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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

मकई में है बड़ा दम : मकई के फायदे II मक्का के औषधीय गुण II मक्का खाने के फायदे II corn ke fayde II makka khane ke fayde II makka khane ke fayde bataye II makka benefits II makka benefits in hindi II makka ke sevan benefits in hindi

Manoj kumar

मकई में है बड़ा दम : मकई के फायदे II मक्का के औषधीय गुण II मक्का खाने के फायदे  II corn ke fayde II makka khane ke fayde II makka khane ke fayde bataye II makka benefits II makka benefits in hindi II makka ke sevan benefits in hindi

मकई में है बड़ा दम : मकई के फायदे II मक्का के औषधीय गुण II मक्का खाने के फायदे  II corn ke fayde II makka khane ke fayde II makka khane ke fayde bataye II makka benefits II makka benefits in hindi II makka ke sevan benefits in hindi
मकई

आजकल मकई अर्थात भुट्टे का सीजन चल रहा है. भुट्टे को भूनकर और इसके दानों पर पर नींबू और काला नमक लगाकर खाने से इसका स्वाद और बढ़ जाता है. मकई अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी और फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. भुट्टे में वसा बहुत कम मात्रा में पाई जाती है. डाइटीशियंस और न्यूट्रीशानिस्ट्स का कहना है कि मकई के सेवन से एलर्जी होने की आशंका भी काफी हद तक कम हो जाती है.

यही नहीं एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि मकई के दानों के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्राल और ट्राईग्लिसराइड का स्तर नियंत्रित होता है. गौरतलब है कि रक्त में इन दोनों तत्वों के अनियंत्रित से हाई ब्लड प्रेशर व हृदय रोगों के होने की आशंकाएँ बढ़ जाती है. एक अन्य शोध से भी इस तथ्य का पता चला है कि मकई का सेवन शरीर में रक्त की कमी की समस्या को दूर करने में सहायक होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि एनीमिया की शिकायत शरीर में लौह तत्व अर्थात आयरन की कमी से होती है. मकई का सेवन कई तरह से किया जाता है, जैसे उबले हुए दानों का तिल के साथ सेवन करना, सलाद के साथ सेवन करना, सूप बनाने में, रायते में प्रयोग आदि. इसके अलावा देश के कुछ हिस्सों में चावल पकाते समय मकई के दानों को इसमें डाल दिया जाता है.


बुधवार, 5 अगस्त 2020

बालों के लिए जादुई आहार : healthy food for hair growth II care of hair

Manoj kumar

बालों के लिए जादुई आहार : healthy food for hair growth II care of hair

बालों को सुन्दर और स्वस्थ्य बनाने के लिए हमारे कीचन में ही हैं जादुई और चमत्कारी आहार. डाईटिशियंस और ब्यूटी एक्सपर्ट्स बता रही हैं बालों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ पोषक आहार के बारे में...

बालों के लिए जादुई आहार : healthy food for hair growth II care of hair

अच्छी सेहत के लिए दूध और बादाम आदि खाने की बात आप बचपन से सुनती आ रही होंगी. ये सभी चीजें बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं. जितनी अच्छी डाईट होगी और उसमें जितने पौष्टिक तत्व शामिल होंगे, आपके बाल उतने ही अच्छी होंगे. आइए जानते हैं, बालों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपकी रसोई में मौजूद कौन सी चीजें पौष्टिक और चमत्कारी साबित हो सकती हैं.

