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रविवार, 31 मई 2020

corona virus Immunity power in hindi I 7 तरीके कोरोना वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढाते....

Manoj kumar

गर्मियों में रहें सेहतमंद

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाए 

कोरोना वायरस के इन्फेक्शन के चलते आजकल पूरी दुनिया में लोग अपनी सेहत के प्रति काफी सजग हो गए हैं. इससे अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए बहुत आवश्यक है कि हमारी सेहत सही रहे. अगर हमारी जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने या कोरोना जैसे किसी भी संक्रमण से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. गर्मियों के मौसम में तो अपने को और परिवार को सेहतमंद रखना और आवश्यक है.
corona virus Immunity power in hindi, इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या क्या खाना चाहिए
corona virus Immunity power 

तरबूज का रस :

इसमें करीब नब्बे प्रतिशत पानी और भरपूर मात्रा में मिनरल्स और विटामिन्स होते हैं. इसको पीने से शरीर को ढेर सारे पोषक तत्व मिलते हैं साथ ही ऊर्जा भी मिलती है. इसमें एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा काफी होती है. तरबूज का रस सुबह या शाम के समय लिया जा सकता है. इसके पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है. यह हृदय को स्वस्थ रखता है और ब्लड प्रेशर को सही रखने में मदद करता है. यह स्ट्रेट बस्टर का काम करता है. इसके पीने से गर्मी में होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न नहीं होती हैं. यह एंटी एजिंग का भी काम करता है. अगर आप अपना वजन कम करना चाहती हैं तो प्रतिदिन सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए. इसमें पाया जाने वाला लाइकोपिन नामक एंटीऑक्सीडेंट शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स को कम करता है और कई रोगों से शरीर की रक्षा करता है.

मौसमी फल :

गर्मी के मौसम में कई तरह के फल आते हैं, जैसे तरबूज, खरबूजा, लीची आदि. इन मौसमी फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. इनमें मौजूद विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंटस व अन्य पोषक तत्व कई तरह की बीमारियों से रक्षा करते हैं. इनमें  प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाले शुगर शरीर को तुरंत एनर्जी देने का काम करती है और इनमें कुदरती रूप से काफी मात्रा में मिलने वाला पानी शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है.

पुदीने में है बड़ा दम :

पुदीना हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत ही फायदेमंद हॉट है. इसको चटनी, रायता, पना, चाय आदि में प्रयोग किया जा सकता है. सुबह के समय के समय पुदीने की तीन-चार पत्तियों को चबाकर खाने से शरीर को काफी राहत मिलती है. इसमें सी भी पर्याप्त मात्रा में होता है. यह एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियला प्रापर्टीज से भरपूर होता है. यही कारण है कि पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में यह बहुत फायादेमदं होता है. शोधों से पता चला है कि पुदीना दिमाग के लिए भी बहुत फायदा करता है. पुदीने की पत्तियों को सुबह के समय सूंघने से दिमाग को काफी राहत मिलती है और सुबह के समय महसूस होने वाली थकान में भी आराम मिलता है. पुदीने की पत्तियां डालकर चाय पीने से तनाव और अवसाद से छुटकारा मिलता है.

आम का पना :

गरमीयों के दिनों में कच्चे आम का पना भी शरीर को बहुत राहत देता है. इससे शरीर को आवश्यक मिनरल्स और लवण मिलते हैं. इसका प्रयोग प्रतिदिन किया जा सकता है. इसमें मिलने वाले विभिन्न एसिड्स जैसे पेक्टिन, मौलिक, साइट्रिक आदि शरीर में साल्ट और आयरन की मात्रा को संतुलित रखते हैं. इसमें मिलने वाले विटामिन्स जैसे ए, बी-1, बी-2, बी-6, और शरीर को तुरंत एनर्जी देने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पेट संबंधी संबंधी समस्याओं से बचाव करते हैं. आम पना में नियासिन, फोलेट जैसे पोषक तत्व भी काफी मात्रा में पाए हैं. इसके पीने से न केवल शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है, बल्कि यह मानसिक समस्याओं से भी राहत दिलाता है. शोधों से पता चला है कि यह दिमाग को शक्ति देने के साथ ही याददाश्त क्षमता को भी मजबूत बनाता है.

बनाना शेक :

इसमें काफी पोषक तत्व पाए जाते हैं. इससे शरीर के लिए आवश्यक फाइबर मिलता है साथ ही प्राकृतिक शुगर भी. इसमें फोलेट, मैग्नीशियम, पोटेशियम आदि पाया जाता है. सुबह के समय इसको पीने से शरीर को काफी उर्जा मिलती है साथ ही देर तक पेट भरा रहता है. इसमें काफी मात्रा में आयरन भी पाया जाता है, जो महिलाओं की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है.

