nt, festivals, yoga, benefits of foods, homemade remedies, songs, story" /> निमोनिया पर होगी जीत : II निमोनिया कैसे होता है II निमोनिया रोग कैसे होता है II निमोनिया कैसे ठीक होता है II निमोनिया के लक्षण II nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi ~ life style health gyan

शनिवार, 1 अगस्त 2020

निमोनिया पर होगी जीत : II निमोनिया कैसे होता है II निमोनिया रोग कैसे होता है II निमोनिया कैसे ठीक होता है II निमोनिया के लक्षण II nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi

Manoj kumar

निमोनिया पर होगी जीत : II निमोनिया कैसे होता है II निमोनिया रोग कैसे होता है II निमोनिया कैसे ठीक होता है II निमोनिया के लक्षण II nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi 

सर्दियों के मौसम में निमोनिया के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं लेकिन समय रहते कुछ सुझावों पर अमल कर इस रोग से जहाँ बचा जा सकता है वहीँ इस मर्ज का कारगर इलाज भी संभव है........

फेफड़े में संक्रमण (इन्फेक्शन) को निमोनिया कहा जाता है. यह इन्फेक्शन ज्यादातर मामलों में जीवाणुओं (विक्ट्रीया) के कारण होता है. इस मर्ज में एक या दोनों फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों में पानी भी भर जाता है.

कारण :

न्यूमोकोकस, हिमोफिलस, लेजियोनेला, माइकोप्लाज्मा, क्लेमाइडीया और स्यूडोमोनास और स्यूडोमोनास आदि जीवाणुओं से निमोनिया होता है. इसके अलावा कई वायरस (जो इन्फ्लुएंजा और स्वाइन फ्लू के वाहक हैं), फंगस और परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया होता है.

भारत में प्रतिवर्ष संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में से लगभग 20 फीसदी निमोनिया की वजह से होती है. इसके अलावा अस्पताल में होने वाले संक्रामक रोगों में यह बीमारी दूसरे स्थान पर है.

इन्हें है ज्यादा खतरा :

वैसे तो यह संक्रमण कीसी को भी हो कसता है, पर कुछ बीमारियाँ और स्थितियां ऐसी हैं, जिसमें निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. जैसे शराब और नशे से पीड़ित मरीज, हृदय, फेफड़े और लीवर की बीमारियों के गंभीर मरीज. इसी तरह डायबिटीज, गंभीर किडनी मरीज. इसी तरह डायबिटीज, गंभीर किडनी रोग, वृद्ध, कम उम्र के बच्चे और नवजात शिशु, कैंसर और एड्स के मरीज. ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

संक्रमण तीन तरह से :

सांस के रास्ते: खांसने या छींकने से.

खून के रास्ते: डाईलिसिस से कारण अस्पताल में ऐसे मरीज जो लंबे समय से इंट्रा-वीनस फ्लूड पर हैं, या दिल के ऐसे मरीज जो पेस मेकर पर हैं.

एसपिरेशन: खाद्द पदार्थों के साँस की नली में चले जाने को एसपिरेशन कहते  हैं.

जांचे : खून की जाँच, सीने का एक्स-रे बलगम की जाँच, सीने का एक्स-रे, बलगम की जाँच और कल्चरी जाँच आदि.

प्रमुख लक्षण : nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi II nimoniya ke upchar II nimoniya ka ayurvedic upchar II

तेज बुखार (जोड़ों में दर्द के साथ)

खाँसी और बलगम (जिसमें कई बार खून के छींटे भी हो सकते हैं.)

सीने में दर्द और सांस फूलना.

कुछ मरीजों में दस्त, मतली और उल्टी आना.

व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर आना, भूख न लगना, मांशपेशियों में दर्द, सर्दी लगाकर शरीर ठण्डा पड़ जाना, सिरदर्द और त्वचा का नीला पड़ना आदि.

प्रमुख इलाज : एंटीबायटिक्स दवाओं से इलाज होता है. इन दवाओं का इलाज मरीज की बीमारी का कारण बने जीवाणु पर निर्भर करता है. अधिकतर मरीज बाह्य रोगी विभाग द्वारा इलाज करा सकते हैं, पर अगर यह मर्ज किसी अन्य बीमारी के साथ जुड़ा हुआ है और 60 साल से अधिक की उम्र के व्यक्ति को हुआ है या रोगी गंभीर रूप से बीमार है, तो अक्सर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ सकता है. एंटीबायोटिक दवाओं के अतिरिक्तअगर मरीज को साँस तेजी से फूल रही है, तब पीड़ित व्यक्ति को ऑक्सीजन भी दी जाती है.

बचाव :

चूँकि यह बीमारी ठण्ड के मौसम में ज्यादा होती है. इसलिए ठंडे से बचना चाहिए-खासकर बच्चों और वृद्ध लोगों को.

धूमपान, शराब और सभी तरह के नशा को नियंत्रण में रखना. मधुमेह के मरीजों को अपने डॉ. से शुगर की नियमित जाँच करवाते रहना चाहिए और शुगर को नियंत्रण में रखना चाहिए.

निमोनिया का सबसे प्रमुख कारण न्यूमोकोकस नामक जीवाणु है. इससे बचने का वैक्सीन (टीका) उपलब्ध है, जिसे न्यूमोकोकल वैक्सीन कहते हैं.  


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