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स्वास्थ्य
» Good health कैसे बनाते हैं I 7 रहस्य जाने.......
Manoj kumar
सेहतमंद रहने के मूल मंत्र
सेहत भरे जीवन का राज इस लेख में आपको
पढ़ने समझने को मिलेगा. 2020 की शुरुआत हो चुकी है. नव वर्ष के मौके पर परिवार के
सभी सदस्यों को अपनी सेहत सही रखने केलिए अपने खानपान, व्यायाम और विश्राम पर
पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है. चुस्त – दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ
संकल्प लेकर उन पर अमल जरूरी करना चाहिए......
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health |
एक स्वस्थ जीवन का अर्थ सिर्फ बीमारी रहित होना
नहीं है. स्वस्थ जीवन के संदर्भ में शारीरिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सुखी व
स्वस्थ होना भी शामिल है. स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के
लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं. सच तो यह है कि अच्छे स्वास्थ्य से जहाँ व्यक्ति
बीमारियों से मुक्त रहता है, वहीँ उसकी कार्यक्षमता भी बढ़ती है. हमारी हिन्दी भाषा
के साहित्य में हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि गोस्वामी तुलसी दास जी ने सुदंर
स्वास्थ्य के विषय में कहा ही कि ‘प्रथम स्वर्ग सुन्दर हो काया’ यानी उनका कहना है
कि व्यक्ति के जीवन में तबियत के मामले में अमीर रहने से उसे सुन्दर स्वर्ग की
तुलना की गई है. इस बात को आप व्यवहारिक जीवन में देखा सकते हैं जिस दिन आपकी या
किसी की तबियत सही नहीं रहती है तो उस दिन व्यक्ति का जीवन खाली-खाली सा लगता है.
उसके जीवन में सारी चीजें फ़ालतू लगती है. उसके जीवन में को उन चीजों का कोई अहमियत
नहीं रह जाती है.
स्वस्थ रहने के लिए आपके जीवन में एक निश्चित
दिनचर्या का होना बहुत जरुरी है. जिससे आपके जीवन के स्वास्थ्य की गाड़ी एक तेज
रफ़्तार से जीवन के की दौड़ में आपको जिताएंगी.
खानपान :
जरूरत से कम पोषक तत्वों को ग्रहण करना कुपोषण
कहलाता है. कुपोषण कई बीमारियों को बुलावा देता है, जैसे कमजोरी महसूस होना, शरीर
में खून की कमी होना आदि. कुछ छोटी-मोटी बातों को ध्यान में रखकर आप समुचित आहार
ग्रहण कर सकते हैं,
यह कैसे करना चाहिए तो :-
1. कभी भी सुबह नाश्ता
किए बगैर घर से बाहर न जाएं. रात भर की के बाद दिमाग और शरीर के की ऊर्जा के लिए
नाश्ता बहुत जरूरी है. सुबह के समय नाश्ता न करने से न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क
भी सुस्त हो जाता है साथ ही एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है. रिफाइंड युक्त
खानपान का प्रयोग कम से कम करें.
2. स्वस्थ रहने के लिए
यह जरूरी नहीं है कि आप महंगे और विदेश खाद्द पदार्थ ही ग्रहण करें. अपने परिवेश
में पाए जाने वाले खाद्द पदार्थ ज्यादा लाभकारी होते हैं.
3. भोजन की थाली में
अलग-अलग रंगों के खाद्द पदार्थ जरूरी होने चाहिए, जैसे पीली दाल, हरी सब्जी, सफेद
दही और रंग-बिरंगे सलाद. इससे शरीर के लिए सारे जरूरी पोषक तत्व आसानी से मिल
जाएँगे.
4. रात का भोजन आठ-नौ
बहे तक हर हाल में कर लेना चाहिए. बहुत डरे से भोजन करने पर रात में एसिड या जी
मिचलाने की समस्या हो सकता है.
5. सेहत सही रखने के
लिए प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी अवश्य पीजिए.
6. प्रतिदिन अलग-अलग
रंग की दो-तीन कटोरी सब्जी तथा एक से दो प्लेट सलाद व फलों का सेवन करना चिहिए.
व्यायाम :
प्रतिदिन लगभग एक घंटे का वक्त व्यायम के लिए आवश्य
निकालें. व्यायाम किसी आयु विशेष के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि यह 70 साल वाले
बुजुर्ग के लिए भी उतना है लाभकारी है, जितना कि पांच साल के बच्चों के लिए
व्यायाम करने से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर को
नियंत्रित कनरे में मदद मिलती है साथ ही मोटापा भी नियंत्रित होता है. इसके अलावा
डिप्रेशन व नींद की समस्या को दूर करने में भी व्यायाम से मदद मिलती है. याद रखें
व्यायाम अपनी क्षमता व रूचि के अनुसार करें. व्यायाम में पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल
चलाना, योग, प्राणायाम और नृत्य आदि को शामिल कर सकते हैं.