मौसमी का जूस :

इसमें विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह शरीर को तुरंत एनर्जी देता है. इसमें विटामिन्स के साथ ही पोटेशियम, फाइबर, जिंक कैल्शियम, कापर, आयरन आदि पोश्क तत्व पाए जाते है. पोटेशियम की अधिकता के कारण यह हृदय के लिए लाभकारी होता है. आयरन की मौजूदगी के कारण यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है. यह पाचनतंत्र को सही रखने में मददगार होता है. इसमें फैट और कैलोरी बहुत कम मात्रा में पाई जाती है. इसलिए यह वजन कम करने में भी सहायक है. विटामिन सी की अधिकता के कारण यह सर्दी-जुकाम से भी बचाता है. इसका सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. यह त्वचा, आँखों और बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है.

दही और छाछ :

ये दोनों कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. खासकर इनमें प्रोटीन भरपूर होता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है. दही पांचनतंत्र को सही रखने में मदद करता है. इसके साथ ही यह हड्डियों को मजबूत बनाता है. यह वजन कम करने में भी सहायक है और हृदय संबंधी समस्याओं से बचाने में काफी कारगर है. दही के सेवन से हापरटेंशन से भी राहत मिलती है. कई शोधों से पता चला है कि दही का सेवन करने से चिंता और तनाव जैसी मानसिक समस्याओं से काफी राहत मिलती है. गर्मी के मौसम में दही प्रयोग करते रहने से विभिन्न प्रकार की पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है. दही दाँतों की मजबूती के लिए भी लाभदायक होता है. इसी प्रकार छाछ अर्थात मट्ठा ने केवल पाचनतंत्र को सही रखता है, बल्कि शरीर में विटामिन्स की कमी नही होने देता है. यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर में विटामिन्स की कमी नही होने देता है. यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद है. इसमें काफी मात्रा में कैल्शियम, पोटेशियम पाया जाता है. इसलिए यह दांतों के लिए भी लाभदायक होता है. इसमें मिलने वाले विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंटस शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में काफी मदद करते हैं.

शनिवार, 30 मई 2020

Good health कैसे बनाते हैं I 7 रहस्य जाने.......

Manoj kumar

सेहतमंद रहने के मूल मंत्र

सेहत भरे जीवन का राज इस लेख में आपको पढ़ने समझने को मिलेगा. 2020 की शुरुआत हो चुकी है. नव वर्ष के मौके पर परिवार के सभी सदस्यों को अपनी सेहत सही रखने केलिए अपने खानपान, व्यायाम और विश्राम पर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है. चुस्त – दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ संकल्प लेकर उन पर अमल जरूरी करना चाहिए...... 

Good health, सेहत बनाने का तरीका
health
एक स्वस्थ जीवन का अर्थ सिर्फ बीमारी रहित होना नहीं है. स्वस्थ जीवन के संदर्भ में शारीरिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सुखी व स्वस्थ होना भी शामिल है. स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं. सच तो यह है कि अच्छे स्वास्थ्य से जहाँ व्यक्ति बीमारियों से मुक्त रहता है, वहीँ उसकी कार्यक्षमता भी बढ़ती है. हमारी हिन्दी भाषा के साहित्य में हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि गोस्वामी तुलसी दास जी ने सुदंर स्वास्थ्य के विषय में कहा ही कि ‘प्रथम स्वर्ग सुन्दर हो काया’ यानी उनका कहना है कि व्यक्ति के जीवन में तबियत के मामले में अमीर रहने से उसे सुन्दर स्वर्ग की तुलना की गई है. इस बात को आप व्यवहारिक जीवन में देखा सकते हैं जिस दिन आपकी या किसी की तबियत सही नहीं रहती है तो उस दिन व्यक्ति का जीवन खाली-खाली सा लगता है. उसके जीवन में सारी चीजें फ़ालतू लगती है. उसके जीवन में को उन चीजों का कोई अहमियत नहीं रह जाती है.
स्वस्थ रहने के लिए आपके जीवन में एक निश्चित दिनचर्या का होना बहुत जरुरी है. जिससे आपके जीवन के स्वास्थ्य की गाड़ी एक तेज रफ़्तार से जीवन के की दौड़ में आपको जिताएंगी.