दूध : दूध की शक्ति का कोई मुकाबला नहीं है. इसके सेवन से मजबूत और चमकदार बाल पाए जा सकते हैं. यहाँ तक कि रूखे, बेजान और उलझे बालों की मुसीबत से भी छुटकारा पाया जा सकता है. बाल प्रोटीन से बने होते हैं और दूध में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है. इसलिए इसका इस्तेमाल रोजाना करना चाहिए, खासतौर पर शाकाहारी लोगों को. इसमें फैट, कार्बोहाइड्रेटस, विटामिन्स और तरह-तरह के मिनरल्स होते हैं. विटामिन्स मसलन फोलेट, बी-6 और बायोटिक बालों की ग्रोथ के लिए जरूरी होते हैं. दूध में कैल्शियम, आयरन, जिंक भी होता हिया. यह बालों को जड़ से मजबूत बनाता है. अगर आप वेट कांशियस हैं तो आपको दैनिक रूप से लो फैट मिल्क का इस्तेमाल करना चाहिए. दूध का प्रयोग बालों पर भी किया जा सकता है. दूध में शहद और मेथी दाना पाउडर मिलाकर हेयर मास्क की तरह प्रयोग किया जा सकता है.

जैतून का तेल :

आलिवल आयल में विटामिन्स ए, बी, सी, डी और ई के साथ-साथ आयरन भी होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंटस होते हैं. इसमें नारिशिंग, माईश्चराइजिंग और कंडिशनिंग प्रापर्टीज होती हैं, जो बालों की लचक, कोमलता और मजबूती बढ़ाने में सहायक होती हैं. यह ओमेगा-9 फैटी एसिड का एक बेहतरीन स्रोत है. इसका प्रयोग हॉट आयल ट्रीटमेंट या नारिशिंग हेयर मास्क में किया जा सकता है. आलिव आयल की थोड़ी सी मात्रा बालों का रूखापन, उलझन और कड़ापन दूर करने के लिए काफी है. यह बालों को रेशमी मुलायम बनाने में भी मदद करता है.आलिव आयल हेयर ट्रीटमेंट बालों में केमिकल्स के प्रयोग से हुए नुकसान और तनाव को कम करता है. आलिव आयल बालों में लगाने से उनमें मजबूती के साथ-साथ चमक भी आती है.

शहद :

शहद का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार और वजन नियंत्रण के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में तो इसका इस्तेमाल बहुत उपयोगी माना जाता है. ब्यूटी एवं स्किन केयर एक्सपर्ट्स के मुताबिक शहद में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, विटामिन बी और सी, एंजाइम्स और एमिनो एसिड पाए जाते हैं, जो सेहत के साथ-साथ सौन्दर्यबढ़ाने में भी सहायक होते हैं. यह बालों और त्वचा के लिए कुदरती माइश्चराइजर का काम करता हैं. यह एक प्रकार की भ्रांति ही है कि बालों में शहद का प्रयोग करने से वे सफ़ेद होने लगते हैं. ऐसे मानना लगता है. शहद कोई ब्लीचिंग एजेंट नहीं हैं. शहद बालों को नर्म, मुलायम, चमकदार और स्वस्थ बनाने में मदद करता है.

बादाम :

बालों के लिए कुदरत का वरदान है यह. इसमें आयरन, कॉपर, फास्फोरस, विटामिन बी-1 और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. यह शरीर में हिमोग्लोबिन को बढाता है और नए केशों का विकास करता है. इससे बाल स्वस्थ रहते हैं. बादाम के तेल में दो-तीन टीस्पून बादाम का दूध मिलाकर सिर की त्वचा पर लगाने से वे मजबूत और घने होते हैं. बादाम मेवों में राजा है. इसमें भरपूर पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ई काफी मात्रा में पाया जाता है, जो एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है. यह बालों को प्रदूषण और यूवी किरणों से बचाता है. बालों के गिरने का एक बड़ा कारण शरीर में जिंक की कमी होती है और बादाम में जिंक की पर्याप्त मात्रा होती है. बादाम को रात में भिगोकर छिलका उतारकर खाने से बाल व त्वचा दोनों में चमक और निखार आ जाता है. इसे फेसपैक में मिलाकर लगाने से त्वचा बेदाग और गोरी हो जाती है.