नींद :
निंद के दौरान भी हमारे शरीर के कई अंग और हमारा
मस्तिष्क सक्रिय रहता है. अनेक हारमोंस नीदं के दौरान ही सक्रिय होते हैं. एक
वयस्क को लगभग सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है. वहीँ छोटे बच्चों के लिए दस से
बारह घंटे की नींद उनके तन-मन के संपूर्ण विकास के लिए लाभकारी है. अनिद्रा से
डिप्रेशन, माइग्रेन और हृदय रोगों से संबंधित बीमारियाँ बढ़ रही हैं.
दूर रहे नशे की लत से :
धूमपान और अन्य किसी भी तरह के नशे की लत आपके
शरीर को ही नही, परिवार और आर्थिक स्थिति को भी लगातार कमजोर करती है. अगर आप प्रतिदिन
नशा करेंगे तो आगे चलकर इन व्यसनों को छोड़ना मुश्किल हो जाएगा. देश में होने वाली
कुल मौतों में से एक तिहाई मौतें धूमपान की लत से होने वाले रोगों के कारण ही होती
हैं. अगर आप किसी तरह का नशा करते हैं तो आपको नए वर्ष में अपने आपको इस लत से
मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए. नशा करते हैं तो आपके नए वर्ष में अपने आपको इस लत
से मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए. नशा छोड़ने के सन्दर्भ में परामार्श के लिए अपने
डाक्टरों से संपर्क करें. नशा छुड़ाने में व्यवहार चिकित्सा सहायक है.
डिजिटल की सीमित प्रयोग होना चाहिए :
आज एक युग में कई नई समस्याएँ धीरे-धीरे हमारे
जीवन में पैर पसार रही हैं, जैसे इन्टरनेट, सोशल मीडिया तथा स्क्रीन होम एडिक्शन
आदि. एक शोध के अनुसार हर तीसरा व्यक्ति बार-बार फोन चेक करने, सोशल प्लेटफार्म पर
ज्यादा समय बीतने और ऑनलाइन शॉपिंग आदि में काफी वक्त बिताता है. अगर व्यक्ति सोशल
मिडिया की गतिविधियों में संलग्न नहीं रहता है तो वह अपने मन में एक कमी या बेचैनी
महसूस करता है. यही नही वह लगातार अपने सोशल मिडिया स्टेट्स को लेकर भी एन्ग्जाइटी
महसूस करता है. सोशल मिडिया भी के तरह की नशे की लत जैसी ही मानसिक बीमारी होती जा
रही है. इससे बचाव के लिए कुछ उपाय अपनाएं जैसे :-
1.
कभी भी खाना खाते समय टीवी, फोन या किसी अन्य
इलेक्ट्रानिक उपकरण का इस्तेमाल न करें. इस बारे में अपने परिवार से चर्चा करके
आपसी सहमति बनाएं.
2.
घर में किसी भी बेडरूम में टीवी न हो साथ ही टीवी
देखने का समय भी नियमित करें.
3.
रात में फोन, लैपटॉप, आइपैड आदि को चार्जिंग पर
लगाकर न छोडें.
4.
सोते समय मोबाईल फोन को अपने शरीर से कम से कम
तीन चर फुट की दूरी पर रखें.
5.
समय निकालकर छुट्टी के दिनों और अन्य अवसरों पर
सपरिवार घर से बाहर घुमने जाएँ, साथ ही नुई हाबीज भी विकसित करें और इंडोर गेम्स
खेलें.
6.
केवल फोन पर चैट करते रहने की बजाय समय-समय पर
दोस्तों से निजी स्तर पर मिले.
शरीर की नियमित जाँच :
जरूरी शारीरिक जांचे साल में कितनी बार हो, यह
बात आयु, बीमारियों और परिवार की हेल्थहिस्ट्री पर निर्भर करती है. अगर आप पूरी
तरह से स्वस्थ हैं तो भी चालीस-पैंतालिस की उम्र के बाद साल में एक बार डाक्टर से
मिलकर आवश्यक जांचे करवानी चाहिए. इससे समय रहते शारीरिक समस्याओं के बारे में पता
चल जाता है. वैसे तो आजकल मार्केट के बहुत सारे हेल्थ पैकेज का प्रचलन है, आप अपने
डाक्टरों की सलाह से ही जरूरी जांचे करवाएं. व्यर्थ में समय और धन की हानि न करें.
टीकाकरण :
बच्चों और बड़ों दोनों को ही उनकी अवस्था के
अनुसार टीकाकरण की जरूरत होती है. टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका
है. टीकाकरण आयु तथा मेडिकल कन्डीशन के आधार पर किया जाता है. समय पर टीका लगवाने
से पीलिया (हेपेटाइटिस ए और बी), पोलियो, खसरा, मप्स, फ्लू, न्युमोनिया आदि लगभग पन्द्रह बीमारियों से बचाव
हो सकता है. आप अपने डाक्टरों से परामर्श करें कि कौन-कौन सा टीका अपने और परिवार
के अन्य सदस्यों को लगवा सकते हैं.
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