खानपान :

जरूरत से कम पोषक तत्वों को ग्रहण करना कुपोषण कहलाता है. कुपोषण कई बीमारियों को बुलावा देता है, जैसे कमजोरी महसूस होना, शरीर में खून की कमी होना आदि. कुछ छोटी-मोटी बातों को ध्यान में रखकर आप समुचित आहार ग्रहण कर सकते हैं, 

यह कैसे करना चाहिए तो :-

1.    कभी भी सुबह नाश्ता किए बगैर घर से बाहर न जाएं. रात भर की के बाद दिमाग और शरीर के की ऊर्जा के लिए नाश्ता बहुत जरूरी है. सुबह के समय नाश्ता न करने से न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क भी सुस्त हो जाता है साथ ही एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है. रिफाइंड युक्त खानपान का प्रयोग कम से कम करें. 
2.    स्वस्थ रहने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप महंगे और विदेश खाद्द पदार्थ ही ग्रहण करें. अपने परिवेश में पाए जाने वाले खाद्द पदार्थ ज्यादा लाभकारी होते हैं. 
3.    भोजन की थाली में अलग-अलग रंगों के खाद्द पदार्थ जरूरी होने चाहिए, जैसे पीली दाल, हरी सब्जी, सफेद दही और रंग-बिरंगे सलाद. इससे शरीर के लिए सारे जरूरी पोषक तत्व आसानी से मिल जाएँगे. 
4.    रात का भोजन आठ-नौ बहे तक हर हाल में कर लेना चाहिए. बहुत डरे से भोजन करने पर रात में एसिड या जी मिचलाने की समस्या हो सकता है. 
5.    सेहत सही रखने के लिए प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी अवश्य पीजिए. 
6.    प्रतिदिन अलग-अलग रंग की दो-तीन कटोरी सब्जी तथा एक से दो प्लेट सलाद व फलों का सेवन करना चिहिए. 

व्यायाम :

प्रतिदिन लगभग एक घंटे का वक्त व्यायम के लिए आवश्य निकालें. व्यायाम किसी आयु विशेष के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि यह 70 साल वाले बुजुर्ग के लिए भी उतना है लाभकारी है, जितना कि पांच साल के बच्चों के लिए व्यायाम करने से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित कनरे में मदद मिलती है साथ ही मोटापा भी नियंत्रित होता है. इसके अलावा डिप्रेशन व नींद की समस्या को दूर करने में भी व्यायाम से मदद मिलती है. याद रखें व्यायाम अपनी क्षमता व रूचि के अनुसार करें. व्यायाम में पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, योग, प्राणायाम और नृत्य आदि को शामिल कर सकते हैं.

नींद :

निंद के दौरान भी हमारे शरीर के कई अंग और हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है. अनेक हारमोंस नीदं के दौरान ही सक्रिय होते हैं. एक वयस्क को लगभग सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है. वहीँ छोटे बच्चों के लिए दस से बारह घंटे की नींद उनके तन-मन के संपूर्ण विकास के लिए लाभकारी है. अनिद्रा से डिप्रेशन, माइग्रेन और हृदय रोगों से संबंधित बीमारियाँ बढ़ रही हैं. 

दूर रहे नशे की लत से :

धूमपान और अन्य किसी भी तरह के नशे की लत आपके शरीर को ही नही, परिवार और आर्थिक स्थिति को भी लगातार कमजोर करती है. अगर आप प्रतिदिन नशा करेंगे तो आगे चलकर इन व्यसनों को छोड़ना मुश्किल हो जाएगा. देश में होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई मौतें धूमपान की लत से होने वाले रोगों के कारण ही होती हैं. अगर आप किसी तरह का नशा करते हैं तो आपको नए वर्ष में अपने आपको इस लत से मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए. नशा करते हैं तो आपके नए वर्ष में अपने आपको इस लत से मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए. नशा छोड़ने के सन्दर्भ में परामार्श के लिए अपने डाक्टरों से संपर्क करें. नशा छुड़ाने में व्यवहार चिकित्सा सहायक है. 

डिजिटल की सीमित प्रयोग होना चाहिए :