करी पत्ता :

करी पत्ता का इस्तेमाल ग्रेवी या करी बनाने में खूब किया जाता है. यह बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसमें विटामिन बी-1, बी-2, बी-3, बी-9 और सी भरपूर होते हैं. यह बीटाकैरोटिन युक्त होता है.इसके अलावा इसमें बाल काले और चमकदार बनते हैं. ऐसी माएं जिनके बाल असमय सफ़ेद हो गए हों, वे अपनी बेटियों के बाल करी पत्ता के प्रयोग से सफेद होने से बचा सकती हैं. 10-15 करी पत्ता भी पीस लें. इस पेस्ट को सिर की त्वचा पर लगाकर करीब दस मिनट तक सिर की मसाज करें. इसके बाद माइल्ड शैंपू से बाल धुलें. हफ्ते में एक बार ऐसा करने से कुछ ही हफ़्तों में अंतर नजर आएगा.  


मंगलवार, 4 अगस्त 2020

हम हैं अपने सच्चे मित्र! सच्चे मित्र की पहचान II dost in hindi II मित्रता दिवस II मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है II friendship day

Manoj kumar

हम हैं अपने सच्चे मित्र! सच्चे मित्र की पहचान II dost in hindi II मित्रता दिवस II मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है II friendship day 

हम हैं अपने सच्चे मित्र! सच्चे मित्र की पहचान II dost in hindi II मित्रता दिवस II मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है II friendship day
मित्रता दिवस 

हर साल अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस अथवा फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाते है अगस्त के पहले रविवार को. इसे पहली बार 1958 में पराग्वे में इसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में मनाया गया था.


कहते हैं कि खुद से बेहतर रिश्ता हो तो हमारा हर किसी से रिश्ता बेहतर हो सकता है. आप कहेंगे यह कोई नई बात नहीं. नई बात तब होगी जब यह पता चले कि खुद की मुश्किलों को समझ सके और उन्हें दूर करने की पहल करने का साहस भी हो हमारे अंदर. रिलेशनशिप एक्सपर्ट निशा खन्ना के मुताबिक ‘हर रिश्ते में दोस्ती केन्द्रीय भाव है और यह मजबूत रहे तो रिश्ते तकरार के बाद भी दोबारा उसी जज्बे से आगे बढ़ते हैं. पर दोस्ती के लिए जरूरी है कि आप पहले खुद के साथ कंफर्ट महसूस करें. हाँ, यह बहुत अच्छी बात है कि आपका सपोर्ट सिस्टम बेहतरीन है. आपके इर्द-गिर्द बहुत लोग हैं जो मदद के लिए कभी भी आ सकते हैं पर यदि नहीं आ सके तो? और इन दिनों एक अलग किस्म को मजबूती भी तो है, जब हर किसी को शारीरिक दूरी का पालन करना है. याद रहे पहले अपना मास्क पहनना है तभी किसी और से इसकी अपेक्षा रखनी है.

कैसे बनें अपने सबसे अच्छे दोस्त :

1.  आपको किसी दोस्त की तरह ही खुद से भी अच्छा बर्ताव करना है. ज्यादा आलोचना या खुद को कोसना नहीं है. अपने अच्छे गुणों, प्रतिभा और क्षमताओं को सराहें और अपने ‘अद्वितीय’ व्यक्तित्व को बताएं कि आप उसके साथ मजबूत से खड़े हैं.

 

2.  कल्पना करें कि आप कैसे अपने दोस्त की किसी मुश्किल स्थिति में मदद कर सकते हैं. वे कैसे संघर्ष कर रहे हैं और किसी समस्या में फंसकर वे असहाय महसूस कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें आप सबसे बेहतर सलाह क्या देंगे/ उन शब्दों को अपने सबसे अच्छे दोस्त यानी अपने आप से कहकर देखें. आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे.

 

3.  अपनी जरूरतों का सम्मान करें, जैसे – एक दिन की छुट्टी में आप क्या करना चाहते हैं? जल्दी सोना चाहते हैं, एक रात पूरा जगकर बस पसंदीदा किताब पढ़ती है, कोई फिल्म देखनी है या उस दिन बस सफाई करनी है, अपना पसंदीदा व्यंजन बनाना है या खुद को सजाना और संवारना है, आईने में निहारना है. खुद से बातें करनी है?

