बिहू नृत्य दुनियाभर में पसिद्ध है
सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर शुभ अवसर पर महिलाएं बिहू नृत्य करती है. मान्यतानुसार वहाँ इस दौरान महिलाएं बालों में द्रौपदी माला फूल को जरूर लगाती है.
द्रोपदीमाला आर्किड प्रजाति का पुष्प है. आर्किड जमीन औरपेड़ दोनों पर होता है. आमतौर पर 1500 मीटर ऊँचाई पर मिलने वाला यह फूल बांज और अन्य पेड़ों के सहारे बेल के आकार में बढ़ता है. इसका अंग्रेजी नाम फॉक्सलेट है.

1 टिप्पणी:

अधिक जानकारी के लिए कृपया टिप्पणी/कमेन्ट करें.....