आज एक युग में कई नई समस्याएँ धीरे-धीरे हमारे जीवन में पैर पसार रही हैं, जैसे इन्टरनेट, सोशल मीडिया तथा स्क्रीन होम एडिक्शन आदि. एक शोध के अनुसार हर तीसरा व्यक्ति बार-बार फोन चेक करने, सोशल प्लेटफार्म पर ज्यादा समय बीतने और ऑनलाइन शॉपिंग आदि में काफी वक्त बिताता है. अगर व्यक्ति सोशल मिडिया की गतिविधियों में संलग्न नहीं रहता है तो वह अपने मन में एक कमी या बेचैनी महसूस करता है. यही नही वह लगातार अपने सोशल मिडिया स्टेट्स को लेकर भी एन्ग्जाइटी महसूस करता है. सोशल मिडिया भी के तरह की नशे की लत जैसी ही मानसिक बीमारी होती जा रही है. इससे बचाव के लिए कुछ उपाय अपनाएं जैसे :-    
1.     कभी भी खाना खाते समय टीवी, फोन या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण का इस्तेमाल न करें. इस बारे में अपने परिवार से चर्चा करके आपसी सहमति बनाएं. 
2.     घर में किसी भी बेडरूम में टीवी न हो साथ ही टीवी देखने का समय भी नियमित करें. 
3.     रात में फोन, लैपटॉप, आइपैड आदि को चार्जिंग पर लगाकर न छोडें. 
4.     सोते समय मोबाईल फोन को अपने शरीर से कम से कम तीन चर फुट की दूरी पर रखें. 
5.     समय निकालकर छुट्टी के दिनों और अन्य अवसरों पर सपरिवार घर से बाहर घुमने जाएँ, साथ ही नुई हाबीज भी विकसित करें और इंडोर गेम्स खेलें. 
6.     केवल फोन पर चैट करते रहने की बजाय समय-समय पर दोस्तों से निजी स्तर पर मिले. 

शरीर की नियमित जाँच :

जरूरी शारीरिक जांचे साल में कितनी बार हो, यह बात आयु, बीमारियों और परिवार की हेल्थहिस्ट्री पर निर्भर करती है. अगर आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं तो भी चालीस-पैंतालिस की उम्र के बाद साल में एक बार डाक्टर से मिलकर आवश्यक जांचे करवानी चाहिए. इससे समय रहते शारीरिक समस्याओं के बारे में पता चल जाता है. वैसे तो आजकल मार्केट के बहुत सारे हेल्थ पैकेज का प्रचलन है, आप अपने डाक्टरों की सलाह से ही जरूरी जांचे करवाएं. व्यर्थ में समय और धन की हानि न करें. 

टीकाकरण :

बच्चों और बड़ों दोनों को ही उनकी अवस्था के अनुसार टीकाकरण की जरूरत होती है. टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है. टीकाकरण आयु तथा मेडिकल कन्डीशन के आधार पर किया जाता है. समय पर टीका लगवाने से पीलिया (हेपेटाइटिस ए और बी), पोलियो, खसरा, मप्स, फ्लू,  न्युमोनिया आदि लगभग पन्द्रह बीमारियों से बचाव हो सकता है. आप अपने डाक्टरों से परामर्श करें कि कौन-कौन सा टीका अपने और परिवार के अन्य सदस्यों को लगवा सकते हैं.     

शुक्रवार, 29 मई 2020

What is the secret of laughing I बीमारियों से बचना है तो दिल खोलकर हँसना चाहिए

Manoj kumar

बीमारियों से बचना है तो दिल खोलकर हँसना चाहिए

हंसता हुआ, नूरानी चेहरा. कहने के लिए यह एक गीत की पंक्ति हैं, लेकिन यह बताने के लिए काफी है कि हँसता हुआ चेहरा हर किसी को पसंद होता है. दिल खोल कर हंसने का यह सिर्फ एक फायदा नहीं है, यह हर मर्ज की दवा है. स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे कई शोध हालिया वर्षों में सामने आए हैं, जिन्होंने बताया है कि दिल की बीमारी से कैलोरी कम करने के तलबगार तक हर कोई इससे फायदा उठा सकता है. बस जरूरत है खुलकर हंसने की. हंसने से आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं. बस जरूरत है खुलकर हंसने की. हंसने से आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं और अपने जीवन को सरस बना सकते हैं और अपने जीवन को सरस बना सकते हैं. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में एकांतवास या क्वारंटाइन में रह रहे लोगों का अवसाद में चले जाना बहुत स्वाभाविक सी बात है. ऐसे में उन लोगों के लिए हँसना और इस दिन को ठहाका लगाते हुए बिताना किसी रामबाण से कम नहीं है. हंसने के फायदों प्र आधारित पेश है.

बीमारियों से बचना है तो दिल खोलकर हँसना चाहिए, What is the secret of laughing
हँसना

रामबाण औषधि :

हंसी मनुष्य के लिए अद्वितीय उपहार है. बीएमसी कंप्लीमेंट्री एण्ड अल्टरनेटिव मेडिसन ने 2010 में अपने शोध में बताया कि हँसी और मुस्कुराहट आमतौर पर अच्छी इच्छा के संदेश के रूप में होती है. वहीँ डेंटल एण्ड मेडिकल रिसर्च जर्नल में 2017 का अध्ययन में बताता है कि हंसने से उच्च रक्तचाप में कमी आती है. 2011 में अमेरिकन हार्ट एसोशिएशन के वैज्ञानिक सत्र में तीन महीने के लंबे अध्ययन के परिणाम प्रस्तुत किए गए. जिसमें शोधकर्ताओं ने 79प्रतिभागियों को संगीत सुनाया गया या लाफ्टर थेरेपी दी गई. जिन लोगों को लाफ्टर थेरेपी दी गई. जिन लोगों को लाफ्टर थेरेपी दी गई उनके ब्ल्दप्रेशर का स्तर 7 एमएमएचजी कम हुआ जबकि जिन्हें संगीत सुनाया गया उनका ब्लड प्रेशर 6 एमएमएचजी कम हुआ.