 

4.  यदि आप नकारत्मक विचारों के साथ संघर्ष कर रहे हैं तो यह आपकी च्वाइस है कि आप उस पर ध्यान दें या उसे छोड़ दें. मेडिटेशन आपकी मदद करेगा. फिर इन विचारों से धीरे-धीरे पीछा छुड़ा पाएँगे पर यह आपकी प्रतिबद्धता और संकल्प शक्ति पर निर्भर करेगा.

 

5.  आप उदास हैं और कोई कहे कि आपको उदासी छोड़कर काम पर लगना चाहिए तो आप क्या करते हैं? कि इसके लिए खुद पर दबाव बनाते हैं? यदि हाँ, तो याद रखें, उदासी की एक्सपायरी डेट नहीं होती. यह समय के साथ अपने आप कम होती जाती है. याद रहे, यहाँ हर किसी की सोच अलग है और उसी अनुसार सलाह देते हैं लोग. आप बस खुद को स्वीकारें और मन की बागडोर थामे रहें. केवल आप ही हैं जो खुद को बेहतर जान सकते हैं और बन सकते हैं अपने सच्चे दोस्त.


सोमवार, 3 अगस्त 2020

रक्षा बंधन पर्व में मुक्ति का पर्व II रक्षा बंधन पर्व पर निबंध II रक्षा बंधन पर निबंध in Hindi II रक्षा बंधन पर 10 लाइन निबंध II रक्षाबंधन का निबंध हिंदी में II रक्षाबंधन का महत्व II रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व II रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व II raksha bandhan 2020 in india

Manoj kumar

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सूत रेशम का मात्र एक धागा भाई-बहन को न 

सिर्फ प्रेम और सम्मान के बन्धनों में बंधता है, 

बल्कि इसके जरिए मुक्ति का एहसास भी जगा 

देता है. रक्षा की उदात्त भावना के जरिए आपसी 

प्रेम का एक भयमुक्त सुन्दर संसार रचता है....

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                       रक्षा बंधन



संसार जब भारत की ओर देखता है तो उसे धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक चेतना के दो ऐसे शिखर दिखाई देते हैं, जिनका मुकाबला संसार में कहीं नहीं हो सकता. धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में भारत ने जो कुछ पाया है, वह अद्भुत है. शायद यही कारण है कि आज संसार भौतिक उत्थान के शीर्ष पर पहुंचकर भी जब जीवन का मर्म जानना चाहता है तो वह भारत की ओर ही देखता है. धर्म और संस्कृति के आयाम तो अनेक हैं, लेकिन प्रसंग श्रावणी पर्व रक्षाबंधन का है तो क्यों न हम भी धर्म और संस्कृति के इस आनन्द प्रसंग पर ही कुछ देर ठहरकर इसे निहार लें, ताकि कुछ रेशम और सूत के धागे अपनी कथा कह सकें.


श्रावणी पर्व या रक्षा बन्धन से जुड़ी अनेक कथाएँ हैं, पर जो कथाएँ हम बहुधा सुनते हैं, उनमें पहली है कृष्ण और द्रौपदी की. कहते हैं, एक बार जब भगवान कृष्ण युद्धरत थे, तब उनके हाथ से सुदर्शन चक्र इतनी गति से छूता कि उनकी अंगुली से रक्त बहने लगा. तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उसे भगवान कृष्ण की अंगुली में बांधा था और यही वह सूत्र था, जिसके कारण बाद में चीरहरण के वक्त द्रौपदी की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण दौड़े चले आए थे.


