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रक्षाबंधन भावनाओं से जुड़ा पर्व है. आज के सन्दर्भ
में एक-दूसरे की रक्षा का भाई-बहन का वादा क्या महज रक्षासूत्र
बांधने से पूरा हो सकता है? इस पारंपरिक उत्सव में दिखाना इसे खोखला बना रहा
है.....
हम बहुत उत्सवधर्मी हो गए हैं. दिखावे के चक्कर
में सब कुछ अंदर से खोखला हो जाता है. मुझे लगता है कि गंभीरता से हाथ में धागा
बाँध देने और एक ऐसा छोटा सा प्रतीकात्मक उपहार दे देने, जो उसके जीवन
में ज्यादा महत्त्व रखता है, से रक्षाबंधन की परंपरा निभाई जा सकती है.
प्रतीक का जवाब तो प्रतीक ही होगा न.
शान-शौकत दिखाने का कोई मतलब नहीं होता.
भावनात्मक संरक्षण मिलता है :
जब भी आप किसी से स्नेह करते हैं तो दोनों तरफ से
संरक्षण मिलता है विशेष रूप से भावनात्मक. भाई-बहन दोनों एक-दूसरे को
संरक्षण देते हैं. रक्षा का मतलब भावनात्मक संरक्षण से ज्यादा है. अब वह सामंती
समय तो रहा नहीं कि घोड़ा पर सवार होकर लोग आपकी रक्षा करेंगे. अब तो हम सब
स्त्रियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी है. अपने भीतर ही वह तेजस्विता अर्जित करनी है
कि हम ही सभी की सुरक्षा के लायक हो सके और अपनी सुरक्षा तो करें ही. मुझे लगता है
कि रक्षाबंधन का स्वरूप बदलना चाहिए. भावनात्मक सुरक्षा यदि भाई बहन
को देता है तो बहन भी भाई को देती है.
बहन भी रक्षा करती है भाई की :
जब से कानून बदले हैं और संपत्ति का अधिकार बहनों
को मिलने लगा तब से मैंने देखा है कि भाई-बहन के रिश्तों में एक तनाव सा आ
गया है. मध्यवर्गीय परिवारों में बांटने के लिए सिर्फ एक घर ही होता है और बहन
नहीं चाहती कि इसमें दखल दें, लेकिन उन्हें ससुराल में ताने सुनने को मिलते
हैं. जितने आसानी से कानून बनते हैं उतनी आसानी से सामाजिक मान्यताएं नहीं
बदलती.यहाँ हर स्त्री को अपने भाई को बचाने की जरूरत पड़ती है और वे ऐसा ही करती
है. मुझे लगता है कि माता-पिता को अपनी बच्ची के नाम पर घर में एक कोना
जरूर रखना चाहिए ताकि वह कभी भी आए तो स्वाभिमान के साथ रह सके. उसे एक जगह मिले.
यह संरक्षण ही होगा.
शिक्षा ही रक्षासूत्र है :
जब बहनों को संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता
था तो उन्हें इन्हीं माध्यमों से थोड़ा-थोड़ा करके कुछ उपहारस्वरूप देते थे. अब भाई-बहन
बराबरी से उपहार ले जाते हैं. बराबरी का रिश्ता बन गया है जिसकी हमें नए सिरे से
व्याख्या करनी पड़ेगी. सबसे बड़ा संरक्षण का धागा शिक्षा हिया. शिक्षा
का सूत्र पहनकर जो बहनें जीवन में कदम बढ़ाती हैं वे ही भाइयों का मान रखने
की कोशिश कर रही हैं. कोई भी चीज परस्पर हो तो ज्यादा अच्छी होती है. दोनों ही
एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध हों. शिक्षा ही रक्षासूत्र है.
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