हँसेंगे तो मधुमेह से बचेंगे :

हंसी न्यूरोएण्डोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करती है, जो शरीर के ग्लूकोज स्तर की निगरानी करता है. तनाव, भय और चिंता जैसी नकारात्मक भावनाओं के कारण रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है. हंसी की एक अच्छी खुराक रक्त शर्करा को नियंत्रित करती है, क्योंकि यह ग्लूकोज उत्पादन के लिए जिम्मेदारी अंतत: स्रावी ग्रंथियों की मालिश करती है.

शरीर को आराम :

हंसने से पूरे शरीर को आराम मिलता है. एक अच्छी हँसी, शारीरिक तनाव से छुटकारा दिलाती है. जिससे आपकी माँसपेशिययों को करीब 45 मिनट तक आराम मिलता जय.

प्रतिरक्षा मजबूत :

हंसी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है. हँसी तनाव हार्मोन को कम करती है और प्रतिरक्षा कोशिकाओं और संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबाडी को बढाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है.

भलाई की भावना :

हंसी से एंडोर्फिन हार्मोंन ज्यादा बनता है, इससे हमें अच्छा महसूस होता है. एंडोर्फिन भलाई की एक समग्र भावना को बढ़ावा देता है और यहाँ तक की अस्थायी रूप से दर्द से राहत दे सकता है.
दिल के दोस्त :हंसी दिल भी दोस्त है. यह रक्त वाहिकाओं के कार्य में सुधार करती है और रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देती है, जिससे आपको दिल के दौरे और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं से बचाव में मदद मिलती है.

जलती है कैलोरी :

हंसी से कौलोरी खर्च होती है. हालांकि यह जिम जाने का कोई प्रतिस्थापन नहीं है, लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि दिन में 10 से 15 मिनट तक हंसना लगभग 40 कैलोरी जला सकती है.

गुस्से से निजात :

हंसी गुस्से के भारी बोझ को हल्का करती है. सामूहिक रूप से हँसना और भी अच्छा है. आप कड़वाहट या नाराजगी को के ओर रखकर के दिल खोलकर हँसे तो पाएंगे कि बिना टकराव के आगे बढने में सक्षम हो सकते हैं.

लंबा जीवन देने में मददगार :

हंसी आपको लंबे समय तक जीने में भी मदद कर सकती है. नार्वे में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि मजाकिया अंदाज वाले लोग दूसरों को बहुत ज्यादा पसंद आते हैं. कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए यह अंतर विशेष रूप से उल्लेखनी था.

एक हंसी देगी ख़ुशी :

आपके दिन की शुरुआत एक जोरदार ठहाके के साथ हो जाए तो आप चुस्त भी रहेंगे और दुरुस्त भी. आपकी सिर से लेकर एड़ी तक सारी मांसपेशियां खुल जाएंगी. रगों में खून का बहाव संतुलित हो जाएगा. मतलब एक हंसी आपको दिनभर ख़ुशी ही ख़ुशी देगी जैसे :
ü दिमाग की बत्ती जलती रहेगी. 
ü सोने के तरीके में होगा सुधार. 
ü निराशा-चिंता से दूर रहेंगे. 
ü तंत्रिका प्रणाली को संतुलित रखता है. मिजाज रहेगा सकारात्मक. 
ü याददाश्त बढ़ेगी. 
ü चुकियों में परेशानी का कर सकेंगे हल. 
ü प्रतिरक्षा तंत्र स्वस्थ रहेगा. 
ü तंत्रिका प्रणाली को संतुलित रखता है और मिजाज रहेगा सकारात्मक. 
ü सिक्स एप होगे और मजबूत. 
ü भरोसा बढ़ता है, रिश्तो में घनिष्ठता बढ़ती है. चुटकियों में परेशानी का कर सकेंगे हल. 
ü प्रतिरक्षी तंत्र स्वस्थ्य रहेगा. 
ü दिल रहता है सुरक्षित. 
ü भरोसा बढ़ाता है, रिश्तों में घनिष्ठता बढ़ाती है
ü रक्त नलिकाओं का मजबूत करता है, रक्त प्रवाह ठीक रहता है. 
ü छूमंतर हो जाएगा मांस पेशियों का खिंचाव  दर्द सहने की क्षमता बढाता है 