दूसरी कहानी देवराज इन्द्र, देव गुरु बृहस्पति और इद्रानी की भी है. कहते हैं असुरों से संग्राम में इन्द्र जब घबराकर देव गुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथ पर बांधा था और देवराज इन्द्र उसके बाद युद्ध में विजयी हुए थे. कुछ कहानियाँ इतिहास से भी जुड़ी हुई है, जिनमें एक कहानी मेवाड़ की रानी की भी है, जिन्होंने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी और और हुमायूँ भी इस राखी का मान रखते हुए अपनी राजपूत बहन की सहायता के लिए तुरन्त आ गए थे.के प्रसंग हमारी आजादी की लड़ाई से जुड़ा हुआ है, विश्वकवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने सन 1905 में बंगभंग के विरोध में रक्षा बन्धन को नया रूप देते हुए इसी दिन बंगाल की जनता को विरोध करने के लिए घरों से निकलने के लिए कहा था. विरोध की शुरुआत सभी धर्म के लोगों ने एक-दूसरे के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर की थी.


श्रावणी पर्व रक्षा बन्धन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है उपाकर्म अर्थात गुरु-शिष्यों के जुड़ाव के साथ अध्ययन-अध्यापन की शुरुआत. उपाकर्म के तीन हिस्से होते हैं. पहला प्रायश्चित, जिसमें किसी नदी या सरोवर के तट पर शिष्य अपनी समस्त त्रुटियों के लिए प्रायश्चित करता है. स्नान के उपरान्त उपाकर्म का दूसरा हिस्सा फलित होता है, जिसे हम संस्कार के रूप में जानते हैं और इस संस्कार के अंतर्गत गुरु-शिष्य को यज्ञोपवीत धारण करवाता है, ताकि शिष्य एक अनुशासन से आबद्ध हो सके. तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है स्वाध्याय का. इसी दिन गुरु शिष्य को विद्दा का दान देना आरंभ करते हैं और श्रावणी पर्व पूर्ण सार्थक होता है. हालांकि अब इस उपाकर्म के दृश्य अब दिखाई देना लगभग बंद हो चुके हैं.


आज जब बाजार में बिकती बेहद खूबसूरत राखियों की एक लंबी श्रृंखला मौजूद है, तब यह जानना जरूरी है कि पुराने दौर में राखियाँ कैसी हुआ करती थीं और यह पर्व कैसे मनाया जाता था. पुराने दौर में घर की महिलाएँ किसी नए सूती या रेशमी कपड़े के एक हिस्से में कुछ चावल रखकर उसे सूत में बांधकर छोटी-छोटी पोटलियाँ बना दिया करती थीं, फिर इन्हें हल्दी या केसर से रंग दिया जाता था. घर के आँगन को गोबर से ल लीपकर चावल से चौक बनाया जाता था और उस पर एक घट की स्थापना की जाती थी. पूजन के बाद ब्राह्मण अपने यजमान को और बहनें अपने भाइयों को वही चावल की छोटी सी पोटली वाली राखियाँ बांधा करती थी.


बीते दौर की बात करते हुए जब हम वर्तमान का स्पर्श करते हैं, तो लगता है कि इस आधुनिक दौर में भी आज हमारे सामने जो परिस्थितियाँ हैं, उसमें कुछ विवशताएँ पुराने दौर की तरह साकार हो उठी हैं. एक दौर था, जब ससुराल में स्त्रियाँ इंतजार करती थीं कि कब सावन आए और वे मायके जा सकें. अमीर खुसरो साहब ने उनकी इस भावना को अपनी कविता में बखूबीबखान किया है:


अम्मा मेरे बाबा को भेजो री,

कि सावन आया सावन रीI

बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री,

अम्मा मेरे भैया को भेजो रीI

बेटी तेरा भैया तो बाला री,

कि सावन आया सावन रीI


बेटी मायके जाना चाहती है, लेकिन उसकी विवशता है कि पिता बूढ़ा हो चुका है और भाई अभी छोटा है. ऐसे में बेटी मायके नहीं जा पाती तो उसकी आँखें सावन की तरह बरस उठती हैं. आधुनिक दौर में वह विवशता तो नहीं है, लेकिन अब जब लॉकडाउन का दौर है और एक महामारी ने बहुत सारे रास्ते बंद कर रखे हैं, तब इस सावन में न जाने कितनी बेटियां हैं, जिनके मन में पीड़ा है कि वे अपने भाइयों की कलाई पर इस वर्ष राखी नहीं बाँध पाएंगी. यह देखकर यही लग रहा है कि कुछ विवशताएँ अब भी वैसी ही हैं और सावन की नमी कई आँखों को शायद इस वर्ष कुछ अधिक ही भिगो जाए.