हंसने के और क्या-क्या फायदा है:

हंसने से तनाव और चिंता वाले लक्षण कम उत्पन्न होते हैं. हार्टअटैक आने व रक्तचाप बढ़ने की संभावना कम रहती है. इससे मधुमेह भी काबू में रहता है. साथ ही ब्रेन स्ट्रोक की संभावना कम होती है. रक्त परिसंचरण बढ़ने से प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. हंसना एक तरह की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज जैसा है. हंसने से हमारी मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है. हंसने से तनाव कम महसूस होता हैं और शरीर में पाजिटिव एनर्जी का संचार होता है. साथ ही शरीर में इंडोर्फिंन हार्मोन बनता है. जिससे हम सकारात्मक महसूस करते हैं.

हंसना मानसिक ही नहीं, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर खुराक है. मानसिक चिकित्सा में इसका अहम योगदान है. हंसने से हमारे दिमाग में पोस्टोगलैंडिन और डोपामाईन नामक रसायन पैदा होता है जो हमारी सिकुड़ी हुई नसों को खोलता है. यही वजह है कि तनाव को दूर करने के लिए इसका सहारा लिया जाता है. इसके अलावा हंसने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है. इसलिए जो हंसते रहते हैं या प्रसन्न रहते हैं वे लंबा जीवन जीते हैं. कोरोना के संक्रमण काल में इसका महत्व और बढ़ गया है. लॉकडाउन और कोरोना के कारण लोग तनाव में हैं. लोग मुश्किलों के बीच भी अगर प्रसन्न रहना सीख लेंगे तो यह बेहतर रहेगा.

हंसने पर फेफड़े की कार्यक्षमता बेहतर होती है. इससे फेफड़े से कार्बन डाईऑक्साइड बाहर आता है और मस्तिष्क को बेहतर ऑक्सीजन मिल पाता है. इससे मस्तिष्क की नसें अपने सही आकार में आती हैं. मस्तिष्क की नसें अपने सही आकार में आती है. मस्तिष्क में रक्त संचार बेहतर रहता है. हंसना योग की तरह फायदेमंद है. मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है. हंसने के दौरान एंडोर्फिन हार्मोन अधिक बनता है इससे ख़ुशी व अच्छा महसूस होता है और मस्तिष्क का तनाव दूर होता है. तनाव कई बीमारियों का कारण है. खुश रहना स्ट्रोक, हार्ट अटैक की बीमारियों से बचाव के लिए भी जरूरी है. 

हंसने से मानसिक और शारीरिक तनाव कम रहने के साथ शरीर स्वस्थ रहता है. हंसने में चेहरे की मांसपेशियां पर तनाव कम झलकता है. इससे शरीर की अंदर रक्त परिसंचरण भी बढ़ाता है और हार्मोन बाहर निकलता है. जिससे शरीर तनाव नहीं महसूस करता और स्वस्थ रहता है. हंसने के दौरान हमारे शरीर में एंटी वायरल कोशिकाएं तेजी से बनती है और हमारा प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. हंसने के दौरान कैलरी खर्च होती है. जिससे मोटापा की समस्या कम होती है. 15 मिनट तक हंसने से 10-40 कैलरी तक खर्च कर सकते हैं.    

गुरुवार, 28 मई 2020

करें सुरक्षा लीवर की I Protect liver

Manoj kumar

करें सुरक्षा लीवर की

Protect liver, लिवर की सुरक्षा
liver
लीवर सिरोसिस से सूझ रहे मरीजों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. बढ़ती गर्मी और कोरोना संक्रमण के चलते इन्हें दोगुना खतरा है. ऐसे पनिक होने के बजाय सावधनी बरतें..... 