वैसे तो रक्षा बन्धन या श्रावणी पर्व में धर्म और संस्कृति भी अपनी नमी से हृदय को भिगोते हैं और इसमें प्रकृति भी अपना मुखर हरित सौन्दर्य उड़ेल देती है. प्रायश्चित, संस्कार, ज्ञान, प्रेम,स्नेह,श्रद्धा, विश्वास, स्मृति, आनन्द और उत्सव के अनेक रंग संजोए यह पर्व भारतीयता के उसी अमर गीत का एक हिस्सा है, जो गीत यदि किसी ह्रदय में गूंजता है तो वह हृदय कभी सूखा नहीं रहता. संवेदना की नमी उसे श्रावण की पूर्णता का पर्व सदैव सौंपती रहती है और कोई सूत या कोई रेशम का धागा उसे बन्धन में मुक्ति का अर्थ भी सहज ही समझा देता है. सदा-सदा के लिए. जन्म-जन्मान्तर के लिए   


रविवार, 2 अगस्त 2020

भावनात्मक संबल है रक्षासूत्र का वास्तविक अर्थ II रक्षा सूत्र का महत्व II रक्षा बंधन 2020 II raksha bandhan II raksha bandhan in hindi II raksha bandhan in hindi essay II importance of raksha bandhan in hindi II essay on raksha bandhan in hindi II importance of raksha bandhan in hindi II about raksha bandhan in hindi II रक्षा बंधन पर निबंध II रक्षाबंधन का निबंध हिंदी में

Manoj kumar

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रक्षाबंधन 

रक्षाबंधन भावनाओं से जुड़ा पर्व है. आज के सन्दर्भ में एक-दूसरे की रक्षा का भाई-बहन का वादा क्या महज रक्षासूत्र बांधने से पूरा हो सकता है? इस पारंपरिक उत्सव में दिखाना इसे खोखला बना रहा है.....

हम बहुत उत्सवधर्मी हो गए हैं. दिखावे के चक्कर में सब कुछ अंदर से खोखला हो जाता है. मुझे लगता है कि गंभीरता से हाथ में धागा बाँध देने और एक ऐसा छोटा सा प्रतीकात्मक उपहार दे देने, जो उसके जीवन में ज्यादा महत्त्व रखता है, से रक्षाबंधन की परंपरा निभाई जा सकती है. प्रतीक का  जवाब तो प्रतीक ही होगा न. शान-शौकत दिखाने का कोई मतलब नहीं होता.


भावनात्मक संरक्षण मिलता है :


जब भी आप किसी से स्नेह करते हैं तो दोनों तरफ से संरक्षण मिलता है विशेष रूप से भावनात्मक. भाई-बहन दोनों एक-दूसरे को संरक्षण देते हैं. रक्षा का मतलब भावनात्मक संरक्षण से ज्यादा है. अब वह सामंती समय तो रहा नहीं कि घोड़ा पर सवार होकर लोग आपकी रक्षा करेंगे. अब तो हम सब स्त्रियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी है. अपने भीतर ही वह तेजस्विता अर्जित करनी है कि हम ही सभी की सुरक्षा के लायक हो सके और अपनी सुरक्षा तो करें ही. मुझे लगता है कि रक्षाबंधन का स्वरूप बदलना चाहिए. भावनात्मक सुरक्षा यदि भाई बहन को देता है तो बहन भी भाई को देती है.


बहन भी रक्षा करती है भाई की :


जब से कानून बदले हैं और संपत्ति का अधिकार बहनों को मिलने लगा तब से मैंने देखा है कि भाई-बहन के रिश्तों में एक तनाव सा आ गया है. मध्यवर्गीय परिवारों में बांटने के लिए सिर्फ एक घर ही होता है और बहन नहीं चाहती कि इसमें दखल दें, लेकिन उन्हें ससुराल में ताने सुनने को मिलते हैं. जितने आसानी से कानून बनते हैं उतनी आसानी से सामाजिक मान्यताएं नहीं बदलती.यहाँ हर स्त्री को अपने भाई को बचाने की जरूरत पड़ती है और वे ऐसा ही करती है. मुझे लगता है कि माता-पिता को अपनी बच्ची के नाम पर घर में एक कोना जरूर रखना चाहिए ताकि वह कभी भी आए तो स्वाभिमान के साथ रह सके. उसे एक जगह मिले. यह संरक्षण ही होगा.


शिक्षा ही रक्षासूत्र है :


जब बहनों को संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता था तो उन्हें इन्हीं माध्यमों से थोड़ा-थोड़ा करके कुछ उपहारस्वरूप देते थे. अब भाई-बहन बराबरी से उपहार ले जाते हैं. बराबरी का रिश्ता बन गया है जिसकी हमें नए सिरे से व्याख्या करनी पड़ेगी. सबसे बड़ा संरक्षण का धागा शिक्षा हिया. शिक्षा का सूत्र पहनकर जो बहनें जीवन में कदम बढ़ाती हैं वे ही भाइयों का मान रखने की कोशिश कर रही हैं. कोई भी चीज परस्पर हो तो ज्यादा अच्छी होती है. दोनों ही एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध हों. शिक्षा ही रक्षासूत्र है.

 


शनिवार, 1 अगस्त 2020

निमोनिया पर होगी जीत : II निमोनिया कैसे होता है II निमोनिया रोग कैसे होता है II निमोनिया कैसे ठीक होता है II निमोनिया के लक्षण II nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi

Manoj kumar

निमोनिया पर होगी जीत : II निमोनिया कैसे होता है II निमोनिया रोग कैसे होता है II निमोनिया कैसे ठीक होता है II निमोनिया के लक्षण II nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi 

सर्दियों के मौसम में निमोनिया के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं लेकिन समय रहते कुछ सुझावों पर अमल कर इस रोग से जहाँ बचा जा सकता है वहीँ इस मर्ज का कारगर इलाज भी संभव है........

फेफड़े में संक्रमण (इन्फेक्शन) को निमोनिया कहा जाता है. यह इन्फेक्शन ज्यादातर मामलों में जीवाणुओं (विक्ट्रीया) के कारण होता है. इस मर्ज में एक या दोनों फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों के भागों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों में पानी भी भर जाता है.

कारण :

न्यूमोकोकस, हिमोफिलस, लेजियोनेला, माइकोप्लाज्मा, क्लेमाइडीया और स्यूडोमोनास और स्यूडोमोनास आदि जीवाणुओं से निमोनिया होता है. इसके अलावा कई वायरस (जो इन्फ्लुएंजा और स्वाइन फ्लू के वाहक हैं), फंगस और परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया होता है.

भारत में प्रतिवर्ष संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में से लगभग 20 फीसदी निमोनिया की वजह से होती है. इसके अलावा अस्पताल में होने वाले संक्रामक रोगों में यह बीमारी दूसरे स्थान पर है.

इन्हें है ज्यादा खतरा :

वैसे तो यह संक्रमण कीसी को भी हो कसता है, पर कुछ बीमारियाँ और स्थितियां ऐसी हैं, जिसमें निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. जैसे शराब और नशे से पीड़ित मरीज, हृदय, फेफड़े और लीवर की बीमारियों के गंभीर मरीज. इसी तरह डायबिटीज, गंभीर किडनी मरीज. इसी तरह डायबिटीज, गंभीर किडनी रोग, वृद्ध, कम उम्र के बच्चे और नवजात शिशु, कैंसर और एड्स के मरीज. ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

संक्रमण तीन तरह से :

सांस के रास्ते: खांसने या छींकने से.