मेडिकल साइंस के अनुसार एड्स के साथ जी रहे मरीजों से भी ज्यादा कमजोर होती है लीवर रोगियों की इम्युनिटी. लीवर के संक्रमित होने पर इसके मरीजों पर अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है.अभी तक एक नतीजों में कोरोना संक्रमित का सहयोग और मजबूत इम्युनिटी रही है. लीवर ख़राब होने के के कई कारण हैं और उनका उपचार भी संभव है लेकिन इसकी सर्वाधिक गंभीर समस्या लीवर सिरोसिस है. जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें इस मौसम व कोरोना संक्रमण के दौर में खास तौर से सतर्क रहने की जरूरत है. खानपान के साथ ही कई बार लीवर के संक्रमित होने का कारण लगातार टीबी और आर्थराइटिस की दवाओं का उपयोग भी होता है. ऐसे में अगर इस तरह का उपचार चल रहा है तो लीवर की जाँच भी कराते रहें.
कई बार जब रोगी को देर से इसके संक्रमण की जानकारी होती है तो न केवल लंबे समय तक उपचार चलता है, बल्कि मरीज के साथ-साथ परिवारवालों को भी सजग रहना होता है,क्योंकि इन मरीजों में दवाएं चलने के बाद भी अधिक संक्रमण के कारण अचानक से नई-नई सम्स्याओंके लक्षण दिखते हैं. जैसे – बेहोशी, अचानक से चक्कर आना या उल्टी के साथ खून आ जाना. बेहतर रहेगा कि अगर आप लीवर की किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो कोविड-19 के संक्रमणकाल में घर से बाहर कतई न निकलें और लगातार चिकित्सक के संपर्क में रहें. हाँ, यदि सेहत को प्रभावित करने वाली नई समस्या पैदा होती है तो ही चिकित्सक की सलाह पर अस्पताल का रुख करें और कोरोना से बचने के सारे उपाय आजमाए.

लीवर से जुड़ी समस्याएं :

आमतौर पर लीवर की कई बीमारियाँ हैं, जिनकी प्रारंभिक समस्याओं में पीलिया, फैटी लीवर,लीवर में सूजन आदि हो सकती हैं लेकिन जब इन्ही छोटी-छोटी समस्याओं को नजर अंदाज किया जाता है तो हेपेटाइटिस जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. हेपेटाइटिस-ए, बी, सी, डी, ई प्रकार होता है और उचित उपचार से यह ठीक भी जो जाता है. हेपेटाइटिस-सी लीवर का गंभीर संक्रमण है, जिसका नाम सुनते ही रोगी सदमे में आ जाता है. जबकि लंबे समय तक उपचार और चिकित्सक की देखरेख में इसके मरीज भी स्वस्थ्य हो जाते हैं. अधिसंख्य लोगों का मानना है कि लीवर सिरोसिस के शिकार वे लोग होते हैं, जो एल्कोहल का सेवन करते हैं लेकिन यह सच नहीं है. हाँ 33 फीसदी रोगियों में एल्कोहल इस बीमारी की बजह है पर कई बार उच्च रक्तचाप, मोटापा, डायबीटीज और दिल से जुड़ी बीमारियाँ भी लीवर के सामान्य रूप से काम, न करने का कारण होती हैं.

संक्रमण के प्रमुख लक्षण :

ª    शरीर का पीला पड़ना. 
ª    लगातार वजन गिरना. 
ª    भूख न लगना. 
ª    उल्टियाँ होना या जी मिचलाना. 
ª    घबराहट होना. 
ª    थकान का अनुभव या बराबर लेटे रहने की इच्छा करना. 
ª    हल्का बुखार बना रहना. 
ª    उल्टी के साथ खून आना. 
ª    अचानक बेहोश हो जाना.

इस तरह स्वस्थ रहे लीवर :

ü अधिक चिकनाई युक्त चीजों से परहेज करें. 
ü एल्कोहल, तंबाकू और धूमपान से दूर रहें. 
ü फास्टफूड का इस्तेमाल कतई न करें. 
ü शुगर का प्रयोग कम से कम करें (अगर अधिक चाय पीते हैं तो ग्रीन टी    का इस्तेमाल करें). 
ü योग, व्यायाम, मेडिटेशन आदि दिन चर्या में शामिल करें. 
ü पौष्टिक और सुपाच्य आहार लें. 
ü वजन नियंत्रित रखें. 
ü डायबीटीज, हृदय रोग या मोटापे की समस्या है तो इनके उपचार के      साथ ही लीवर की स्थिति पर भी नजर रखें. 
 

बुधवार, 27 मई 2020

विटामिन डी I Vitanin D

Manoj kumar

 
धूप से चुराएँगे नजरें तो हड्डियों की होगी उम्र कम

अब पहले की तरह बच्चें धूप में नहीं खेलते, घर के अन्य लोगों के पास भी वक्त नहीं. आज आधुनिक जीवनशैली व भगमभाग में लोग सूरज की किरणों की अनदेखी कर न जाने कितनी बीमारियों को पनपने का मौका दे दिया है. विटामिन डी की कमी इस वक्त ज्यादातर लोगों में दिख रही है. चिकित्सकों के पास ज्यादातर इस समस्या से पीड़ित लोग आ रहे हैं. खास बात यह कि अब विटामिन – डी की कमी से बच्चों में भी हड्डी की ऐसी बीमारियाँ देखी जा रही है जो पहले 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों में देखी जाती थी. आइए जानते हैं इसका कारण और समाधान.