खून के रास्ते: डाईलिसिस से कारण अस्पताल में ऐसे मरीज जो लंबे समय से इंट्रा-वीनस फ्लूड पर हैं, या दिल के ऐसे मरीज जो पेस मेकर पर हैं.

एसपिरेशन: खाद्द पदार्थों के साँस की नली में चले जाने को एसपिरेशन कहते  हैं.

जांचे : खून की जाँच, सीने का एक्स-रे बलगम की जाँच, सीने का एक्स-रे, बलगम की जाँच और कल्चरी जाँच आदि.

प्रमुख लक्षण : nimoniya ke lakshan II nimoniya ke lakshan in hindi II nimoniya ke upchar II nimoniya ka ayurvedic upchar II

तेज बुखार (जोड़ों में दर्द के साथ)

खाँसी और बलगम (जिसमें कई बार खून के छींटे भी हो सकते हैं.)

सीने में दर्द और सांस फूलना.

कुछ मरीजों में दस्त, मतली और उल्टी आना.

व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर आना, भूख न लगना, मांशपेशियों में दर्द, सर्दी लगाकर शरीर ठण्डा पड़ जाना, सिरदर्द और त्वचा का नीला पड़ना आदि.

प्रमुख इलाज : एंटीबायटिक्स दवाओं से इलाज होता है. इन दवाओं का इलाज मरीज की बीमारी का कारण बने जीवाणु पर निर्भर करता है. अधिकतर मरीज बाह्य रोगी विभाग द्वारा इलाज करा सकते हैं, पर अगर यह मर्ज किसी अन्य बीमारी के साथ जुड़ा हुआ है और 60 साल से अधिक की उम्र के व्यक्ति को हुआ है या रोगी गंभीर रूप से बीमार है, तो अक्सर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ सकता है. एंटीबायोटिक दवाओं के अतिरिक्तअगर मरीज को साँस तेजी से फूल रही है, तब पीड़ित व्यक्ति को ऑक्सीजन भी दी जाती है.

बचाव :

चूँकि यह बीमारी ठण्ड के मौसम में ज्यादा होती है. इसलिए ठंडे से बचना चाहिए-खासकर बच्चों और वृद्ध लोगों को.

धूमपान, शराब और सभी तरह के नशा को नियंत्रण में रखना. मधुमेह के मरीजों को अपने डॉ. से शुगर की नियमित जाँच करवाते रहना चाहिए और शुगर को नियंत्रण में रखना चाहिए.

निमोनिया का सबसे प्रमुख कारण न्यूमोकोकस नामक जीवाणु है. इससे बचने का वैक्सीन (टीका) उपलब्ध है, जिसे न्यूमोकोकल वैक्सीन कहते हैं.  


शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

कॉर्न सूप : sweet corn soup recipe in hindi II sweet corn recipe in hindi II कॉर्न रेसिपी इन हिंदी II मक्का के दाने की रेसिपी II भुट्टे की रेसिपी II bhutte ki recipe II bhutte ki recipe in hindi

Manoj kumar

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                  कॉर्न सूप


सामाग्री :

ü छह बड़े ताजे भुट्टे

ü तीन चौथाई टीस्पून अजीनोमोटो पाउडर

ü आधा टीस्पून सोया सौस

ü दो टेबल स्पून चीनी

ü नमक स्वादानुसार

ü परोसने के लिए सिरके वाली हरी मिर्च व चिली सौस

विधि :

  ü भुट्टों को कस लीजिए. कुछ साबुत दाने अलग निकाल लीजिए. छह टी-कप पानी     डालकर प्रेशर कुकर में पकाइए.

ü मक्के के आटे को दो टी-कप ठंडे पानी में घोलने के बाद, इसे पके हुए भुट्टे के मिश्रण में मिलाकर उबलने के लिए रख दीजिए. अब इसमें चीनी, नमक और अजीनोमोटो पाउडर डालिए.

ü कम से कम आधे घंटे तक उबालकर. फिर सोया सौस मिलाइए.

ü सिरके की मिर्च व चिली सौस के साथ गरमागरम परोसिए.