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बच्चों को नहीं मिल रही धूप

पहले के समय में लोग छतों पर सुबह की धूप में बैठते थे. ऐसे में उनकी हड्डियाँ आज के युवाओं के मुकाबले ज्यादा मजबूत थी. लेकिन वर्तमान में बच्चों को धूप नहीं मिल रही है.

रिकेट्स और स्कर्वी रोग का खतरा

हड्डियां हमारे शरीर को आकार देती हैं, अंगों की रक्षा करतीहैं, मांसपेशियों का स्थिरण करतीहैं और कैल्शियम का संग्रहं करती हैं. नवजात बच्चों से लेकर बढ़ते बच्चों में कैल्शियम का संग्रहण करती है. नवजात बच्चों से लेकर बढ़ते बच्चों में कैल्शियम और विटामिन-डी की जरूरत अधिक होती है. इसकी कमी से बच्चों में रिकेट्स और स्कर्वी जैसे रोग हो सकते हैं. बच्चों के हाथ-पैरों में टेढ़ापन और बड़ा माथा होना विटामिन – डी कमी को दर्शाता है.

अच्छा स्रोत है सूर्य की रोशनी विटामिन – डी के लिए

सूर्य की रोशनी विटामिन – डी का सबसे बेहतर स्रोत है इसलिए बच्चों को घर से बाहर धुप में खेलने के लिए कहना चाहिए. महिलाओं में मेनोपॉज के बाद उनकी हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं. आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी में तो हड्डियाँ उम्र के साथ मलायम होकर चिटकने लगती हैं.

ये बीमारियाँ जकड़ रही हैं

अब तो बच्चों व युवाओं को भी आस्टियोपिनिया, आस्टियोपोरोसिस, आस्तियोर्थराइटिस, सर्वाइकल स्पान्डलाटिस जैसी बीमारियाँ जकड़ रही हैं. गलत खानपान व्यायाम न करना आदि से बच्चों का विकास नहीं हो पा रहा है.

पोषक तत्व जरूरी


स्वस्थ हड्डियों के लिए कैल्शियम और विटामिन – डी के अतिरिक्त प्रोटीन, विटामिन – के, मैग्निशियम, पोटैशियम, विटामिन सी और दूसरे पोषक तत्व आवश्यक है.
60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों में जो हड्डियां की बीमारी देखी जाती थी वह अब  बच्चों को हो रही है.25 मिनट तक प्रतिदिन सुबह की धूप में गुजारें तभी हड्डियाँ होंगी मजबूत800 से 1000 यूनिट तक रोजाना शरीर में विटामिन डी की मात्रा होनी चाहिए.1000 मिलीग्राम प्रतिदिन कैल्शियम की होती है जरूरत.

बचाव क्या क्या करना चाहिए

1.    व्यायाम खासतौर पर चलना, जागिंग जितना ज्यादा करेंगे उतनी ही       हड्डियों को ताकत मिलेगी. 
2.    दूध- दही और पनीर का पर्याप्त सेवन करें. 
3.    कैल्शियम की जरूरत को हरहाल में पूरा करें, दूध का सेवन करें.         कैल्शियम की गोलियों को भी ले सकते हैं. 
4.    प्रतिदिन सुबह की धूप में गुजारें, बच्चों को भी धूप के सामने बैठाए. 
5.    नियमित धूप का सेवन करने से विटामिन डी की मात्रा बनी रहेगी.  

आस्टियोपोरोसिस का ज्यादा खतरा है :

Ø महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद या पचास साल की उम्र के ऊपर  
Ø किसी अन्य बीमारी के कारण बहुत दिनों से बिस्तर पर पड़े हुए हैं. 
Ø बहुत कम चलने और व्यायाम से दूर रहने पर. 
Ø अगर गठिया, थायरायड, खून की कमी आदि किसी भी लंबी बीमारी से    पीड़ित हैं. 
Ø स्टेरायड ज्यादा ले रहे हैं तो आपको खतरा है. 
Ø मिर्गी की दवाइयां, इम्यूनोसप्रेशन करने वाली दवाइयां (जो गठिया में      खूब लिखी जाती है.) भी हड्डियों को कमजोर करती है. 
Ø ज्यादा शराब और सिगरेट पीने से. 
Ø 60 के ऊपर के बुजुर्गों को 
Ø लोगों द्वारा सिर झुकाकर मोबाईल इस्तेमाल करना. आजकल इससे      युवाओं में तेजी से सर्वाइकल स्पान्डलाइटिस की बीमारी पनप रही है.